नई दिल्ली: मेनका संजय गांधी ने आज यहां एक समारोह में बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के संबंध में पुलिस के लिए कानूनी प्रक्रियाओं पर पुस्तिका लांच की।
इस अवसर पर श्रीमती मेनका संजय गांधी ने सभी हितधारकों से बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों को रोकने और उनसे निपटने में एकता बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं और बच्चों पर होने वाली हिंसा से मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। महिला और बाल विकास मंत्रालय प्रत्येक थाने में प्राथमिक रूप से स्थानीय भाषाओं में यह पुस्तिका सुनिश्चित करने के लिए चिन्हित हितधारकों के साथ घनिष्टता से कार्य करेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सर्वाधिक संभव तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक कदम उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों से पेशेवर दृष्टि से और होशियारी से निपटने में महत्वपूर्ण आवश्यकता पुलिस एजेंसियों तथा अन्य संगठनों को सशक्त और कौशल संपन्न बनाने की है।
श्रीमती मेनका संजय गांधी ने चाइल्ड लाइन और रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की विस्तृत चर्चा की। इन सेवाओं से खोये हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में बहुत सफलता मिली है। बच्चों को अच्छी और बुरी बातों के बारे में संवेदी बनाने के लिए एक लघु वित्त चित्र ‘कोमल’ जारी किया गया है। किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन करके 16 वर्ष की आयु के किशोर को घृणित अपराधों की सुनवाई के लिए वयस्क माना गया है। उन्होंने भारत में फॉरेन्सिक प्रयोगशालाओं के महत्व पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष औसत 2000 बलात्कार मामलों की जांच के लिए पांच नए फॉरेन्सिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने प्रत्येक थाने में बलात्कार जांच उपकरण की आवश्यकता जताई ताकि प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा सके। इस विषय को मानव संस्थान विकास मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है ताकि बच्चों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी पाठ्यपुस्तिका के पहले और अंतिम पन्ने पर पॉक्सो संबंधी कानूनों को प्रिंट किया जा सके। उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए ई-बॉक्स शिकायत प्रणाली की चर्चा की।
महिला और बाल विकास मंत्री ने यह आशा व्यक्त की कि यह पुस्तिका बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के बारे में कानूनों, नियमों, व्यवस्थाओं तथा संबंधित प्रावधानों में एंड यूजर के कौशल को बढ़ाने में औजार साबित होगी।
पुस्तिका मिश्रित उपकरण है, जो बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के मामले में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया कदम-दर-कदम तय करने में पुलिसकर्मियो को मदद देगी। इस पुस्तिका में विधेयकों और अदालतों की नवीनतम व्यवस्थाओं की भी चर्चा की गई है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) के डॉक्टर पी. एम. नायर ने यह विस्तृत उपयोगकर्ता अनुकूल प्रक्रिया वाले दस्तावेज को विकसित किया है, जिसे टीआईएसएस के साथ पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) द्वारा प्रकाशित किया गया है।