देहरादून: मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने गुरूवार को सचिवालय में शीशमबाड़ा सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के बारे में बैठक की। बैठक में मेयर देहरादून विनोद चमोली, विधायक सहसपुर सहदेव पुंडीर, ब्लाक प्रमुख, ग्राम प्रधान और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल थे। अति आधुनिक तकनीक से प्रस्तावित इस वैज्ञानिक भूमि भरण ईकाई के बारे में प्रस्तुतीकरण किया गया। बैठक में जनप्रतिनिधियों की आपत्तियों और शंकाओं का समाधान किया गया। समझाने की कोशिश की गयी कि इस प्लांट के बनने से जनजीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ेगा।
बैठक में बतया गया कि इस प्लांट के पर्यावरण प्रभाव आकलन कर लिया गया है। ईएसी (एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी), वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड, एनजीटी से अनुमति प्राप्त) कर ली गयी है। यह भी सुनिश्चित कर लिया गया है कि इस प्लांट से किसी भी तरह का वायु, जल प्रदुषण नहीं होगा। स्पष्ट किया गया कि टिपींग फ्लोर से अपशिष्ट को आर्गनिक और इन आर्गनिक रूप में अलग किया जायेगा। आर्गनिक पदार्थ से कम्पोस्ट खाद बनाई जायेगी। बताया गया कि ‘‘वेस्ट दू बाय प्रोडक्ट’ के सिद्धांत पर प्रस्तावित इस प्लांट में 20 मीटर का बफर जोन भी बनाया गया है। इस प्लांट का पानी प्लांट के परिसर में विकसित ग्रीन बेल्ट की सिंचाई के प्रयोग में लाया जायेगा। इसका पानी नदी में नहीं जायेगा। भरोसा दिलाया गया कि आसन नदी की पवित्रता और वर्तमान स्वरूप पर इसका कोई असर नहीं पडे़गा। यह भी साफ किया गया कि 2006 में इसे बंजर भूमि घोषित किया गया था। नदी से 300 मीटर दूरी पर स्थित है। मुख्य सचिव ने भरोसा दिलाया कि फिर से इसका परीक्षण करा लिया जायेगा। उन्होने निर्देश दिए कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इसी तरह का सालिड वेस्ट मैनेजमेंट दिखाने के लिए हैदराबाद का भ्रमण कराया है। गौरतलब है कि इस तरह के उच्च तकनीक पर आधारित प्लांट देश में केवल 7 स्थानों पर हैं।
बैठक में डीएम देहरादून रविनाथ रमन, एसएसपी सदानंद दाते, एमएनए नितिन भदौरिया और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।