नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पांच फरवरी 2016 को गुवाहाटी में एक भव्य समारोह में 12वें दक्षिण एशियाई खेलों का शुभारंभ
करेंगे। पांच फरवरी 2016 से 16 फरवरी 2016 तक चलने वाले दक्षिण एशियाई खेलों का आयोजन गुवाहाटी और शिलांग में हो रहा है। यह पूर्वोत्तर भारत में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा खेल महोत्सव है। पहली बार इसमें लैंगिक समानता भी देखने को मिलेगी क्योंकि इस बार के दक्षिण एशियाई खेलों में महिला एवं पुरुष खिलाड़ी सभी स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे। भारत सरकार के खेल एवं युवा मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सर्वानंद सोनोवाल की अध्यक्षता और भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष श्री एन रामचंद्रन की उपाध्यक्षता में इन खेलों के संचालन के लिए एक आयोजन समिति गठित की गई है।
दक्षेस देश अर्थात अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका इन खेलों में हिस्सा लेंगे। सार्क देश दुनिया की कुल आबादी का 21 प्रतिशत हैं वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों की हिस्सेदारी 9.12 प्रतिशत के आसपास है। दक्षेस, दक्षिण एशियाई देशों के लोगों की मित्रता, विश्वास और आपसी समझ की भावना के साथ मिलकर काम करने का एक मंच है। ताकि दक्षेस के सदस्य राष्ट्र स्थायी शांति और समृद्धि को हासिल कर सकें। दक्षिण एशियाई खेल इस उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन खेलों के दौरान 23 खेलों में 228 प्रतिस्पर्धाएं होंगी। पदक तालिका के लिए कुल 228 स्वर्ण, 228 रजत और 308 कांस्य पदक दांव पर होंगे। 16 खेल गुवाहाटी में आयोजित किए जाएंगे। इनमें खो-खो, कबड्डी, हैंडबाल, शूटिंग, एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, तैराकी, ट्रायथलन, हॉकी, भारोत्तोलन, कुश्ती, स्क्वाश, साइकिलिंग और टेनिस शामिल हैं। वहीं शिलांग में सात खेलों का आयोजन होगा। इनमें तीरंदाजी, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, जूडो, टेबल टेनिस, ताइक्वांडो और वुशु शामिल हैं। पुरुष फुटबॉल स्पर्धा गुवाहाटी और महिला फुटबॉल स्पर्धा शिलांग में आयोजित होगी।
इन खेलों का लोगो शांति, प्रगति और क्षेत्र में समृद्धि का प्रतीक है। इसकी आठ पंखुड़ियां खेलों में भाग लेने वाले आठ देशों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पंखुड़ियों के रंग आठ देशों के ध्वजों से लिए गए हैं। खेलों का शुभंकर एक सींग वाला छोटा गैंडा ‘तिखोर’ तेज, शरारती, आधुनिक और खेलों में रुचि लेने वाला है। वह एक प्रेरक, दोस्त और शांति, प्रगति एवं समृद्धि का दूत है। इन खेलों का थीम गीत ‘ई पृथ्बी एकोन क्रीडांगन, क्रीडा होल शांतिर प्रांगण’ विश्व प्रसिद्ध दिवंगत संगीतकार भूपेन हजारिका के स्वरों में है। इसका अर्थ है कि ‘यह पूरी दुनिया खेल का एक मैदान है और खेल शांति का प्रतीक हैं।’ इस गीत का सभी सार्क देशों की आधिकारिक भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है और इन भाषाओं में से प्रत्येक में गाया जाएगा।