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सॉयल हेल्‍थ कार्ड (एसएचसी)

देश-विदेश

नई दिल्ली: योजना के बारे में

वर्तमान में किसानों द्वारा प्राथमिक पोषक तत्‍वों (एनपीके) के लिए सामान्‍य उर्वरक सिफारिशों का अनुसरण किया जाता है। तथापि, गौण एवं सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों को प्राय: अनदेखा किया जाता है इस कारण सल्‍फर, जिंक और बोरोन जैसे पोषक तत्‍वों की कमी हो जाती है।

यह खाद्य उत्‍पादकता बढ़ाने में एक बाधक घटक हो गया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए, भारत सरकार सॉयल जांच आधारित संतुलित एवं उचित रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ-साथ जैव उर्वरकों और स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध जैविक खादों को बढ़ावा दे रही है।

भारत सरकार सॉयल जांच प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करने/स्‍थापित करने के लिए राज्‍य सरकारों को सहायता उपलब्‍ध कराती है। कुछ राज्‍यों ने सॉयल हेल्‍थ कार्ड जारी किए परंतु इसमें राज्‍यों के बीच नमूने लेने, जांच करने और सॉयल हेल्‍थ कार्ड वितरण करने में कोई समान प्रतिमान नहीं थे। यह पहली बार है जब भारत सरकार ने सॉयल प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा देने और सॉयल स्‍वास्‍थ्‍य को पुन: स्‍थापित करने के लिए सॉयल हेल्‍थ कार्ड योजना प्रारंभ की है जो तीन वर्ष की अवधि में एक बार 14 करोड़ जोतों को कवर करेगी।

एसएचसी योजना राज्‍य सरकारों को सॉयल हेल्‍थ कार्ड जारी करने और सेवा सुपुर्दगी सुधारने के लिए एक डाटा बेस विकसित करने हेतु भी सहायता उपलब्‍ध कराएगी। यह वर्तमान में चल रही स्‍कीमों में तीव्र तथा निम्‍न लागत के निदान तकनीकों, मोबाइल प्रयोगशालाओं, पोर्टेबल सॉयल परीक्षण कीट तथा रेफरल प्रयोगशालाओं में क्षमता निर्माण/सुदृढ़ीकरण को बढ़ावा देता है। यह पोषक तत्‍वों में कमी के निदान एवं प्रबंधन तथा वैज्ञानिक विशेषज्ञता की व्‍यवस्‍था हेतु उन्‍नत तथा लक्षित दिशा निर्देश प्रदान करता है।

राष्‍ट्रीय सहमति के प्रतिमान/मानक 10 हैक्‍टेयर वर्षा सिंचित क्षेत्रों से और 2.5 हैक्‍टेयर सिंचित क्षेत्रों से सॉयल नमूने संकलन के लिए प्रयुक्‍त किया जाएगा। किसानों से 2.53 करोड़ नमूने संकलित किए जायेंगे और तीन वर्ष में एक बार 14 करोड़ एसएचसी तैयार करने के लिए इनका परीक्षण किया जाएगा। वर्ष 2015-16 के लिए 84 लाख नमूनों का लक्ष्‍य है जिसकी तुलना में 34 लाख नमूनें पहले से एकत्रित किए जा चुके हैं।

कृषि एवं सहकारिता विभाग मानव श्रम तथा सॉयल परीक्षण अवसंरचना को सशक्‍त करने के लिए आईसीएआर तथा साथ ही राज्‍य सरकारों से संसाधन एकत्रित कर रहा है। इस तरह सभी आईसीएआर संस्‍थान जिसमें केवीके, राज्‍य सरकार प्रयोगशालाएं तथा राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालय शामिल है, इस महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। “सीखते हुए कमाओ” बैनर के तहत विज्ञान महाविद्यालयों तथा सामान्‍य विश्‍विद्यालयों के रसायन विभागों के विद्यार्थियों द्वारा भाग लेने का भी प्रस्‍ताव है। इस संबंध में उपयुक्‍त दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

2.0 एसएचसी साफ्टवेयर:

इस योजना के अंतर्गत, सॉयल नमूनों के पंजीकरण, नमूनों के जांच परिणामों के रिकार्डिंग और उर्वरक सिफारिशों के साथ-साथ सॉयल हेल्‍थ कार्ड तैयार करने के लिए सॉयल हेल्‍थ कार्ड पोर्टल विकसित किया गया है। यह एकमात्र, जेनरिक, समान, वैब आधारित साफ्टवेयर है जिसके लिए यूआरएल www.soilhealth.dac.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है। यह निम्‍नलिखित माडयूलों (I) सॉयल नमूने पंजीकरण (II) सॉयल जांच प्रयोगशाला द्वारा जांच परिणाम प्रविष्‍टि (III) एसटीसीआर और जीएफआर पर आधारित उर्वरक सिफारिशों (IV) उर्वरक सिफारिश एवं सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों के सुझावों के साथ-साथ सॉयल हेल्‍थ कार्ड तैयार करने (V) प्रगति की निगरानी करने के लिए एमआईएस माड्यूल के साथ एक कार्य प्रवाह आधारित प्रणाली है।

यह समान रूप से कोड अपनाने को बढ़ावा देता है जैसे स्‍थान के लिए गणना कोड। प्रणाली में नमूने का पता लगाने की विशेषता है और यह किसानों को एसएमएस और ई-मेल के माध्‍यम से नमूना पंजीकरण और सॉयल हेल्‍थ कार्ड उत्‍पन्‍न करने के बारे में अलर्ट प्रदान करता है।

सॉयल हेल्‍थ कार्ड पोर्टल का उद्देश्‍य, आईसीएआर द्वारा विकसित मृदा परीक्षण- फसल अनुक्रिया (एसटीसीआर) फार्मूला या राज्‍य सरकारों द्वारा प्रदान की गई सामान्‍य उर्वरक सिफारिशों के आधार पर सॉयल हेल्‍थ कार्ड तैयार करना एवं इसे जारी करना है। परीक्षण के परिणाम के आधार पर, यह प्रणाली स्‍वत: सिफारिश गणना करेगी। यह प्रणाली सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों का भी सुझाव देगी।

प्रणाली में, अनुसंधान और नियोजन में भविष्‍य के लिए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य पर एकल राष्‍ट्रीय डाटाबेस का निर्माण करना परिकल्‍पित है। 

3.0 वित्त पोषण:   इस योजना के क्रियान्‍वयन के लिए 12वीं योजना के दौरान 568.54 करोड़ रू० व्‍यय की मंजूरी दी गई है। वर्तमान वर्ष (2015-16) के लिए 96.46 करोड़ रूपये (केंद्रीय अंश) का आवंटन किया गया है। इस योजना का क्रियान्‍वयन 50:50 केन्‍द्रीय एवं राज्‍य सरकारों के योगदान के आधार पर किया जाएगा।

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