प्रमुख सचिव गृह श्री देबाशीष पण्डा की अध्यक्षता में कमाण्ड सेंटर एनेक्सी में आज आयोजित ‘‘उ0प्र0 पुलिस यातायात प्रबन्धन निधि’’ की प्रबन्धन समिति की बैठक में उक्त निर्णय लिये गये। बैठक में गृह सचिव श्री कमल सक्सेना, अपर पुलिस महानिदेशक यातायात श्री अनिल अग्रवाल, अपर पुलिस महानिदेशक पीएचक्यू श्री एस0के0 माथुर, सचिव वित्त श्रीमती कामनी चैहान रतन के अलावा लोक निर्माण, पर्यावरण, यातायात व अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
अपर पुलिस महानिदेशक यातायात श्री अनिल अग्रवाल ने यातायात प्रवर्तन कार्याे में प्रयोग हेतु विभिन्न जनपदों के उपयोगार्थ 3 हजार व्हील बैरियर तथा 1 हजार मोबाइल बैरियर (एक्सटेनडेबल) क्रय किये जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की गयी। यातायात विभाग के लिये पृथक से वेब साइट बनायी जायेगी। साथ ही प्रदेश के सभी जिलों को यातायात उपकरणों व उससे संबंधित सामग्री को खरीदने, मरम्मत करने एवं अन्य विभिन्न कार्यक्रमों हेतु आवश्यक धनराशि यातायात प्रबंधन निधि से व्यय करने की मंजूरी प्रदान की गई।
बैठक में बताया गया कि विगत वित्तीय वर्ष में यातायात निधि से 5 ड्रोन कैमरे खरीदने की स्वीकृति दी गयी है जिनमें से लखनऊ को 02 तथा वाराणसी, आगरा व गौतमबुद्धनगर को 1-1 ड्रोन कैमरा आवंटित किया गया है। इसी व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिये अन्य जनपदों को ड्रोन कैमरे दिये जाने के लिये 12 ड्रोन कैमरे क्रय किये का निर्णय लिया गया जिनमें से लखनऊ व इलाहाबाद को 2-2 तथा कानपुरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, आगरा, गोरखपुर व गौतमबुद्धनगर को 1-1 ड्रोन कैमरा दिया जायेगा।
यातायात पुलिस द्वारा सड़कों पर आकस्मिक रूप से प्रवर्तन कार्याे हेतु 8 नये इण्टरसेप्टर वाहनों को खरीदने का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया है, जिनमें से लखनऊ को 2, गौतमबुद्धनगर, कानपुर नगर, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा व गाजियाबाद को 1-1 इण्टरसेप्टर वाहन आवंटित किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि इन वाहनों में लगे उपकरणों के माध्यम से पुलिसकर्मी वाहन में बैठे-बैठे आस-पास की यातायात वीडियो रिकार्डिंग तथा चिन्हित वाहनों की गति ज्ञात कर सकते है तथा मादक पदार्थो को उपयोग करने वाले वाहन चालकों की भी मौके पर जांच कर सकते है।
यातायात नियमों के प्रवर्तन के समय कई बार जनता के व्यक्तियों द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार करने एवं प्रवर्तन कार्य में बाधा पहुंचाने जैसी घटनाओ पर प्रभावी कार्र्यवाही हेतु 100 बाडी वार्न कैमरा क्रय किये जायेंगे। यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा शरीर पर पहने जाने वाले इन कैमरों का प्रयोग उत्तर प्रदेश में पहली बार किया जायेगा, जिसके माध्यम से पुलिसकर्मी तथा जनता के बीच होने वाली सभी वार्तालाप एवं गतिविधियों की पूरी वीडियो तथा आॅडियो रिकार्डिंग की जा सकेगी। प्रमुख सचिव गृह ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इनका उपयोग लखनऊ तथा गाजियाबाद में किये जाने के निर्देश दिये है।
प्रदेश के 30 रेलवे स्टेशनों के परिसर में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार हेतु वाहनों के पार्किंग स्थल पर अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरा लगाये जाने एवं कंट्रोल रूम से आॅनलाइन ई-चालान प्रेषित किये जाने की व्यवस्था की जायेगी। उल्लेेखनीय है कि इससे पूर्व यह व्यवस्था 6 बड़े रेलवे स्टेशनों पर की गयी थी।
यातायात पुलिस का एक पोर्टल शुरू किये जाने को मंजूरी दी गयी है ताकि प्रदेश व्यापी ई-चालान तथा एकीकृत यातायात अपराध डाटावैस की व्यवस्था प्रभावी ढंग से शुरू की जा सके। इस वेबसाइट तथा डाटावेस का उपयोग जनपद स्तर पर किये जाने हेतु प्रथम चरण में प्रदेश के 18 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों तथा गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में यातायात प्रवर्तन केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। प्रत्येक केन्द्र में इण्टरनेट सुविधा के साथ कम्प्यूटर तथा अन्य सहवर्ती उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे ताकि यातायात कर्मी अपने जनपद से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा प्रवर्तन संबंधी कार्य पोर्टल के माध्यम से प्रभावी रूप से कर सकें।
बैठक में बताया गया कि मोटरयान अधिनियम के तहत प्रदेश में वर्ष 2014-15 में 32 करोड़ 94 लाख रूपये से अधिक की धनराशि शमन शुल्क के रूप में वसूल की गयी, जबकि इससे पूर्व 2013-14 में यह लगभग धनराशि 22 करोड़ 37 लाख रूपये से कम थी। इस धनराशि का 75 प्रतिशत भाग यातायात विभाग को राज्य सरकार द्वारा टैªफिक व्यवस्था संबंधी कार्याे के संचालन हेतु दिया जाता है।
बैठक मेें बताया गया कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा सोशल मीडिया का प्रयोग करना शुरू कर दिया गया है। यह व्यवस्था 16 महानगरों में 1 जुलाई, 2015 से लागू की गयी है। प्रथम चरण में सोशल मीडिया के तहत फेसबुक, ट्विटर एवं व्हाट्स एप्प सेवा की शुरूआत प्रदेश के गाजियाबाद, आगरा, आजमगढ़, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, वाराणसी, मेरठ, इलाहाबाद, लखनऊ, मथुरा, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, गोरखपुर, बरेली व कानपुर महानगरों में की गयी है।