इस्पात एवं पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कर्नाटक में इस्पात लोक उपक्रम (स्टील पीएसयू) केआईओसीएल द्वारा निर्मित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें एक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 5 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और बैरल प्रकार का ब्लेंडर रिक्लेमर तथा एक सरकारी अस्पताल में 50 बेड शामिल हैं। इस अवसर पर इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी मौजूद थे।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्र ने अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना किया और इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव भी पड़ा। देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों की हमारी इस्पात (स्टील) और पेट्रोलियम कंपनियों ने आगे आकर ऐसे समय देश में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति की। उन्होंने कहा कि पिछले महीने देश में ऑक्सीजन की आवश्यकता 10,000 मीट्रिक टन से अधिक हो गई, तब इस्पात (स्टील) कंपनियों ने देश की मांग को पूरा करने के लिए इस्पात के उत्पादन में कटौती भी की। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता देश के पूर्वी हिस्सों में है जबकि इसकी मांग देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में सबसे ज्यादा है। स्थिति को अच्छी तरह से सम्भाला गया और उत्पादन की क्षमताओं को बढ़ाया गया था। आज देश में आक्सीजन सांद्रक (कन्सेट्रेटर्स), सिलेंडर और पीएसए संयंत्रों की कोई कमी नहीं है। श्री प्रधान ने कर्नाटक सरकार को महामारी से कुशलतापूर्वक निपटने के लिए बधाई दी। यहां तक कि शुरुआती दिनों में इस राज्य ने अपने पड़ोसी राज्यों को ऑक्सीजन भी मुहैया कराई।
देश के टीकाकरण अभियान में लगी बड़ी छलांग के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि कल 82 लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण किया गया था। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और नेतृत्व में देश ने कोविड-19 से लड़ने के लिए सक्रिय कदम उठाया है। देश में टीकों की प्रचुर उपलब्धता है और दिसंबर तक, सभी योग्य वयस्कों को इसका लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने टीकाकरण के बारे में किसी भी प्रकार की अनिच्छा या झिझक को दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने और किसी भी संदेह को दूर करने के लिए धर्म गुरुओं, राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों और अधिकारियों सहित सभी से सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा -“वैक्सीन हिचकिचाहट हमारे सामने एक चुनौती है। एक समझदार समाज होने के नाते इस अवसर पर आगे आना हम सबकी जिम्मेदारी है। मैं सभी हितधारकों से समाज में टीके की झिझक को दूर करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करता हूं।”
श्री प्रधान ने कहा कि भारत को कोविड की तीसरी लहर से बचाना चाहिए और इसके लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। मंत्री ने कहा कि कल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी था। स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और बीमारियों को दूर रखने के लिए योग एक प्रभावी अभ्यास है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि इस दिन ही हमने टीकाकरण में एक रिकॉर्ड बनाया, जो कि कोविड को दूर रखने का प्रभावी तरीका है। उन्होंने टीकाकरण अभियान में सक्रिय भागीदारी के लिए कर्नाटक सरकार की भी सराहना की क्योंकि देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य होने के नाते कल 8.7 लाख लोगों को टीका लगाया गया ।
केआईओसीएल ने कर्नाटक के आदिचुंचनागिरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एआईएमएस) में लगभग 90 लाख रूपये की लागत वाला 1000 एम3 प्रति दिन क्षमता का एक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र दान किया है। जो प्रति दिन लगभग 100 कोविड रोगियों के इलाज में मदद करेगा। संयंत्र को एआईएमएस, कर्नाटक को सौंप दिया गया है जो श्री आदिचुंचनागिरी शिक्षा ट्रस्ट द्वारा संचालित है। आदिचुंचनागिरी आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईएमएस) की स्थापना वर्ष 1986 में बीजी नगर, श्री आदिचुंचनागिरी क्षेत्र, मांड्या जिले में हुई थी। केआईओसीएल ने दक्षिणी कन्नड़ जिलों में विभिन्न स्थानों में कोविड रोगियों के उपचार के लिए मूडबिद्री, मैंगलोर के सरकारी अस्पताल में 50 बिस्तरों का वितरण किया है। अब कंपनी सरकार को 50 बेड दान कर रही है। कंपनी ने सरकारी अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए लगभग 18 लाख रूपये भी दिए हैं।
5 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र, कर्नाटक का विवरण: कर्नाटक राज्य के तुमकुर जिले के कथरीकेहल गांव, चिक्कनायकनहल्ली में कुल 24 करोड़ 44 लाख रूपये की लागत वाले 5 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की गई हैI कंपनी की कुल सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता अब 6.35 बढ़कर मेगावाट हो गई है। इससे केआईओसीएल लिमिटेड को मैंगलोर में अपने पेलेट प्लांट के लिए 30 मेगावाट बिजली की कुल आवश्यकता के लिए 5 मेगावाट की बिजली इस सौर संयंत्र से भी मिल सकेगीI केआईओसीएल द्वारा की गई इस पहल से बिजली की लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी, जिससे पेलेट प्लांट की उत्पादन लागत को भी कम करने में सहायता मिलेगी। संयंत्र से अनुमानित बिजली उत्पादन प्रति वर्ष एक करोड़ किलोवाट है और इससे प्रति वर्ष लगभग 6.2 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत हो सकती है। इस संयंत्र का अनुमानित जीवन काल 25 वर्ष है, और 56 महीने में यह अपनी लागत निकालना शुरू कर देगा।
केआईओसीएल के मैंगलोर पेलेट प्लांट में 1000 टन प्रति घंटे की क्षमता का बैरल टाइप ब्लेंडर रिक्लेमर: केआईओसीएल लिमिटेड ने पेलेट प्लांट के आधुनिकीकरण के हिस्से के रूप में मैंगलोर में 17 करोड़ 50 लाख रूपये के निवेश से अपने 3.5 एमटीपीए पेलेट प्लांट में 1000 टन प्रति घंटे क्षमता का बैरल टाइप ब्लेंडर रिक्लेमर स्थापित किया है। यह उपकरण आगे और पीछे की दिशाओं में समान गति करते हुए विभिन्न प्रकार के लौह अयस्कों का समान रूप से सम्मिश्रण करने में सक्षम है जिससे इस संयंत्र में परिचालन के साथ ही सुविधा के काम करने में अधिक सहायता मिलेगीI