नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय ने भारत की विरासत को बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), जनपथ, नई दिल्ली में 10 दिवसीय विविध सांस्कतिक उत्सव‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-2016’ का आयोजन किया। इस समारोह का शुभारंभ केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया। इस अवसर पर संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा, नगालैंड के राज्यपाल श्री पद्मनाभा आचार्य भी मौजूद रहे। साथ ही संस्कृति मंत्रालय में सचिव श्री एन. के. सिन्हा और संस्कृति मंत्रालय में ही संयुक्त सचिव श्री एम. एल. श्रीवास्तव सहित कई अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
शुभारंभ के मौके पर लगभग 400 कलाकारों ने लोक और जनजातीय सहित विभिन्न नृत्यकलाओं का प्रदर्शन किया। आज से शुरू हुआ यह उत्सव 24 अक्टूबर, 2016 तक लोगों को भारत की संपन्न संस्कृति से जोड़े रखेगा।
इस अवसर पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे देश में विविधता में ही एकता है और यही संस्कृति हम सभी को आपस में जोड़े रखती है। उन्होंने इस तरह के विशेष कार्यक्रम के आयोजन के लिए संस्कृति मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को अपनी प्रतिभा, कलाकृतियों और व्यंजनों को एक ही मंच पर प्रदर्शित करने का मौका मिलता है। संस्कृति मंत्रालय हमारी संपन्न सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने और देश को एकजुट बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
डॉ. महेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, ‘हम आपको सांस्कृतिक उत्सव राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2016 में देखकर काफी खुश हैं, जिससे भारत की विरासत मजबूत होकर सामने आती है। यह कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों की कला, शिल्पकारों, नृतकों, हस्तकलाओं, विशिष्ट व्यंजनों और संगीत को एक साथ लाया है, जिससे यह भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा कार्यक्रम बन गया है। जहां इस कार्यक्रम से देश में रहने वाले हमारी संपन्न संस्कृति के कई संप्रदायों के युवा एक-दूसरे से जुड़ गए हैं, वहीं इसने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को अपनी प्रतिभा, कलाकृतियों और व्यंजनों को प्रदर्शित करने का मौका मिला है।’ उन्होंने कहा, ‘हम इस उत्सव के उद्घाटन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के आभारी हैं और हम थाईलैंड से आए 12 सदस्यीय रामायण ग्रुप को यहां लाने के लिए विशेष रूप से आईसीसीआर के आभारी हैं, जिसने आकर्षक शैली में हमारी संस्कृति का प्रदर्शन किया है।’
इस अवसर पर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा लाई ‘मांडू’ पर एक कॉफी टेबिल बुक और ‘बर्बरता’पर एक डीवीडी का विमोचन भी किया गया।
उत्सव के दौरान देश के विभिन्न शहरों और कस्बों जनजातीय और लोक विविधता के साथ ही नृत्य, संगीत, नाटक, मनोरंजन और व्यंजनों की विविधता का प्रदर्शन किया जाता है। 24 एकड़ में फैले आईजीएनसीए कैंपस में 35 फूड स्टाल लखनऊ की ‘मक्खन मलाई’, नगालैंड की ‘बैंबू शूट’,हरियाणा की जलेबा और कई अन्य व्यंजनों का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा लोक, सामयिक,काल्पनिक कार्यों आदि का प्रदर्शन किया जाता है।
इस अवसर पर आईसीसीआर, विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित थाईलैंड से आए एक समूह द्वारा रावण द्वारा सीता के अपहरण का मंचन किया जा रहा है, जिस दृश्य में दर्शकों के सामने गोदावरी नदी के तट पर रामायण का मंचन किया गया। इस उत्सव में फोटो प्रदर्शनी के साथ ही हस्तकौशल और कला के विभिन्न रूपों के माध्यम से भारत की संपन्न धरोहर का प्रदर्शन किया गया।
इसके साथ ही यहां आए मेहमानों हस्तकलाओं, व्यंजनों, रंगोली चित्रकारी, मूर्तिकला, फोटोग्राफी और पोंग चोलम नृत्य (मणिपुर) और युद्ध नृत्य (नगालैंड) जैसे लोक नृत्यों का एक ही जगह पर प्रदर्शन किया गया।