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सामाजिक समरसता के अभाव में सामाजिक नवाचार संभव नहीं: उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री मोहम्‍मद हामिद अंसारी ने कहा है कि सामाजिक समरसता के अभाव में सामाजिक नवाचार संभव नहीं है। वे आज पुणे में सामाजिक नवाचार पर तीसरे राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को सम्‍बोधित कर रहे थे। सम्‍मेलन का आयोजन पुणे अंतर्राष्‍ट्रीय केन्‍द्र (पीआईसी) ने किया था। समारोह में महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल श्री सी. विद्यासागर राव, पुणे के प्रभारी मंत्री श्री गिरीश बापट, पीआईसी के अध्‍यक्ष डॉ. आर.ए. माशेल्‍कर सहित अन्‍य विशिष्‍ट जन उपस्थित थे।

सामाजिक नवाचार का ‘समानता, न्‍याय एवं अधिकारिता संबंधी सामाजिक चुनौतियों के नवीन हल’ के रूप में उल्‍लेख करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि अस्तित्‍व और कल्‍याण के लिए आर्थिक उन्‍नति आवश्‍यक है, लेकिन इसे हमारे सामने उपस्थित सामाजिक चुनौतियों से निपटने के उपायों के तौर पर भी प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि हर समा‍ज की तरह हमारे समाज में भी सौहार्द्र और समरसता की अहम भूमिका है।

उपराष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि सामाजिक पृष्‍ठभूमि के विषय में कार्य करना जरूरी है, ताकि समाज की सर्वोत्तम गतिविधियों का विकास हो सके और समाज में समानता, न्‍याय और अधिकारिता कायम हो सके। उन्‍होंने कहा कि यह इसलिए आवश्‍यक है क्‍योंकि आज सामाजिक सहमति को लेकर चिंता है और विविधता तथा मतभेद को लेकर असहिष्‍णुता उभरी है।

उपराष्‍ट्रपति ने इस बात पर चिंता व्‍यक्‍त की कि नवाचार के मद्देनजर भारत की लम्‍बी परंपरा रही है और भारत ने हाल में कई अभिनव प्रयोग किये हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में पीछे है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश में नवाचार को प्रोत्‍साहन देने के लिए विभिन्‍न योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किये हैं तथा नवाचार के लिए माहौल तैयार करने संबंधी हमारी शिक्षा प्रणाली को दुरुस्‍त करने पर सरकार बल दे रही है।

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