नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज ब्रिक्स देशों की मादक द्रव्य नियंत्रण एजेंसियों के प्रमुखों के मादक द्रव्य रोधी कार्य समूह की दूसरी बैठक का उद्घाटन किया। इस बैठक का उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों में मादक पदार्थों के दुरूपयोग का मूल्यांकन करना और ब्रिक्स सदस्य देशों के कानूनों का विश्लेषण करने के साथ-साथ सदस्य देशों में अपनाये जाने वाली प्रवर्तन और मांग घटाने की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को साझा करने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श करना है।
इस अवसर पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह ऐसा विषय है, जो आज विश्व समुदाय के सामने एक गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों की चुनौती से निपटने के लिए 22 अप्रैल, 2015 को मॉस्को में आयोजित ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय बैठक में एक ब्रिक्स मादक द्रव्य रोधी कार्य समूह का सृजन करने का निर्णय लिया गया था, जिसकी पहली बैठक 10 नवम्बर, 2015 को मॉस्को में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्य रोधी कार्य समूह की स्थापना मादक दवाओं, मादक पदार्थों के अवैध व्यापार और उनके प्रणेताओं को रोकने संबंधी मुद्दों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने बताया कि भारत ने इस वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता का कार्यभार संभाल लिया है और वह बैठकों, सम्मेलनों और कार्यशालाओं की श्रृंखलाओं का आयोजन किया जाएगा, जिनका समापन 15-16 अक्टूबर, 2016 को गोवा में आयोजित राष्ट्र प्रमुखों के आठवें शिखर सम्मेलन में किया जाएगा।
ब्रिक्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गृह मंत्री ने कहा कि ब्रिक्स प्रमुख उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का एक संघ है। ब्रिक्स के सभी पांच सदस्य देश अपनी बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के कारण विशिष्ट महत्व रखते हैं और इनका वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है और सभी पांचों देश जी -20 के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स सदस्य देश विश्व की जनसंख्या में 42% से अधिक प्रतिनिधित्व रखते हैं और इनके संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद का विश्व के सकल उत्पाद में लगभग 20% योगदान है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच ब्रिक्स देशों में वाणिज्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सातवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अवसर पर अपनी रूस यात्रा के दौरान यह कहा था कि भारत ब्रिक्स को बहुत महत्व देता है और भारत का मानना है कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी ढंग से योगदान कर सकता हैं।
मादक द्रव्यों के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध व्यापार ने आज सभ्य समाज के सामने एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि आज मादक द्रव्यों के व्यापार से सबसे अधिक गैर कानूनी धन का प्रवाह पैदा हो रहा है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है और सभी क्षेत्रों में शांति, स्वास्थ्य और स्थिरता को खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने ब्रिक्स देशों का आह्वान किया कि वे इस बुराई के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लड़ने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।
गृह मंत्री ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था की प्रगति और विकास के साथ-साथ नशीले दवाओं के तस्कर विश्व के एक कोने से दूसरे कोने तक नशीली दवाओं की लगातार आपूर्ति कर रहे हैं और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को नशीली दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे है, जो इनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने यह विश्वास जताया कि मादक द्रव्य रोधी ब्रिक्स कार्य समूह की बैठक में नशीली दवाओं की समस्याओं के बारे में विचार-विमर्श होगा, क्योंकि इस समस्या ने दुनिया भर में और विशेष रूप से ब्रिक्स देशों के सामने लगातार गंभीर चुनौतियां पैदा कर रखीं है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक श्री राजीव राय भटनागर ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मादक द्रव्यों के अवैध व्यापार और इसके दुरुपयोग ने लोगों के स्वास्थ्य और हमारे समाज पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों के अवैध व्यापार ने अवैध निधि प्रवाह का सृजन किया है, जो राष्ट्र विरोधी तत्वों और नार्को आतंकवाद के लिए धन उपलब्ध कराने का प्रमुख स्रोत है। धन के इन प्रवाहों को कैसे रोका जाए, इस बारे में बहस किये जाने की आवश्यकता है। श्री भटनागर ने कहा कि भारत ने अभी हाल में गैर कानूनी वित्तीय प्रवाहों को प्रभावी रूप से रोकने और मादक द्रव्यों की गैर कानूनी व्यापार से होने वाले अपराधों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने के लिए धन शोधन और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम से संबंधित कानूनों को संशोधित किया है।