नई दिल्ली: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और इस्पात और खान मंत्रालय ने आज यहां कौशल विकास के एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर दोनों क्षेत्रों की मानव संसाधन की वृद्धि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किए गए। एमएसडीई इस साझेदारी को प्रशिक्षण महानिदेशालय राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के जरिए लागू करेगा। इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि मंत्रिमंडल ने हाल ही में कौशल विकास और उद्यमिता की राष्ट्रीय नीति को मंजूरी दी है और इससे मंत्रालय को सभी केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ योजनाबद्ध कौशल पहलों में समानता बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन के साथ ही मंत्रालय केन्द्रीय इस्पात और खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर की मदद से इस्पात और खान उद्योग में कुशल कामगारों की जरूरत पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों मंत्रालय मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि उद्योग के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे के मानक तैयार कर लिए जाएं ताकि ये आत्मनिर्भर और प्रगतिशील उद्योग बन सकें और विश्वस्तर पर अधिक अवसर पैदा कर सकें।
श्री रूड़ी ने कहा कि मंत्रालय खान और कोयला क्षेत्र में काम कर रहे करीब 5 लाख लोगों के लिए “पूर्वगामी अध्ययन को मान्यता” का काम हाथ में लेगा। खनन क्षेत्र के लिए कौशल परिषद की खनन उद्योग के करीब 4.50 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने की योजना है ताकि 10 वर्ष की अवधि में इन्हें रोजगार देने लायक बनाया जा सके। इनमें 50,000 नए लोग भी शामिल होंगे।
उद्योग के विकास को दिशा देते हुए इस्पात और खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कौशल विकास के लिए एक त्रिस्तरीय ढांचा अपनाया जाना चाहिए ताकि देश की जरुरतों को पूरा किया जा सके। सबसे पहले हमें क्षेत्रों में आवश्यकता पर आधारित कौशल की जरूरतों का अल्प अवधि और दीर्घअवधि के आधार पर आकलन करना चाहिए। इसके बाद हमें अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम उद्योग तथा सहायक उद्योग की जरूरतों के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटे पैमाने पर अलग काम करने की बजाय हमें बड़े पैमाने पर मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने इस्पात और खान मंत्रालय को सहायता प्रदान करने के लिए श्री राजीव प्रताप रूड़ी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज हुए समझौते को समर्थन देने के लिए उनके मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वे प्रोत्साहित करेंगे।
2014 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार कुशल श्रमिकों की पर्याप्त संख्या अकेले इस्पात उद्योग के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है। जिसके लिए ऐसे 2.85 लाख और श्रमिकों की जरूरत पड़ेगी ताकि 10-12 वर्षों में 300 मिलियन टन की वार्षिक क्षमता को तीन गुना किया जा सके।
ये समझौता ज्ञापन प्रधानमंत्री के “स्किल इंडिया” विजन को आकार देने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम है। स्किल इंडिया की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 जुलाई को करेंगे।