उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में पिछले सप्ताह उन्होंने वीपी सचिवालय, राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों, डॉक्टरों की टीम और उपराष्ट्रपति के लिए सेवा देने वाले वायुसेना के चालक दल के लिए सिलसिलेवार तरीके से कई चाय पार्टी की मेजबानी की। यहां मौजूद लोगों ने उन्हें भावनात्मक विदाई दी और श्री नायडू ने उपराष्ट्रपति के तौर पर काम करने के दौरान की अपनी सुखद यादों का जिक्र किया।
आज, श्री नायडू ने संसद भवन एनेक्सी में राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों के लिए दोपहर का भोज रखा। उनसे बातचीत करते हुए, अधिकारियों ने राज्यसभा के सभापति के रूप में श्री नायडू की कई पहलों का जिक्र किया। उन्होंने उनके खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कामना की।
5 अगस्त को श्री नायडू ने उपराष्ट्रपति निवास के कर्मचारियों के लिए चाय पार्टी दी, जिसमें सुरक्षाकर्मी, रसोइये, ड्राइवर, माली और रखरखाव करने वाले कर्मचारी शामिल हुए। उपराष्ट्रपति और उनके परिवार के साथ अपने पांच साल के जुड़ाव का जिक्र करते हुए कर्मचारी भावुक हो गए। उन्होंने श्री नायडू, उनकी पत्नी श्रीमती ऊषा नायडू और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ की अपनी सुखद यादों और किस्सों को साझा किया। कर्मचारियों ने इस मौके पर उपराष्ट्रपति के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। श्री नायडू ने पिछले पांच वर्षों में सभी से मिले स्नेह और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के दौरान, लोगों ने श्रीमती ऊषा नायडू को विशेष रूप से धन्यवाद दिया, जिनके स्नेह और प्रेम के चलते सचिवालय के कर्मचारी उन्हें मां की तरह मानते थे।
2 अगस्त को, भारतीय वायुसेना के चालक दल, जो नियमित रूप से उपराष्ट्रपति के विदेश दौरों पर साथ होते थे और 3 अगस्त को सेवा देने वाली डॉक्टरों की टीम और उनके जीवनसाथी उपराष्ट्रपति भवन में आयोजित पार्टी में पहुंचे। उनके साथ बातचीत करते हुए, श्री नायडू ने उनके अनुशासन, कड़ी मेहनत और कर्तव्य के प्रति समर्पण भाव की सराहना की।
श्री एम. वेंकैया नायडू ने 11 अगस्त 2017 को भारत के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उनके नाम कई उपलब्धियां जुड़ गई हैं। श्री नायडू की अध्यक्षता में 13 सत्रों के दौरान, राज्यसभा की कुल उत्पादकता पहले पांच सत्रों के लिए 42.77 प्रतिशत से बढ़कर अगले आठ सत्रों के लिए 82.34 प्रतिशत हो गई।
मातृभाषाओं और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के पुरजोर समर्थक, श्री नायडू के कार्यकाल में उच्च सदन की कार्यवाही में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। राज्यसभा में 1952 के बाद पहली बार डोंगरी, कोंकणी, कश्मीरी और संथाली भाषा का इस्तेमाल किया गया और राज्यसभा सचिवालय की ओर से एक साथ अनुवाद सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। इसी तरह असमिया, बोडो, गुजराती, मैथिली, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं का लंबे समय बाद राज्यसभा में इस्तेमाल किया गया।
जब कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था, संसद के कामकाज को सुचारू ढंग से चलाने के लिए श्री नायडू के नेतृत्व में कई नई पहल की गई, जैसे संसदीय समितियों की रिपोर्ट वर्चुअल तरीके से पेश की गई।
भारतीय मूल्यों से दृढ़ता से जुड़े होने के नाते उन्होंने कई औपनिवेशिक प्रथाओं को भी बंद करा दिया, जैसे ‘मैं सदन के पटल पर रखने का निवेदन करता हूं’ को बदलकर ‘मैं दस्तावेज सभा पटल पर रखता हूं या यह कहने के लिए खड़ा हुआ हूं…’ किया गया। भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार पर जोर देते हुए पुराने हो चुके ‘महामहिम’ शब्द को भी ‘माननीय उपराष्ट्रपति’ से बदल दिया गया।