देहरादून: मंगलवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ग्रोथ सेंटर, सेलाकुई में केटेलिटिक डेवलपमेंट योजना व राष्ट्रीय कृषि विकास के तहत रेशम रीलिंग इकाई व अत्याधुनिक तकनीकी युक्त हाॅट एयर ड्रायर का लोकार्पण
किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि रेशम विकास को जीका व आजीविका योजना से जोड़ने की सम्भावना देखी जाएगी। रेशम बोर्ड से जुड़ी लगभग 60 समितियों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। रेशम विभाग रेशम विकास के लिए रोड़मैप तैयार करे, राज्य सरकार हर सम्भव मदद देगी। रेशम से स्थानीय स्तर पर ही वस्त्र निर्माण की क्षमता विकसित की जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने रेशम रीलिंग इकाई व अत्याधुनिक तकनीकी युक्त हाॅट एयर ड्रायर के लिए रेशम बोर्ड व विभाग को बधाई देते हुए कहा कि इससे रेशम से जुड़े हमारे किसान लाभान्वित होंगे। तकनीकी क्षमता बढ़ जाने से अब हमारा फोकस कोकून उत्पादन को बढ़ाने पर होना चाहिए। उन्होंने अपेक्षा की कि एक साल में रेशम उत्पादन से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वितों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार कर दी जाएगी। जीका व आजीविका में रेशम की गतिविधियों को शामिल करने की सम्भावना देखी जाएगी। पंचायती भूमि पर टसर, शहतूत व अन्य संबंधित पेड़ों के रोपण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पिछले वर्ष हमारे राज्य की विकास दर 13 प्रतिशत से अधिक रही है। हम अग्रणी पंक्ति के राज्यों में शामिल हैं। हमने विकास को समावेशी रूप देने के लिए कुछ योजनाएं प्रारम्भ की हैं। इनके परिणाम मिलने पर राज्य की विकास दर 18 प्रतिशत तक हो जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। स्वस्थ्य विकास के लिए आवश्यक है कि इसमें महिलाओं, निर्धनों, पिछड़ों व दलितों की समान भागीदारी हो। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता समाज कल्याण व कृषि क्षेत्र है। हमने समाज कल्याण में काफी काम किया है। उत्तराखण्ड सबसे अधिक प्रकार की पेंशनें देने वाला राज्य है। जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक उम्र के हर पड़ाव तक राज्य सरकार किसी न किसी योजना से महिलाओं को लाभान्वित कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कृषि, बागवानी में हम संसाधनों की कमी नहीं आने देंगे। इस क्षेत्र में हम मिशन की तरह काम कर रहे हैं। शिक्षा, खेती व शिल्प विकास के मूल मंत्र हैं। लोगों को भी इसमें अपना भागीदारी निभानी होगी। सहकारिता हमारे विकास कार्यक्रम का मुख्य अंग है। हमने डेयरी के क्षेत्र कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दुग्ध संघों को 4 रूपए प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है। आंचल डेयरी को पूंजीगत, तकनीकी व मार्केटिंग सपोर्ट देने के लिए एनडीबी से एमओयू किया गया है। इससे हमारे दुग्ध संघों की स्वयायत्ता को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कार्यक्रम स्थल राजकीय इंटर कालेज सेलाकुई का नाम शहीद राज्य आंदोलनकारी सतेंद्र चैहान के नाम पर रखने की घोषणा की। उन्होंने क्षेत्रीय अस्पताल की क्षमता 10 बैड से बढ़ाकर 20 बैड करने, टौंस नदी में बाढ़ सुरक्षा की कार्ययोजना बनाने व कुछ सडकों की घोषणा की।
कृषि, उद्यान, रेशम मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि पिछले दो वर्षों में देश भर में रेशम उद्योग लड़खड़ाया है। परंतु हमने कुछ इस तरह के प्रयास किए कि इन दो वर्षों में उत्तराखण्ड रेशम का क्षेत्र सम्भला है। हम उत्कृष्ट श्रेणी के रेशम को 50 रूपए, मध्यम श्रेणी के रेशम को 40 रूपए व इससे नीचे की श्रेणी के रेशम पर 30 रूपए प्रति किलो बोनस दे रहे हैं। हमने न केवल रेशम बल्कि मंडुवा, माल्टा, नींबू, सेब आदि फसलों पर समर्थन मूल्य भी घोषित किए हैं। रेशम के 5 क्लस्टर बनाए गए हैं। जिला योजना में रेशम को भी एक मद के तौर पर शामिल करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। अब यहां केवल कोकून ही नहीं होगा बल्कि धागा भी यहीं बनेगा। हमारा प्रयास है कि रेशम के वस्त्र बनाने की इकाईयां भी स्थापित हों ताकि हमारे किसानों को रेशम की उचित कीमत मिल सके।
कार्यक्रम को क्षेत्रीय विधायक सहदेव पुंडीर, स्टेट कापरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, उत्तराखण्ड कोपरेटिव रेशम फेडरेशन के अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने भी सम्बोधित किया।
उत्तराखण्ड कोपरेटिव रेशम फेडरेशन के प्रबंध निदेशक एसएम शर्मा ने जानकारी दी कि 4 रीलिंग यूनिट कार्य कर रही हैं। एक लाख अंडा प्रतिवर्ष पैदा हो रहा है। ड्रायर मश्ीान 26 लाख रूपए की लागत से चीन से मंगाई गई है। इसमें टेम्परेचर वेरिएशन की क्षमता है। एक मशीन सेलाकुई व एक मशीन हल्द्वानी के लिए मंगवाई गई है। इससे 2 हजार किलोग्राम कोकून को एक बार में ही लगभग 4 घंटे में सुखाया जा सकता है। रीलिंग मशीन की तीन यूनिट स्थापित की गई हैं। इनकी कुल लागत लगभग 83 लाख रूपए की है। इनसे लगभग 9.5 से 10 हजार किलोग्राम उत्कृष्ट धागा बनाया जा सकेगा।