नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह की तीन दिवसीय इजरायल यात्रा समाप्त हो गई है। कृषि में द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्री की अगुवाई में चार सदस्यीय आधिकारिक शिष्टमंडल इजरायल गया था।
इजरायल के कृषि मंत्री श्री यूरी एरियल के साथ सोमवार को हुई बातचीत के दौरान श्री सिंह ने दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग के स्तर पर संतुष्टि व्यक्त की। श्री सिंह ने इस बात का भी उल्लेख किया कि विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि अनुसंधान, डेयरी एवं जलीय कृषि (एक्वाकल्चर) में आपसी सहयोग को और ज्यादा बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। इजरायल के कृषि मंत्री श्री एरियल ने इस बात पर सहमति जताई कि कृषि क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाओं का अभी तक पूरी तरह दोहन नहीं हुआ है।
इस बैठक से पहले श्री राधा मोहन सिंह ने इजरायल के कृषि अनुसंधान से जुड़े प्रमुख संस्थान ‘कृषि अनुसंधान संगठन’ का दौरा किया। केन्द्रीय मंत्री को फसल कटाई उपरांत की प्रौद्योगिकियों एवं खाद्य प्रसंस्करण के बारे में जानकारी दी गई, जिनमें भारतीय किसानों के लिए काफी गुंजाइश है। श्री सिंह ने इस संस्थान में अनुसंधान कर रहे एवं डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर चुके लगभग 30 भारतीय विद्यार्थियों से भी बातचीत की और भारतीय कृषि में वैज्ञानिक परिदृश्य को बेहतर करने के लिए और ज्यादा विद्वानों को आकर्षित करने हेतु सरकार द्वारा हाल ही में उठाये गये अनेक कदमों के बारे में उन्हें बताया।
श्री राधा मोहन सिंह ने डेयरी से जुड़ी इकाइयों एवं रेगिस्तान स्थित एक कृषि इकाई का भी दौरा किया। केन्द्रीय मंत्री ने भारत के शुष्क क्षेत्रों में स्थित भौगोलिक इलाकों और नेगेव रेगिस्तान के बीच समानताओं का उल्लेख किया, जहां रेगिस्तान कृषि इकाई अवस्थित है। इजरायली डेयरी का उत्पादकता स्तर बेहद प्रभावशाली है और श्री सिंह ने यह महसूस किया कि भारत के डेयरी उत्पादक इजरायल की डेयरी संबंधी विशेषज्ञता से लाभ उठा सकते हैं।
श्री सिंह ने हिब्रू विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के पशु विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों से भी बातचीत की। विभाग के अपने दौरे के दौरान केन्द्रीय मंत्री को एक्वाकल्चर एवं मछली प्रजनन प्रौद्योगिकियों से जुड़ी प्रणालियों से अवगत कराया गया, जो उत्पादकता स्तरों को कई गुना बढ़ाने में सक्षम हैं। इस विभाग ने खुद के द्वारा तैयार किये गये बेपर चिकन का भी प्रदर्शन किया, जो बेहद उच्च तापमान का भी सामना करने में समर्थ हैं। श्री सिंह ने कहा कि उन एक्वाकल्चर प्रणालियों के लिए सहयोग एवं समावेश करने की अपार सम्भावनाएं हैं, जिनसे भारतीय प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया गया।
केन्द्रीय मंत्री ने शाफदान जल शोधन संयंत्र का भी अवलोकन किया, जो तेल अवीव का मुख्य शोधन संयंत्र है और जो तेल अवीव के आसपास स्थित सात शहरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल का भी शोधन करता है। श्री राधा मोहन सिंह ने प्रमुख योजनाओं जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्मार्ट सिटी’ के लिए इस संयंत्र के साथ गठबंधन करने की सम्भावनाओं पर विचार-विमर्श किया।
वर्ष 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से ही कृषि दोनों देशों के बीच सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रही है। एक द्विपक्षीय समझौते के तहत विभिन्न राज्यों में अनेकानेक इजरायली उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गये हैं, जो विभिन्न चीजों जैसे कि फलों, सब्जियों, बागवानी इत्यादि को कवर करते हैं। अनेक भारतीय अधिकारीगण इजरायल में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और मंत्री महोदय ने अपनी यात्रा के दौरान ऐसे लगभग 20 अधिकारियों से बातचीत की, जो फिलहाल इजरायल में कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। दोनों ही पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक द्विपक्षीय योजना पर भी विचार-विमर्श किया।
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