गांधीनगर: लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण के लिए गुजरात में भी 23 अप्रैल को वोटिंग हुई। इस बार भी यहां सैकड़ों ऐसे लोग मतदान करने पहुंचे, जिन्हें पहली बार मताधिकार मिला था। ये लोग पाकिस्तान से भागकर हिंदुस्तान में शरण लिए थे, सरकार ने इन्हें यहां की नागरिकता प्रदान की। इन लोगों में पाकिस्तान सरकार के एक पूर्व मंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने बीते रोज देश के लोकसभा चुनाव में पहली बार हिस्सा लिया। उनकी पहचान रामसिंह सोढा के रूप में हुई है, जो कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में विधायक थे और मंत्री भी रहे। सालों पहले पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान आए हिंदुओं में से एक रामसिंह ने पहले मोरबी में शरण ली। इसके बाद वे कच्छ के नखत्राना में बस गए।
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री ने इस बार भारत में डाला वोट
सरकार से भारतीय नागरिकता मिलने के बाद चुनाव आयोग ने सोढ़ा समेत सैकड़ों लोगों को वोटर आईडी प्रोवाइड कराई। जिसके बाद उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव में मतदान किया है। उन्हें हिंदुस्तान के मताधिकार सहित सरकारी सुविधाओं का अधिकार भी मिला है। बता दें कि, रामसिंह सोढ़ा पाकिस्तान में, वर्ष 1985 के दौर में मुख्यमंत्री गौस अली शाह के नेतृत्व वाली कैबिनेट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री थे। वहां उनके विधानसभा क्षेत्र में हिंदू अल्पसंख्यक थे।
यह बताई पाकिस्तान छोड़ने की वजह
वैसे सोढ़ा पेशे से वकील रहे हैं। उन्होंने आत्मकथा भी लिखी है। मोरबी में शरण लेने के बाद, उन्होंने पाकिस्तानी सरकार को इस्तीफा भेज दिया था। पाकिस्तान छोड़ने के बारे में उनका कहना कि सामाजिक मुद्दों के कारण वो मुल्क छोड़ा। वह अब भारत के नागरिक हैं, उन्हें भारत में लोकसभा चुनाव में मतदान करने पर गर्व है।
पाक से कच्छ में बसे 90 लोगों ने पहली बार वोट डाले
सोढ़ा समेत पाकिस्तान से आए कुल 90 लोगों ने जिस सीट पर पहली बार मतदान किया, वह लोकसभा सीट है कच्छ। इन 90 लोगों के अलावा कुछ पाकिस्तानी भी ऐसे भी हैं, जिन्होंने अहमदाबाद में मतदान किया है। हालांकि, कई नागरिक मतदान से वंचित रह गए, क्योंकि उन्हें मतदान का अधिकार नहीं मिला है। कच्छ में अभी भी कई पाकिस्तानी हैं जिन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई है, लेकिन उन्हें अभी तक वोट देने का अधिकार नहीं मिला है।
ऐसे मिली शरणार्थियों को नागरिकता
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले पाकिस्तानियों को यहां सरकार एवं चुनाव आयोग द्वारा आधार कार्ड, चुनाव कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस सहित दस्तावेज मुहैया कराए हैं। बता दें कि, 1971 के युद्ध के बाद से पाकिस्तान से हजारों हिंदू पलायन कर भारत पहुंचे। ज्यादातर शरणार्थियों को दीर्घकालिक वीजा दिया गया और उन्हें कच्छ में रहने दिया गया। डेढ़ दशक तक रहने के बाद, उन्हें भारत के नागरिक के रूप में गिनने के लिए दस्तावेज़ दिए जाने लगे। वर्ष 2016 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजपत्र प्रकाशित करके भारतीय नागरिकता नीति को आसान बनाया। जहां कच्छ के 89 नागरिकों को नागरिकता मिली। source: oneindia