देहरादून: मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने शनिवार को सचिवालय में भागीरथी ईको
सेंसिटिव जोन के मानिटरिंग कमेटी की बैठक की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि विशेषज्ञों और समिति के सदस्यों को स्थलीय निरीक्षण कराया जाय। जोनल मास्टर प्लान को बेहतर और व्यावहारिक बनाने पर विचार किया जाय। बैठक में विभिन्न विभागों के मास्टर प्लान पर आई टिप्पणी पर ब्योरेवार चर्चा की गई।
वन विभाग के बारे में बताया गया कि गंगोत्री नेशनल पार्क के मैनेजमेंट प्लान और डिवीजन के लिए बनाये वर्क प्लान को जोनल मास्टर प्लान में शामिल किया गया है। वन पंचायतों को मजबूत करने के लिए माइक्रो प्लान बनाया गया है। वनों के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। पर्यटन विभाग के तहत पर्यटक स्थलों में निःशुल्क जनों के लिए भी इंतजाम किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम (यूजेवीएनएल) को मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि भागीरथी में जल दिखाई देना चाहिए। इसके लिए स्थानीय लोगों से मशविरा कर जल का स्तर तय कर निशान लगा दें। कम से कम उतना जल हमेशा उपलब्ध रहें। बैठक में बताया गया कि असी गंगा जल विद्युत परियोजना आपदा के दौरान बह गया था। इसके पुनर्निर्माण के लिए दोबारा डिजायन किया जायेगा। दो मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाओं पर प्रतिबंध नही है। लेकिन इसकी मानिटरिंग की जायेगी।
मानिटरिंग कमेटी में राष्ट्रीय राजमार्ग के चैड़ीकरण के बारे मे बताया गया कि धरासू से गंगोत्री तक अधिसूचना के दिशा निर्देश के अनुसार चैड़ीरण किया जा रहा है। 26 डम्पिंग जोन तय किये गये हैं। डम्पिंग जोन को सुन्दर ढंग से विकसित किया जायेगा। सूखी टाप और नताला में बाईपास बनाया जायेगा। इससे दूरी कम होगी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की चार परियोजनाओं पर कार्य किया जाना है। लोनिवि को डम्पिंग साइट बनाने, स्रोतों को बचाने और भूस्खलन वाले दोनो क्षेत्रों के उपचार के लिये निर्देश दिए गये। कृषि विभाग खेती को जंगली जानवरों से बचाने के उपाय करेगा और भू तथा जल संरक्षण के लिए कार्य करेगा।