केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री (डोनर), श्री जी किशन रेड्डी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण में ‘विजय एवं शौर्य स्मारक’ पर आयोजित की गई एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित हुए। देश की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य के अवसर पर मनाए जा रहे ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के रूप में, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण में ‘विजय एवं शौर्य स्मारक’ पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
इस उद्घाटन समारोह के दौरान एनएमए, श्री तरुण विजय के साथ संस्कृति मंत्रालय एवं राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी उपस्थित हुए। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के माध्यम से ‘विजय एवं शौर्य स्मारक’ की फोटो प्रदर्शनी द्वारा उन लोगों के बारे में जानकारी प्रदान करने की कोशिश की गई, जिन्होंने हजारों वर्षों तक हमारी सभ्यता के लोकाचारों को संभाल कर रखा और हमारे देश में पिछले 750 वर्षों में हुए आक्रमणों और उपनिवेशीकरण के कारण हमारी सभ्यता की रक्षा करने वाले लोगों को भुला दिया गया था। इसके माध्यम से, प्रदर्शनी में सहस्राब्दियों से चलने वाले प्रतिरोधों और वीरता का प्रदर्शन किया गया है। इसमें वारंगल के काकैत्य कला थोरानम की तस्वीरें शामिल की गईं, साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किला, जो कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली उनकी वीरता का प्रतीक है और चित्तौड़गढ़ का विजयस्तंभ जो महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली सल्तनत पर जीत की याद को दोहराता है, उनको भी शामिल किया गया।
प्रदर्शनी का संपूर्ण दौरा करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए, श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज 130 करोड़ देशवासियों के लिए एक बड़ा ही ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज हम आजादी के 74 वर्ष पूरे कर चुके हैं और 75वें वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से सरकार द्वारा देश के वास्तविक इतिहास को नागरिकों के सामने लाने की कोशिश की जा रही है और वीरता स्मारकों पर आयोजित किया गया यह प्रदर्शन, उसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। श्री जी किशन रेड्डी ने देश की कला, संस्कृति और सभ्यता वाले मूल्यों की जानकारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए काम किया जा रहा है।
श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि “हमारे देश का इतिहास वीरता एवं बहादुरी वाली कहानियों से भरा हुआ है, जिन्होंने या तो दिन का उजाला नहीं देखा है या औपनिवेशिक विचारों के कारण उन्हें पूर्ण रूप से गलत प्रकार से प्रस्तुत किया गया है। हमारे देश के इतिहास में इन गलतबयानियों में सुधार किया जाएगा।”
मंत्री द्वारा यह भी कहा गया कि “जब भारत के अधिकांश इलाकों में 15 अगस्त, 1947 के दिन स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा था, तब निजाम क्षेत्र को 17 सितंबर, 1948 तक यानी 1 वर्ष, 1 महीना और 1 दिन तक इंतजार करना पड़ा था, जब तक इस क्षेत्र को सरदार पटेल द्वारा आजाद नहीं करवाया गया।” उन्होंने कहा कि “निजाम की अराजक सेनाओं द्वारा न सिर्फ गांवों को लूटने और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने का काम किया गया बल्कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश करने वाले लोगों पर गोलियां भी चलाई गई, लेकिन इन बातों को दबा दिया गया और शायद ही कभी इन विषयों पर चर्चा की गई। इन कहानियों को अब प्रकाश में लाया जाएगा।” श्री किशन रेड्डी ने देश के युवाओं से इतिहास में घटित हुई ऐसी घटनाओं के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने के महत्व पर भी बल दिया गया। उन्होंने कहा कि “युवाओं को इतिहास में लोगों द्वारा दी गई उनकी आहुतियों और योगदान के बारे में जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।”
श्री किशन रेड्डी ने मीडिया से भी अनुरोध किया कि वे एकता के संदेश के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार की पहल एवं प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन को समर्थन प्रदान करें, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने भाषण में अभी से लेकर 25 वर्षों तक के लिए एक भारत की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि जब 2047 में भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा तो उसे भ्रष्टाचार से मुक्त एवं संस्कृति, अर्थव्यवस्था के मामले में एक मजबूत देश होना चाहिए।
मंत्री ने सरकारी कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि “सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए लेकिन उनमें लोगों को भी शामिल होना चाहिए।”
संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्मारकों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, चित्तौड़गढ़ में विजय स्तंभ के संरक्षण को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय करने की ओर इशारा किया। उन्होंने देश में घटित हुई ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में हमारे इतिहास की किताबों और समाचार पत्रों में सही रूप से दर्शाने के महत्व पर भी बल दिया और इसमें शामिल संस्थानों से इस विषय पर ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने महाराणा प्रताप सिंह के साहस और पराक्रम को याद करते हुए कहा कि “शौर्य की कहानियों को उजागर किया जाना चाहिए और उनमें सुधार करने की आवश्यकता है।”
संस्कृति राज्य मंत्री, श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि लोगों को हमारे देश के संपूर्ण इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वर्तमान समय में लोगों को दिल्ली के राजा अननपाल और महरौली के महत्व के बारे में बहुत जानकारी प्राप्त नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है और इतिहास के बारे में लोगों को सच्चाई जानने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमृत महोत्सव के दौरान समुद्र मंथन किए जाने कि आवश्यकता है जिससे सत्य रूपी अमृत की प्राप्ति हो सके। इस अवसर पर आयोजित किए गए कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया।