लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि किसानों को सबसे अधिक सुविधाएं एवं लाभ मण्डियों के माध्यम से पहुंचाया जा सकता है। इसलिए मण्डियों की कार्यप्रणाली सरल, तकनीक आधारित एवं किसान फ्रेण्डली होनी चाहिए। जींसों एवं अन्य कृषि उत्पादों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मण्डियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की मण्डियों को यूरोपीय देशों की मण्डियों की तरह किसानों की आर्थिक तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने मण्डियों में सोलर संयंत्र एवं एल0ई0डी0 लाइट लगाने तथा मण्डी परिषद/मण्डी समिति सेवा के अधिकारियों/कर्मचारियों को पेंशन सुविधा प्रदान करने का निर्देश भी दिया।
मुख्यमंत्री आज यहां शास्त्री भवन में मण्डी परिषद संचालक मण्डल की 150वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर मण्डी परिषद के विभिन्न कार्यों एवं योजनाओं के लिए 2358.28 करोड़ रुपए बजट की स्वीकृति प्रदान की गई। जिसमें 205 करोड़ रुपए की धनराशि मण्डी स्थलों के निर्माण, मरम्मत, विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए प्रस्तावित किया गया है। जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना के तहत मण्डी परिषद द्वारा कराए गए कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1000 के बजाय 2000 ग्रामों को विकास कार्यों से संतृप्त करने के निर्देश दिए, ताकि अधिक से अधिक जनता को मण्डी परिषद से लाभ पहुंचाया जा सके। इसके लिए 742 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
इसी प्रकार नवीन सम्पर्क मार्गों के निर्माण अवशेष देयता के लिए 51.19 करोड़ रुपए, सम्पर्क मार्ग मरम्मत हेतु 100 करोड़ रुपए, मण्डी समितियों के अधिष्ठान, आधुनिकीकरण तथा किसान उपहार योजना के लिए 240 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। इसके साथ ही बुन्देलखण्ड पैकेज हेतु 14.48 करोड़, किसान बाजार योजना के लिए 70 करोड़ तथा मण्डी समितियों के लिए भूमि क्रय करने एवं प्रतिकर हेतु 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने लहसुन निर्यात को बढ़ावा देने हेतु 01 रुपया प्रति कि0ग्रा0 की दर से परिवहन भाड़ा अनुदान के रूप में देने के निर्देश देते हुए लहसुन निर्यात नियमावली को भी स्वीकृति प्रदान कर दी। इसी प्रकार आलू उत्पादकों एवं व्यापारियों को राहत प्रदान करने के लिए परिवहन भाड़े में 25 रुपए प्रति कुन्टल या परिवहन भाड़े का 25 प्रतिशत जो भी कम हो, मण्डी परिषद द्वारा देने का निर्देश दिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि उत्पादकों द्वारा स्वयं प्रदेश के बाहर विपणन हेतु आलू भेजने पर प्रपत्र-6 के स्थान पर खसरा, खतौनी, परिवहन भाड़ा की रसीद, भण्डारण की स्थिति में कोल्ड स्टोरेज की रसीद को सत्यापन का आधार माना जाएगा। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश पोटैटो एक्सपोर्ट फैसिलिटेशन सोसाइटी के तहत ताल ब्राण्ड आलू निर्यात हेतु वर्तमान अवधि को वर्ष 2020 तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया गया है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मण्डी परिषद द्वारा तैयार विभिन्न नियमावलियों को भी स्वीकृति प्रदान करते हुए निर्देशित किया कि इन नियमावलियों का सदुपयोग किसानों को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने में किया जाना चाहिए। जिन नियमावलियों को मंजूरी प्रदान की गई, उनमें मण्डी स्थल, उप मण्डी स्थल, ग्रामीण अवस्थापना केन्द्र रिन में निर्मित दुकानों तथा अन्य परिसम्पत्तियों के आवंटन हेतु नियमावली तथा किसान बाजार संचालन हेतु नियमावली भी शामिल है। आवंटन नियमावली में विशेष रूप से जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आवंटन समिति का गठन, नीलामी में भाग लेने वाले बोली दाताओं की पात्रता आदि नियम एवं शर्तों का उल्लेख किया गया है।
किसानों को मासिक ड्रॉ में दी जाने वाली साइकिल एवं प्रेशर कुकर को उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम से क्रय करने का निर्देश देते हुए श्री यादव ने कहा कि मण्डी समितियों में मुख्य मण्डी समिति से ही एकीकृत लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मण्डी परिषद कार्मिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए 01 अप्रैल, 2005 से मण्डी परिषद के कार्मिकों के लिए नई पेंशन योजना का लाभ प्रदान करने तथा परिषद के वाहन चालकों, चपरासी/चौकीदार आदि पद के कार्मिकों को 01 जनवरी, 1986 से लागू चतुर्थ वेतनमान में सेलेक्शन ग्रेड/समयमान/वेतनमान के स्थान पर छठवें वेतन संरचना में समयमान/वेतनमान/ए0सी0पी0 सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश भी उन्होंने दिए हैं।
इनके अलावा मुख्यमंत्री ने मण्डियों के कम्प्यूटराइजेशन, ऑफिस ऑटोमेशन, ऑनलाइन गेट पास, डिजीटल फॉर्म्स के साथ-साथ नई मण्डियों एवं निर्माणाधीन किसान बाजार की अद्यतन स्थिति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करते हुए झांसी एवं उरई में तिल प्रसंस्करण इकाइयों की शीघ्र स्थापना के निर्देश भी दिए। उन्होंने मण्डी परिषद की विभिन्न योजनाओं की संकलित कॉफी टेबल बुक एवं कृषि विभाग द्वारा तैयार विशेष कैलेण्डर का भी लोकार्पण किया। इस कैलेण्डर में सीजन वार फसलों में लगने वाले रोग एवं अन्य जरूरी जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री ने इस कैलेण्डर को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए।
निदेषक, मण्डी परिषद डा0 अनूप यादव द्वारा अवगत कराया गया कि वर्ष 2015-2016 में मण्डी शुल्क से आय 1161.36 करोड़ रुपये हो गयी है। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 944.00 करोड़ रुपये मण्डी शुल्क से आय एवं मण्डी समितियों की कुल आय 1308.00 करोड़ रुपये होना सम्भावित है। वित्तीय वर्ष 2016-2017 का मण्डी शुल्क का लक्ष्य 1430.00 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया। उन्होंने किसान बाजार के निर्माण, बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत विषिष्ट मण्डी स्थलों एवं ग्रामीण अवस्थापना केन्द्रों के निर्माण कार्यो की प्रगति एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब की प्रगति तथा मण्डी परिषद द्वारा संचालित की जा रही सूचना प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के संचालन के सम्बन्ध में अवगत कराया जिस पर संचालक मण्डल द्वारा संतोष व्यक्त किया गया।