नई दिल्ली: केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऊर्जा
हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के लिए एक बहु-पक्षीय अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना हमारी चिंताओं को दर्शाता है। महरत्ता वाणिज्य चैंबर और पुणे अंतर्राष्ट्रीय केंद्र द्वारा आयोजित एक व्याख्यान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अमरीका का दबाव और अवरोध भारत को स्वीकार्य नहीं होगा। स्वच्छ ऊर्जा पर अमरीका के दावों की आलोचना करते हुए श्री गोयल ने कहा कि अमेरिका ने इस दिशा में नगण्य योगदान दिया है। भारत के सौर ऊर्जा सृजन कार्यक्रम को विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक बताते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में ऊर्जा को बचाने की जबरदस्त क्षमता है। श्री गोयल ने कहा कि पुणे के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सौर ऊपायों को अपनाने के लिए उद्योगों को एक मजबूत कदम उठाने की जरूरत है। श्री गोयल ने कहा कि सौर ऊर्जा की लागत जीवाश्म ईंधनों पर आधारित पारंपरिक ऊर्जा से सस्ती है और इसका शुल्क भी 25 वर्षों के लिए समान ही रहता है। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होता है और जिन पर बाह्य एजेंसी का नियंत्रण नहीं होता।
770 मिलियन सामान्य बल्बों को अत्यंत कुशल एलईडी बल्बों से बदलने के महत्वकांक्षी कार्यक्रम पर मंत्री महोदय ने कहा कि अद्यतन 9 करोड़ से ज्यादा बल्बों को बदला जा चुका है और ईईएसएल कंपनी प्रतिदिन 7 लाख बल्बों को बदलने का अद्भुत काम कर रही है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष में 100 बिलियन यूनिटों की बचत होगी और उपभोग्ताओं के संचयी बिलों में 40 हजार करोड़ रूपये तक की कमी आयेगी एवं सीओ2 उत्सर्जन में भी प्रति वर्ष 60 मिलियन टन की कमी होगी। श्री गोयल ने कहा कि ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं हैं। श्री गोयल ने कहा कि भारत मुश्किल से 2.5 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है लेकिन अमरीका जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अत्यंत अल्प उपाय कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम दबाव के कारण कदम नहीं उठा रहे हैं बल्कि वैश्विक मूल्य को पहचानने की अपनी चेतना के कारण ऐसा कर रहे हैं।