नई दिल्ली: कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने सहयोग के अन्य क्षेत्रों के अंतर्गत हाइड्रोकार्बन और संबद्ध क्षेत्रों में कौशल विकास संबंधी पहलों को बढ़ावा देने के लिए आज यहां एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमएसडीई में सचिव श्री रोहित नंदन और एमओपीएनजी में सचिव श्री के. डी. त्रिपाठी ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र प्रधान और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राजीव प्रताप रूडी की उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि उनका मंत्रालय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र द्वारा देश के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले नए अवसरों के लिए खुद को तैयार कर रहा है, इसलिए सभी योजनाओं को सफल बनाने के लिए कुशल कार्यबल की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस समझौता ज्ञापन के जरिए एमएसडीई के साथ साझेदारी करने से पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अन्वेषण एवं उत्पादन, पाइपलाइन एवं परिवहन, रिफाइनरी एवं विपणन और भविष्य में जुड़ने वाले सेवाप्रदाताओं के लिए तैयार कार्यबल को विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके जरिए हम अपने क्षेत्र और देश के उज्ज्वल भविष्य में निवेश कर रहे हैं।
हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के योगदान का स्वागत करते हुए श्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में रोजगार सृजन की जबरदस्त क्षमता है, इसलिए वर्तमान और भावी दोनों ही जरूरतों को पूरा करने के लिए एक कुशल कार्यबल विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। हाइड्रोकार्बन एसएससी की स्थापना इस दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि आज की भागीदारी के जरिए दोनों ही मंत्रालय इस क्षेत्र के लिए विश्व स्तर के मानक वाले कार्यबल को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि लाखों युवा कौशल विकास कार्यक्रमों के जरिए बेहतर आर्थिक अवसर हासिल करने की कामना कर सकें।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अब औपचारिक रूप से एमएसडीई से हाथ मिला लिया है:
• राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप मौजूदा और संभावित कर्मचारियों के लिए व्यापक कौशल विकास योजनाओं को विकसित करना
• प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत पूर्व में हासिल की जा चुकी प्रवीणता को मान्यता देने के लिए हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के मौजूदा कार्यबल को प्रमाणित करना
• राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप संवर्धन योजना के तहत अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को बढ़ावा देना और इसका स्तर बढ़ाना
• क्षेत्रीय जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु कौशल विकास संस्थानों/उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाना।