नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए की गई नवीनतम पहलों पर चर्चा करने के लिए आज यानी 10 जुलाई 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के साथ बैठक की। बैठक में कृषि राज्य मंत्री श्री पुरषोत्तम रूपाला एवं श्री कैलाश चौधरी, लगभग सभी राज्यों के कृषि मंत्री एवं कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन के लिए नए प्रचालनात्मक दिशा-निर्देशों की बुकलेट जारी की। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के दौरान कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने प्रधानमंत्री को ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का आवंटन करने के लिए धन्यवाद दिया जिसके अंतर्गत फार्म गेट एवं संग्रहण केन्द्रों (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप आदि) पर कृषि अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा हेतु आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस धनराशि का उपयोग फसल की उपज के नुकसान को कम करने के लिए फसलोपरांत अवसंरचना तैयार करने हेतु किया जाएगा जो वर्तमान में कुल उपज का लगभग 15 से 20 प्रतिशत है। उन्होंने फसलोपरांत प्रबंधन से संबंधित व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश हेतु मध्यम- दीर्घावधि ऋण वित्तीय सुविधा जुटाने के लिए कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।
माननीय मंत्री ने आगे जोर दिया कि सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) संतृप्तता अभियान चलाया गया था और वर्ष के अंत तक ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अंतर्गत 2.5 करोड़ केसीसी जारी करने का लक्ष्य रखा गया है। पीएम-किसान योजना तथा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 14.5 करोड़ प्रचालनात्मक फार्म होल्डिंग्स में से अब तक लगभग 10.5 करोड़ के आंकड़े पीएम-किसान के अंतर्गत संग्रह कर लिए गए हैं। वर्तमान में लगभग 6.67 करोड़ सक्रिय केसीसी खाते हैं। फरवरी, 2020 में केसीसी संतृप्तता अभियान (सैचुरेशन ड्राइव) के शुरू होने के बाद नए केसीसी खातों के लिए लगभग 95 लाख आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 75 लाख आवेदनों को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
इसके अलावा, माननीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2023-24 तक कुल 10,000 एफपीओ का गठन किया जाना है तथा 5 वर्षों के लिए प्रत्येक एफपीओ को सहायता जारी रखनी है। प्रस्तावित स्कीम की लागत 6,866.00 करोड़ रुपये है। उन्होंने राज्यों को आश्वस्त किया कि राज्यों को आवश्यक मदद/सहायता दी जाएगी ताकि कृषि अवसंरचना के विकास को तेज गति दी जा सके तथा एफपीओ को बढ़ावा दिया जा सके एवं केसीसी के माध्यम से किसानों को दी गई ऋण सुविधाओं में वृद्धि की जा सके।
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि अवसंरचना निधि, केसीसी संतृप्तता अभियान (सैचुरेशन ड्राइव) तथा नई एफपीओ नीति पर प्रस्तुति दी गई ।
राज्यों के कृषि मंत्रियों ने प्रसन्नता व्यक्त की कि पशुपालन एवं मात्स्यिकी पालन करने वाले किसानों के लिए अब केसीसी सुविधाओं को बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा राज्यों के कृषि मंत्रियों ने भारत सरकार द्वारा की गई पहलों की प्रशंसा की तथा राज्यों, एफपीओ में कृषि अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए किए गए अपने प्रयासों तथा किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए केसीसी की कवरेज को बढ़ाने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को नई गति प्रदान करने के लिए केंद्र को अपनी ओर से सहायता देने का आश्वासन दिया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना, बिहार, केरल, उत्तराखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मणिपुर, सिक्किम एवं नगालैंड सहित विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों एवं विभागीय अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। गुजरात के कृषि मंत्री श्री आर.सी. फल्दू ने पशुपालकों को भी नई स्कीम में जोड़ने पर आभार जताया। बिहार के कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे कृषि क्षेत्र के विकास को भी तेज गति मिलेगी। केरल के मंत्री ने नए कृषि अवसंरचना कोष की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिए। उत्तराखंड के मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए कदमों के साथ कृषि क्षेत्र पर फोकस किया है, जो ऐतिहासिक हैं। उन्होंने राज्य की कृषि गतिविधियां बताते हुए कृषि अवसंरचना, एफपीओ एवं केसीसी को लेकर कुछ सुझाव दिए।
बैठक में कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने बताया कि देशभर में 90 हजार से ज्यादा सहकारी समितियां हैं, जिनमें से 60 हजार के पास जमीन भी है और वे सक्षम भी हैं। इनके जरिए एफपीओ का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए।