स्किल इंडिया ने प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के सहयोग से आज देश भर में 660 से अधिक स्थानों पर एक दिवसीय अप्रेंटिसशिप मेला’ आयोजित किया। इस पहल के तहत लगभग 51,991 प्रशिक्षुओं की भर्ती हो चुकी है। इस कार्यक्रम में 5,000 से अधिक संगठनों की भागीदारी देखी गई जो बिजली, रिटेल, दूरसंचार, आईटी/ आईटीईएस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोटर वाहन आदि 30 से अधिक क्षेत्रों में काम करते हैं। इसके अलावा देश के इच्छुक युवाओं को वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, हाउसकीपर, ब्यूटीशियन, मैकेनिक आदि पदों के साथ-साथ 500 से अधिक कारोबारों (नामित एवं वैकल्पिक) से जुड़ने और संभावनाओं का चयन करने का अवसर मिला।
आवेदकों को अप्रेंटिसशिप मेले में भाग लेने से कई फायदे हुए क्योंकि उन्हें उद्योग में सीधे तौर पर अवसर मिलने के साथ-साथ संबंधित नियोक्ताओं से मौके पर अप्रेंटिसशिप के प्रस्ताव मिले। उन्हें सरकारी मानकों के अनुसार 5,000 से 9,000 रुपये प्रति माह तक मासिक वजीफे की पेशकश की गई। यह उम्मीदवारों के लिए सीखने के दौरान कमाई करने का एक बड़ा अवसर है। उम्मीदवारों को आगे राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) से प्रमाणन हासिल होगा जिससे प्रशिक्षण के बाद उनके रोजगार की संभावना बढ़ जाएगी।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि मंत्रालय को अप्रेंटिसशिप मेले के दौरान उम्मीदवारों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है जो भारत के युवाओं को बाजार के लिए प्रासंगिक कौशल में पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को उजागर करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस आयोजन के दौरान लगभग 52,000 प्रशिक्षुओं की भर्ती के साथ हम ‘स्किल्ड इंडिया’ के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए देश में कौशल मानकों को बढ़ाने में समर्थ होंगे। उन्होंने भर्ती किए गए सभी अप्रेंटिस को बधाई दी जिन्हें इस आयोजन के दौरान 5,000 से अधिक संस्थानों से जुड़ने का अवसर मिला। जहां तक मांग आधारित कौशल प्रदान करने और नियोक्ताओं के यहां तकनीकी कौशल संबंधी खाई को पाटने की बात है तो अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण कौशल विकास का सबसे स्थायी मॉडल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार की पहल को आगे बढ़ाते हुए हम संगठनों और उम्मीदवारों को अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण के लाभों को पूरी क्षमता से हासिल करने और सीखने के दौरान कमाई आधारित व्यवस्था में नवाचार करने में मदद करेंगे।
प्रशिक्षण महानिदेशालय की महानिदेशक (प्रशिक्षण) नीलम शम्मी राव ने कहा कि बदलते बाजार परिदृश्य और उद्योग के उभरते नए स्वरूप के बीच हमारे युवाओं को भविष्य के रोजगार के लिए तैयार करने के लिए अप्रेंटिसशिप एक महत्वपूर्ण घटक बनता जा रहा है। उन्होंने अप्रेंटिसशिप मेले के दौरान अवसर हासिल करने वाले सभी अप्रेंटिस को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।
यह आयोजन उन तमाम संस्थानों की भागीदारी के लिए भी एक प्रमुख अवसर था जिन्हें एक साझा मंच पर संभावित अप्रेंटिस से मिलने का मौका मिला। यहां वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उम्मीदवारों का चयन कर सकते थे। इस कार्यक्रम में रेलवे, ओएनजीसी, टाटा, मारुति उद्योग जैसे प्रमुख संस्थानों के अलावा कई अन्य लोगों ने भाग लिया। इसके अलावा कम से कम चार कामकाजी सदस्यों वाले लघु उद्योगों ने भी इस कार्यक्रम के दौरान अप्रेंटिस की भर्ती की।
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले उम्मीदवारों में 5वीं से 12वीं पास छात्र, कौशल प्रशिक्षण प्रमाणपत्र धारक, आईटीआई छात्र, डिप्लोमा धारक और स्नातक शामिल थे।
कौशल विकास और उद्यमिता की राष्ट्रीय नीति 2015 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू 15 जुलाई, 2015 को शुरू की गई थी। इसके तहत अप्रेंटिसशिप को पर्याप्त मुआवजे के साथ कुशल कार्यबल को लाभकारी रोजगार प्रदान करने के साधन के रूप में मान्यता दी गई है। एमएसडीई ने देश में विभिन्न उद्यमों द्वारा काम पर रखे गए अप्रेंटिस की संख्या बढ़ाने के लिए भी कई प्रयास किए हैं। इसका उद्देश्य कुशल कार्यबल के लिए आपूर्ति और मांग में अंतर को पाटना और मौके पर प्रशिक्षण एवं भर्ती के जरिये रोजगार के बेहतर अवसर सुनिश्चित करते हुए भारतीय युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना है।
एमएसडीई ने देश में अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण में अधिक से अधिक भागीदारी बढ़ाने के लिए अप्रेंटिसशिप नियमों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। ये सुधार इस प्रकार हैं:
- अप्रेंटिस को नियुक्त करने की ऊपरी सीमा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत की गई।
- अप्रेंटिस को नियुक्त करने की अनिवार्य बाध्यता वाले संस्थान के लिए आकार की सीमा को 40 से घटाकर 30 किया गया।
- प्रथम वर्ष के लिए वजीफा का भुगतान न्यूनतम वेतन से जोड़ने के बजाय निर्धारित किया गया है। दूसरे और तीसरे वर्ष के लिए वजीफा में 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।
- वैकल्पिक व्यापार के लिए अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण की अवधि 6 महीने से 36 महीने तक हो सकती है।
- उद्योग के पास खुद के अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को डिजाइन और कार्यान्वित करने का विकल्प होगा।
- राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस) के तहत प्रतिष्ठान/ उद्योग अप्रेंटिस को दिए गए वजीफे के 25 प्रतिशत तक की प्रतिपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं।