केंद्रीय पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्री और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्री मंत्रालय के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के नए दिशा-निर्देश – ‘सागर सामाजिक सहयोग’ लॉन्च किया। नए दिशा-निर्देश के अनुसार बंदरगाह अब सीधे सीएसआर गतिविधियां चला सकेंगे। आज यहां आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय में दोनों राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर और श्रीपाद येसो नाइक भी शामिल हुए।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि हम न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन प्रणाली के विचार के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। सीएसआर गतिविधियों के लिए नए दिशा-निर्देश हमारे बंदरगाहों को एक रूपरेखा के तहत सामुदायिक कल्याण के लिए परियोजनाएं लाने, शुरू करने और तेजी से उसे पूरा करने में सहायक साबित होंगे, जहां स्थानीय समुदाय भी विकास और परिवर्तन के भागीदार बन सकते हैं। सीएसआर लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किसी स्थान या किसी गतिविधि में बदलाव का एक प्रमुख एजेंट बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, हम अपने लोगों, अपने संस्थानों को सशक्त बनाने की दिशा में इस तरह से प्रयास कर रहे हैं कि यह समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ समुदाय को आत्मनिर्भर बनने के लिए परिवर्तन और प्रगति की प्रक्रिया में भागीदार बना सके।
आज जारी किए गए नए सीएसआर दिशा-निर्देश प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 की धारा 70 में निर्दिष्ट गतिविधियों से संबंधित परियोजनाओं और कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से प्रभावित करेंगे। सीएसआर परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के उद्देश्य से, हर प्रमुख बंदरगाह में एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व समिति का गठन किया जाएगा। समिति के प्रमुख संबंधित बंदरगाह के उप निदेशक होंगे और इसमें 2 अन्य सदस्य होंगे। प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व योजना तैयार करेगा और बंदरगाह के व्यवसाय से संबंधित सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं के साथ अपने सीएसआर को व्यवसाय योजना से जोड़ेगा।
सीएसआर बजट अनिवार्य रूप से बंदरगाह के शुद्ध लाभ के प्रतिशत के रूप में बोर्ड प्रस्ताव के माध्यम से बनाया जाएगा। 100 करोड़ या उससे कम वार्षिक शुद्ध लाभ वाला बंदरगाह सीएसआर फंड के लिए लाभ का 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत के बीच राशि दे सकता है। इसी तरह, सालाना 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपये के बीच शुद्ध लाभ वाले बंदरगाह अपने सीएसआर खर्च को अपने शुद्ध लाभ के 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत के बीच रख सकते हैं, जो कम से कम 3 करोड़ रुपये तो होना ही चाहिए। उन बंदरगाहों के लिए, जिनका वार्षिक शुद्ध लाभ 500 करोड़ रुपये से अधिक है, सीएसआर खर्च उसके शुद्ध लाभ के 0.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत के बीच हो सकता है। सीएसआर खर्च का 20 प्रतिशत जिला स्तर पर सैनिक कल्याण बोर्ड, राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर और राष्ट्रीय युवा विकास निधि को दिया जाना चाहिए। सीएसआर खर्च का 78 प्रतिशत हिस्सा पेयजल, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास, गैर-पारंपरिक और अक्षय स्रोतों के माध्यम से बिजली, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आजीविका को बढ़ावा देने, सामुदायिक केंद्रों, छात्रावास जैसे क्षेत्रों पर समुदाय के सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए खर्च की जानी चाहिए। कुल सीएसआर फंड की 2 प्रतिशत राशि बंदरगाहों के सीएसआर कार्यक्रमों के तहत चलाई जाने वाली परियोजनाओं की निगरानी के लिए निर्धारित की गई है।