13.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

साहसिक खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार जीत चुकी शीतल को राष्ट्रीय खेलों से बेहद उम्मीद

उत्तराखंड

देहरादून: पहाड़ के पास हौसला है। जज्बा है। क्षमता है। हम और बेहतर करेंगे। साहसिक खेलों का सर्वाेच्च पुरस्कार जीत चुकीं शीतल की राष्ट्रीय खेलों पर यह पहली प्रतिक्रिया है। उनके दावे में दम दिखता है। हौसला, जज्बा और क्षमता की बात को उन्होेंने खुद भी साबित करके दिखाया है। तेनजिंग नोर्गें नेशनल अवार्ड के रूप में उनके पास साहसिक खेलों का देश का सबसे बड़ा पुरस्कार है। 8188 मीटर ऊंचाई पर स्थित माउंट चो ओयू पर्वत चोटी को फतह करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनी हैं। शीतल का मानना है-38 वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से उत्तराखंड में खेल विकास का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।

शीतल वर्ष 2018 में एवरेस्ट फतह कर चुकी हैं। पिथौरागढ़ जिले के सल्लोड़ा गांव की निवासी हैं। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन पर उनका मानना है कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों के खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलेगा। अभी तक हमारे खिलाड़ी खेलने के लिए दूसरी जगह जाते थे। अब उन्हें अपने घर में ही तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। एक बातचीत में शीतल ने कहा-पहाड़ के खिलाड़ियों ने संसाधनों के अभाव में भी अपनी प्रतिभा को साबित किया है। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से सुविधाओं का जिस हिसाब से विस्तार हो रहा है, वह संभावनाएं जगाता है।

राफ्टिंग को शामिल करने से उम्मीद

राष्ट्रीय खेलों के 38 वें संस्करण में राफ्टिंग को शामिल किया गया है। हालांकि यह डेमो गेम है और इसे मेडल गेम में शामिल नहीं किया गया है। टनकपुर में राफ्टिंग गेम प्रस्तावित हैं। राफ्टिंग को राष्ट्रीय खेलों में शामिल किए जाने से शीतल उत्साहित हैं। शीतल का कहना है कि भले ही राफ्टिंग डेमो गेम है, लेकिन इससे साहसिक खेलों को लेकर संभावनाएं जगी हैं। शीतल का अपना खेल पर्वतारोहण राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा नहीं है। हालांकि ओलंपिक व एशियाई खेलों में पर्वतारोहण के कुछ प्रारूपों की स्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More