आजादी का अमृत महास्तव के भाग के रूप में, श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव,पशुपालन एवं डेयरी विभाग और एन एन सिन्हा, सचिव,ग्रामीण विकास विभाग ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी), एमओएफएएचडी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और एमओआरडी के अभिसरण के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक विकास के लिए एसएचजी मंच का लाभ प्राप्त करने के लिए आज कृषि भवन में डीएएचडीऔर एमओआरडी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, श्री गिरिराज सिंह भी उपस्थित हुए।
इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, डॉ बीएल मुरुगन, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, साध्वी निरंजन ज्योति भी मौजूद थे।
पशुपालन और डेयरी विभाग विभिन्न मध्यवर्तनों और प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से कृषक समुदाय के लिए रोजगार एवं उद्यमिता का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान कर रहा है, जैसे एएचआईडीएफ (पशुपालन अवसंरचना विकास कोष), डीआईडीएफ (डेयरी अवसंरचना विकास कोष), एनएडीसीपी (राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम), एफएमडी (मुंहपका-खुरपका रोग) और ब्रुसेलोसिस आदि।
सरकार द्वारा हाल ही में2021-22 से शुरू होने वाले अगले 5 वर्षों के लिए पूरे देश में पशुपालन और डेयरी विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मौजूदा योजनाओं के विभिन्न घटकों में संशोधन और पुनर्संस्करण करने के बाद कई गतिविधियों को शामिल करते हुए एक विशेष पशुधन क्षेत्र पैकेज के कार्यान्वयन को मंजूरी प्रदान की है।
ग्रामीण विकास विभाग भी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र का उत्थान करने के लिए इसी प्रकार के प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा है, जहां पर ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आजीविका गतिविधियों में शामिल हैं औरविशेष रूप से वे पशुधन के क्षेत्र में काम कर रही हैं।
इसलिए, किसानों को सहायता प्रदान करने और पशुधन क्षेत्र के माध्यम से उनकी आय को दोगुना करने वाले सामान्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए डीएएचडी और डीओआरडी के प्रयासों में तालमेल और समन्वय स्थापित होना समय की मांग है।
समझौता ज्ञापन के अनुसार, इसके द्वारा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों की सेवाओं को पशुधन संसाधन व्यक्तियों और प्राथमिक सेवा प्रदाता के रूप में एक नए मान्यता प्राप्त मॉडल के माध्यम से उपयोग करने का भी निर्णय लिया है, जिसका नाम “ए-हेल्प” (एक्रीडिटेड एजेंट फॉर हेल्थ एंड एक्सटेंशन ऑफ लाइवस्टोक प्रोडक्शन) है।
इस मॉडल को ए-हेल्प वर्कर के रूप में आगे प्रशिक्षण और मान्यता प्रदान करते हुए पशुधन (पशुसखियों) के लिए डे-एनआरएलएम के अंतर्गत विकसित किए गए मौजूदा कैडर का उपयोग करके पूरे देश में लागू किया जाएगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डे-एनआरएलएम) बैकवर्ड और फॉर्वर्ड दोनों प्रकार के संपर्कों के माध्यम से कृषि आजीविका क्षेत्र को समर्थन प्रदान कर रहा है।बैकवर्ड संपर्कों के अंतर्गत, पाशुसखियों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है, जिन्हें प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के भाग के रूप में संरचित मॉड्यूल के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है और पशु पाठशालाओं के माध्यम से महिला किसानों को सेवाएं प्रदान की जा रही है, साथ ही साथ किसानों को उनके घर तक सेवाएं पहुंचाई जा रही है।इस अभियान में 40,000 से ज्यादा पशुसखियां शामिल हैं। इस अभिसरण के द्वारा इन सामुदायिक संवर्गों के माध्यम से डीएएचडी योजनाओं तक पहुंच को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी और यह संवर्गों के लिए अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने में भी मदद करेगा, जिससे उनकी स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने इस बात को रेखांकित किया कि डीएएचडी और डीआरडी के प्रयासों के बीच सामंजस्य और तालमेल स्थापित करना समय की मांग है,विशेष रूप से किसानों को सहायता पहुंचाने और पशुधन क्षेत्र के माध्यम से उनकी आय को दोगुनी करने वाले साझा उद्देश्य के लिए।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए दोनों विभागों को शुभकामनाएं प्रदान की और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने वाले साझा उद्देश्य और मौजूदा संसाधनों का सबसे प्रभावपूर्ण उपयोग करने की दिशा में दोनों विभागों के बीच प्रभावशाली संयुक्त सहक्रियाशील कार्य होनेकी कामना की।