नई दिल्ली: नीति आयोग में कौशल विकास के लिए मुख्यमंत्रियों के उप-समूह की निर्णायक बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता उप-समूह के संयोजक और पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने की। बैठक में असम, छत्तीसगढ़, मेघालय, त्रिपुरा और गोवा के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। बैठक में ओडिशा के रोजगार, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्री भी उपस्थित थे।
बाकी सदस्य राज्यों, जैसे गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और पुदुचेरी का प्रतिनिधित्व वहां के आला अधिकारियों ने किया। बैठक में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के सारस्वत और अन्य आला अधिकारी भी उपस्थित थे। नीति आयोग की कार्यकारी अधिकारी श्रीमती सिंधुश्री खुल्लर ने सदस्यों के सामने रिपोर्ट के मसौदे की सिफारिशें पेश कीं।
विकेंद्रीकृत तरीके से राज्य स्तर पर कौशल विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य कौशल विकास अभियानों को मजबूत बनाने और उन्हें अधिकार संपन्न करने के लिए बैठक में चर्चा की गई ताकि कौशल विकास तक पहुंच में सुधार लाया जा सके। महिलाओं और अन्य सामाजिक-आर्थिक समूहों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी बैठक में जोर दिया गया। बैठक में सुझाव दिया गया कि उद्यमशीलता विकास के लिए उसे बाजार से जोड़ा जाए और उचित ऋण व्यवस्था की जाए ताकि रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त हो। उप-समूह ने इस आवश्यकता को रेखांकित किया है कि प्रशिक्षकों के अभाव को दूर करने के लिए उद्योगों और भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों, भारतीय प्रबंधन संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों जैसे राष्ट्रस्तरीय संस्थानों का सहयोग लिया जाए। निर्णय किया गया कि आज की बैठक में सदस्य राज्यों द्वारा दिए गए अतिरिक्त सुझावों को शामिल करने के बाद एक पखवाड़े के अंदर प्रधानमंत्री के समक्ष अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
उल्लेखनीय है कि कौशल विकास पर नीति आयोग उप-समूह के गठन का निर्णय 8 फरवरी, 2015 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक में किया गया था। उप-समूह में असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, पुदुचेरी तमिलनाडु और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सदस्य हैं।