लखनऊः प्रदेश में संचालित निजी क्षेत्र के डिग्री/डिप्लोमा स्तरीय अभियन्त्रण संस्थानों में चल रहे विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों के शुल्क निर्धारण के सम्बंध में प्रदेश सरकार द्वारा पारदर्शी एवं ठोस कदम उठाये गए हैैैं। छात्रहित एवं शिक्षा की गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए विनियमावली-2015 में मानक शुल्क निर्धारित किये जाने का प्राविधान किया गया है। ऐसी संस्थायें जो निर्धारित मानक शुल्क से सहमत हंै, उन्हें शुल्क निर्धारण हेतु समिति के समक्ष आने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह जानकारी देते हुये प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा, श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग ने बताया कि अधिनियम 2006 के अधीन शक्तियों का प्रयोग कर के विभाग द्वारा उ0प्र0 निजी प्राविधिक शैक्षणिक संस्था (प्रवेश का विनियमन और फीस का नियतन) विनियमावली-2015 प्रख्यापित की गयी है।
श्रीमती गर्ग ने बताया कि निजी संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित शिक्षण शुल्क राज्य सरकार द्वारा अनुदानित डिग्रीस्तरीय अभियन्त्रण संस्थानों के लिए निर्धारित शिक्षण शुल्क से भी कम है, जबकि उन संस्थानों को शासन से किसी प्रकार का अनुदान प्राप्त नही होता है एवं निजी स्रोतों द्वारा ही संस्थान का संचालन करना होता है। ऐसे संस्थानों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता/अवस्थापना आदि हेतु समुचित सुविधायें न होने के कारण शिक्षण कार्य की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए प्रदेश में संचालित निजी क्षेत्र की संस्थाओं में फीस में सामान्यतः एकरूपता की दृष्टि से मानक शुल्क का काॅन्सेप्ट लागू किया गया और छात्रहित एवं शिक्षा की गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए विनियमावली-2015 में मानक शुल्क निर्धारित किये जाने का प्राविधान किया गया है।
प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा ने बताया कि मानक शुल्क निर्धारित करने से छात्रों के प्रशिक्षण में सुधार, प्रयोगशालाओं के अपग्रेडेशन एवं सुदृढ़ीकरण तथा उच्चस्तर की योग्य फैकल्टी रखने मेें संस्थाओं के लिए सुविधा होगी तथा न्यूनतम मापदण्ड सुनिश्चित किये जा सकेंगे। मानक शुल्क का निर्धारण कुछ शासकीय अनुदानित एवं गैर अनुदानित संस्थाओं के खर्चों का अध्ययन करके किया जाएगा। इस से राजकीय डिग्री स्तरीय संस्थाओं में निर्धारित शुल्क एवं निजी क्षेत्र की सामान्य फीस में एकरूपता रहेगी। ऐसी संस्थायें जो निर्धारित मानक शुल्क से सहमत है, उन्हंे शुल्क निर्धारण हेतु समिति के समक्ष आने की आवश्यकता नही होगी।
श्रीमती गर्ग ने बताया कि ऐसी संस्थायें जो किसी विशेष पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण में आवश्यक नवीनतम उपकरणों को छात्रहित के लिए क्रय कर रही है या किसी अन्य कारण से मानक फीस से उच्चतर फीस नियत करने के लिए समिति से अनुरोध करती है,तो उनके अनुरोध पर तकनीकी शिक्षा के विकास और इस की गुणवत्ता की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समिति ऐसी संस्था के उच्चतर फीस पर विचार करेगी। यदि कोई संस्था धर्मार्थ प्रकृति की संस्था या परोपकारी कार्यांे में संरतसंस्था या किसी अन्य कारण से मानक फीस से निम्नतर फीस नियत करने का अनुरोध करती है, तो समिति संस्था के निम्नतर फीस पर विचार करेगी।
श्रीमती गर्ग ने यह भी बताया कि जो संस्था समिति द्वारा निर्धारित मानक शुल्क से अधिक या कम शुल्क लेना चाहती है, वह पूरे औचित्य दर्शाते हुए आवश्यक अभिलेखों के साथ अपना प्रस्ताव 30 अक्टूबर तक प्रस्तुत कर सकेगी, जिस पर समिति द्वारा संस्था को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए उस संस्था हेतु अन्तिम फीस का निर्धारण किया जायेगा।