नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्टों के आदान-प्रदान के लिए आज 27 मार्च, 2019 को नई दिल्ली में एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों की ओर से इस समझौते पर केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष श्री पी.सी. मोदी और भारत में अमेरिका के राजदूत श्री केनेथ आई. जस्टर ने हस्ताक्षर किए। सीबीसी रिपोर्टों के आदान-प्रदान के लिए हुए समझौते के साथ-साथ दोनों देशों के सक्षम प्राधिकरणों के बीच हुई द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था की बदौलत भारत और अमेरिका अपने-अपने क्षेत्राधिकारों में बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) के परम या मुख्य जनक निकायों द्वारा दाखिल की गई उन सीबीसी रिपोर्टों का स्वतः आदान-प्रदान करने में सक्षम हो जाएंगे, जिनका वास्ता 01 जनवरी, 2016 को अथवा उसके बाद शुरू हुए वर्षों से होगा। यही नहीं, इससे अमेरिका के एमएनई की भारत स्थित सहयोगी कंपनियों द्वारा स्थानीय स्तर पर सीबीसी रिपोर्टों को दाखिल करने की जरूरत भी समाप्त हो जाएगी, जिससे अनुपालन बोझ कम हो जाएगा।
भारत सीबीसी रिपोर्टों के आदान-प्रदान के लिए बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है, जिससे 62 क्षेत्राधिकारों के साथ सीबीसी रिपोर्टों का आदान-प्रदान करना संभव हो गया है।
किसी एमएनई समूह के मुख्य जनक निकाय द्वारा अपने से संबंधित क्षेत्राधिकार के निर्दिष्ट प्राधिकरण में सीबीसी रिपोर्टों को दाखिल करना और संबंधित क्षेत्राधिकार के सक्षम प्राधिकरण द्वारा अन्य क्षेत्राधिकारों (जिनमें समूह के एक या उससे अधिक घटक निकाय हैं) के सक्षम प्राधिकरणों के साथ सीबीसी रिपोर्टों का आदान-प्रदान करना दरअसल भारत की सक्रिय सहभागिता वाली ओईसीडी/जी20 बीईपीएस परियोजना की एक्शन 13 रिपोर्ट के तहत आवश्यक न्यूनतम मानक हैं।
सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी एमएनई समूह की आय के वैश्विक आवंटन, अदा किए गए करों और कुछ अन्य संकेतकों से संबंधित देश-दर-देश सूचनाओं का संकलन किया गया है। इसमें किसी विशेष क्षेत्राधिकार में कार्यरत एमएनई समूह के सभी घटक निकायों की सूची है और इसके साथ ही इस तरह के प्रत्येक घटक निकाय के मुख्य कारोबार के स्वरूप का भी उल्लेख किया गया है। किसी एक वर्ष में 750 मिलियन यूरो (अथवा कोई समतुल्य स्थानीय मुद्रा) अथवा उससे अधिक का वैश्विक समेकित राजस्व अर्जित करने वाले एमएनई समूहों के लिए अपने जनक निकाय के क्षेत्राधिकार में सीबीसी रिपोर्टों को दाखिल करना आवश्यक है। भारतीय मुद्रा रुपये में 750 मिलियन यूरो की समतुल्य राशि को भारतीय नियमों के तहत 5500 करोड़ रुपये के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। इस सूचना की बदौलत दोनों ही कर प्रशासनों द्वारा टैक्स संबंधी जोखिम का बेहतर आकलन करना संभव हो पाएगा।