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श्री गंगवार ने बच्चों के सशक्तिकरण की सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी; कहा बाल मजदूरी का उन्मूलन प्राथमिकता है

देश-विदेश

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं,  इनके बचपन को बचाना तथा इनके विकास के लिए उचित कदम उठाकर इन्हें सशक्त बनाना हमारी जिम्मेदारी है।  आज हम देश के बच्चों के लिए सजगता से कार्य करते हुए अपने देश के लिए कल के आत्मनिर्भर युवाओं का निर्माण करने में सक्षम हो पायेंगे। श्री गंगवार ने गुरुवार को यह बात केंद्रीय सलाहकार बोर्ड द्वारा बाल एवं किशोर श्रम पर आयोजित बैठक में कही।

उन्होंने कहा  कि अभी हमारी सरकार ने 4 लेबर कोड्स पास किए हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये लेबर कोड्स भारत के श्रम इतिहास में मील का पत्थर साबित होगें, उन्होंने बताया कि बाल श्रम उन्मूलन हमारी सरकार की प्राथमिकता है और इसी कारण से Child and Adolescent Labour (Prohibition and Regulation Act 1986) को 4 लेबर कोड्स से बाहर रखा गया है तथा यह कानून स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा।

श्री गंगवार ने कहा कि कोविड-19 महामारी के रूप में वर्तमान परिस्थितियां अपने साथ अनेकों चुनौतियां लेकर आयी है। कोविड-19 के कारणवश अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कुप्रभावों ने बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं को भी जन्म दिया है। इन परिस्थितियों में हमें अपने देश के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तथा और भी सजग रहने की आवश्यकता है। आज हम अपनी प्रत्येक पुरानी कार्यशैली में बदलाव ला रहे हैं, जैसे कि अपनी बैठकों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के द्वारा करना। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बाल श्रम उन्मूलन के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। बाल श्रम उन्मूलन उद्देश्य से प्रेरित होकर भारत सरकार ने बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन हेतु पिछले कुछ वर्षों में अति महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा 2016 में बाल श्रम कानून में किए गए संशोधन को एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इसके द्वारा हम 14 वर्ष के कम आयु के बच्चों द्वारा किसी भी व्यवसाय अथवा प्रक्रिया में काम करवाये जाने पर रोक लगाने में सक्षम हुए हैं, साथ ही हमने 14 से 18 वर्ष के किशोरों के खतरनाक उद्योगों में काम करने पर भी प्रतिबंध लगाया है।

भारत ने बाल श्रम उन्मूलन हेतु अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि 2017 में आईएलओ के conventions संख्या 138 तथा 182 को अनुमोदित करके की है। संयुक्त राष्ट्र ने भी सतत विकास लक्ष्यों का निर्धारण करते हुए 2025 तक पूरे विश्व से बाल श्रम उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। विश्व समुदाय को इस लक्ष्य प्राप्ति हेतु जागरूक तथा समन्वित प्रयास करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021 को बाल श्रम उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाने का भी संकल्प लिया हैI

 उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) द्वारा बाल श्रमिकों के पुनर्वास का कार्य सुचारु रूप से किया जा रहा है। इसे और अधिक व्यापक तथा युक्ति संगत बनाते हुए, बच्चों का एक माह का stipend 150 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये कर दिया गया है, तथा इसका भुगतान मंत्रालय द्वारा डीबीटी के माध्यम से सीधे बच्चों के खाते में किया जाता है। संशोधित कानून के प्रभावी प्रवर्तन एवं एनसीएलपी योजना के सुचारु क्रियान्वयन हेतु पेंसिल पोर्टल (PENCIL Portal) बनाया गया है। पेंसिल पोर्टल को सशक्त करते हुए देश में पहली बार सभी एनसीएलपी के बच्चों की उपस्थिति को ऑनलाइन दर्ज किया जा रहा है तथा उसी के आधार पर प्रणाली द्वारा Stipend की राशि सीधे बच्चों के खातों में बिना विलम्ब के जाने हेतु system बनाया गया है।  हमें एनसीएलपी के अन्तर्गत किये गये सर्वे पर एकरूपता लाने की आवश्यकता है तथा सर्वे के लिये दिये गये दिशा निर्देश का पालन भी ज़रूरी है जिससे उसके परिणाम स्वरूप हम नए एसटीसी खोल सकें। इसके अतिरिक्त पेंसिल पोर्टल को शुरू हुए 3 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस प्रोजेक्ट के अब तक के कार्य की समीक्षा हो। साथ ही हमें इस पोर्टल को और अधिक प्रचलित करने की भी अवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक लोग इस पोर्टल पर बाल श्रम से संबन्धित जानकारी या शिकायत दर्ज करवा सकें। मित्रों, मुझे याद है कि पेंसिल पोर्टल के लॉन्च के समय राज्य सरकारों के लिए कुछ दिशा- निर्देश भी जारी किए गए थे। उन दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होनी चाहिए। हमें यह भी सुनश्चित करना होगा कि एनसीएलपी का दायरा अधिक से अधिक व्यापक किया जा सके। मित्रों, एनसीएलपी देश में कैसे कार्य कर रही है यह फीडबैक तथा विवरण मैं आप सभी माननीय सदस्यों से आज की बैठक में जानना चाहूंगा तथा साथ ही इसे और बेहतर कैसे बनाया जाये। उसके सुझाव भी आप दें। इसके साथ ही, मैं कोविड-19 के परिदृश्य में अब एनसीएलपी में हमें क्या बदलाव लाने की आवश्यकता है, इस पर भी आपके विचारों को जानना चाहूंगा।

 उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारणवश बच्चों के पुनर्वास में जो भी अवरोध आए हैं, उन्हें हमें दूर करना होगा।  इन परिस्थितियों में हमारी ज़िम्मेदारी और बढ़ गयी है कि हम बाल श्रम उन्मूलन के लिए और अधिक विशेष कदम उठाएं। मेरा सुझाव है कि हमें मिशन मोड में कार्य करने की आवश्यकता है जिससे हम पहले उन जिलों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे जिनमें बाल श्रमिकों की संख्या अधिक है ताकि उन जिलों को बाल श्रम से मुक्त कर सकें। मित्रों, मेरा मानना है कि हमारे मंत्रालय को अन्य संबन्धित मंत्रालयों जैसे गृह मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय, तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करने की अवश्यकता है, ताकि हम समन्वित प्रयास कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम के उन्मूलन की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर सकें।

उन्होंने बताया कि 2025 में भारत को पूर्णतया बाल श्रम मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी हमें एक लंबा सफर तय करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य सरकारों एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका भी अहम होगी। इसके लिए हमे सीएबी को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। सीएबी में हमारे साथ विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधि हैं जो ज़मीनी स्तर पर कार्य करते हैं, इसीलिए मेरा सीएबी के सदस्यों से अनुरोध है कि आप हमें बाल श्रम उन्मूलन के लिए किये गये हमारे प्रयासों का क्या प्रभाव हो रहा है, उससे अवगत करवायेंगे तथा व्यवहारिक समाधान भी बताएं ताकि हम सब मिलकर अपने देश को सही मायनों में बाल श्रम मुक्त करवा सकें।

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