लखनऊः सौर ऊर्जा पृथ्वी पर सबसे प्रचुर ऊर्जा संसाधन है। यह एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है और हमारी स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। फोटोवोल्टिक प्रभाव की अवधारणा पर सिलिकान सौर पैनल तन्त्र सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करते हैं और इससे बिजली पैदा होती है।
औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में तेजी से विकास करता उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा के उत्पादन में सिंचाई विभाग के विशाल जलाशयों की ऊपरी सतह का इस्तेमाल करके गाइड की भूमिका में है। मौजूदा उत्तर प्रदेश की सरकार के प्रयासों से पानी पर तैरती सौर ऊर्जा के संकल्प को साकार करने की अनूठी पहल की जा रही है।
सिंचाई विभाग प्रदेश में 74659.57 किमी लम्बी नहर प्रणालियों, 33846 सरकारी नलकूपों, 29 पम्प नहरों, 252 लघु डाल नहरों तथा 69 जलाशयों के माध्यम से लगभग 98.48 लाख हे0 क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सिंचाई विभाग के बांधों, जलाशयों, नहरों के पास खाली पड़ी जमीनों का उपयोग किया जायेगा।
फ्लोटिंग सौर ऊर्जा उत्पादन में सोलर पैनल इन्स्टालेशन एक ऐसे स्ट्रक्चर पर लगा होता है, जो पानी की सतह पर तैरता है। फ्लोटिंग सोलर प्लांट जलाशयों, औद्योगिक पूलों तथा छोटी झीलों पर भी स्थापित किये जा सकते हैं। सिंचाई विभाग सौर ऊर्जा से राजकीय नलकूपों पम्प हाउसों तथा नहर प्रणालियों को संचालित किये जाने की योजना बनायी है।
सिंचाई विभाग, बिजली विभाग का एक बड़ा उपभोक्ता है प्रतिवर्ष 3हजार करोड़ रूपये की बड़ी धनराशि बिजली विभाग को अदा की जाती है। सौर ऊर्जा के उत्पादन से वित्तीय बचत होगी और सिंचाई प्रणालियों को बिना बाधा के संचालित करने में मदद मिलेगी।
सोलर पैनल स्थापित करने से सिंचाई विभाग की मूल्यवान भूमि की बचत होगी तथा मछली या जलाशयों के पक्षियों के लिए कोई रूकावट नहीं आयेगी । इसके अलावा पानी के वाष्पीकरण की गति धीमी होने से सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी की बचत होगी। इसके साथ ही पारिस्थितिकीय तंत्र को कोई हानि नहीं होगी।
जलाशय पर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने की पहल से उत्तर प्रदेश में यह अभिनव प्रयोग होगा। पी.पी.पी. माडल पर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा प्लांट निर्माण तथा पैदा की जाने वाली सौर ऊर्जा के पारेषण तथा मीटरिंग आदि का पूरा व्यय उत्पादक फर्म द्वारा किया जायेगा, जिसका चयन सेकी द्वारा किया जायेगा।
पानी पर तैरती सौर ऊर्जा के अभिनव प्रयोग को मूर्त रूप देने के लिए सिंचाई ऊर्जा एवं नेडा संयुक्त रूप से पूरे प्रदेश में सिंचाई विभाग की जमीनों का सर्वे करेगे और सोलर पैनल लगाने के लिए स्थानों को चिन्हित करेंगे। इसके लिए अपर मुख्य सचिव सिंचाई/सचिव सिंचाई की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी और सिंचाई तथा ऊर्जा विभाग के नोडल अधिकारी भूमि चिन्हित करने का कार्य सम्पादित करेंगे।
बुन्देलखण्ड के ललितपुर एवं झांसी क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए उपयुक्त बांध भी हैं। जिसमें माताटीला, गोविन्द सागर, शहजाद,लहचुरा, सजनम, जामिनी, रोहिणी, खपरार, सपरार तथा पहुंज शामिल हैं। सिचाई विभाग बहुत तेजी से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कार्य कर कर रहा है। अधिकारियों का एक दल इस वर्ष गुजरात तथा अन्य प्रदेशों में तकनीकी जानकारी के लिए भेजा गया था। उम्मीद है कि सौर ऊर्जा उत्पादन की कार्यवाही आने वाले समय में पूरी कर ली जायेगी। इस प्रकार सस्ती , सुरक्षित ग्रीन एनर्जी उत्पादन का संकल्प साकार हो जायेगा।