उभरता उतराखण्ड उन्नत उतराखण्ड
उत्तराखण्ड सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है। नीति आयोग और एसोचैम द्वारा भी इसकी पुष्टि की गई है। उत्तराखण्ड ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में भी अग्रणी राज्य हैं। राज्य की प्रति व्यक्ति, औसत आय तेजी से आगे बढ़ रही है और राष्ट्रीय औसत से लगभग दो गुना है। राज्य की वार्षिक विकास दर 13 प्रतिशत के लगभग है। औद्योगिक विकास दर लगभग 16 प्रतिशत व सेवा क्षेत्र में विकास दर 12 प्रतिशत है। निवेश को आकर्षित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है। बहुत से निवेशकों ने राज्य की ओर रूख भी किया है। आने वाले समय में इसका बड़ा परिणाम देखने को मिलेगा।
युवा उत्तराखण्ड, विकासोन्मुख उत्तराखण्ड
वर्तमान वित्तीय वर्ष में 30 हजार से अधिक पदों पर होंगी नियुक्तियां। 16 हजार से अधिक पदों पर की जा चुकी हैं नियुक्तियां। 50 हजार युवाओं को बनाया जाएगा उद्यमी। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी स्वरोजगार योजना के लिए 10 करोड़ रूपए का स्टार्ट अप फण्ड। पारम्परिक शिल्पकारों व एससी के एक हजार युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। युवाओं में नेतृत्व क्षमता व उनके शारीरिक विकास के लिए ‘‘उत्तराखण्ड राज्य युवा नेतृत्व एवं शारीरिक विकास योजना‘‘ को मंजूरी। सौर ऊर्जा आधारित सूर्योदय स्वरोजगार योजना का शुभारम्भ किया गया। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के तहत 2000 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाय। छप्म्ैठन्क् के माध्यम से जनजाति के युवक एवं युवतियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार अथवा स्वरोजगार। अगले तीन वर्ष में 1 लाख युवाओं को पर्यटन रोजगार से जोड़ने की एक ठोस कार्य नीति। राज्य के ग्रामीण युवाओं में स्किल डेवलपमेंट के लिए ग्रामीण आजीविका प्रशिक्षण कार्यक्रम।
सामाजिक सुरक्षा-पेंशन बनी अधिकार
उत्तराखण्ड आज देश में सेवानिवृत कर्मचारियों के अलावा पेशागत आधार पर पेन्शन देने वाला पहला राज्य। पेंशन से लाभार्थियों की संख्या 2.25 लाख से बढ़कर 7 लाख 25 हजार से अधिक हो गई है। पेंशन की राशि बढ़ाकर 1 हजार रूपए प्रति माह की गई। किसान पेन्शन, पुरोहित पेन्शन, कलाकार पेन्शन, पत्रकार पेन्शन, शिल्पी पेन्शन, निर्माणकर्मी पेन्शन आदि के साथ बाजीगरों एवं जगरियों को पेन्शन योजना में समाहित कर सभी कर्मकारों-सृजनकारों को सम्मानित करने का प्रयास। विधवा, वृद्धावस्था एवं विकलांग पेन्शन से आगे बढ़कर अक्षम व परित्यकत्ता नारी, विक्षिप्त व्यक्ति की पत्नी, बौने व्यक्तियों, और जन्म से विकलांग बच्चों को लिया पोषण भत्ते के दायरे में।
फिर लहलहाएंगे खेत खलिहान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कृषक अंश प्रीमियम पर राज्य सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान। परम्परागत फसलों मंडुवा, रामदाना, फाफर, गहत/कुल्थी, काला भट्ट व तोर/अरहर पर उत्पादन बोनस। माल्टा, नींबू पैठा, लौकी, तूमड़ा व कद्दू को भी बढ़ावा। उŸाराखण्ड के सेब को मिली पहचान। खेती-बाड़ी के उपकरणों पर 90 फीसदी तक छूट दी जा रही है। गांवों में सामूहिक खेती करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों को 1 लाख रूपए की प्रोत्साहन राशि। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाएंगे। जंगली जानवरों से खेतों की सुरक्षा के लिए 100 करोड़ रूपए की योजना।
माताओं, बहनों के साथ, उŸाराखण्ड सरकार
जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक उम्र के हम पड़ाव पर मातृशक्ति के साथ है सरकार। लडकी के पैदा होते ही कन्याधन योजना, स्कूल के लिए गौरा देवी कन्याधन योजना, शादी ब्याह आदि के लिए कई योजनाओं सहित गर्भवती महिलाओं के लिए पोष्टाहार योजना, 60 वर्ष से अधिक की माताओं के लिए टेकहोम राशन तथा मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना। बुजुर्ग माताआंे के लिए रोड़वेज में निशुल्क यात्रा। लैंगिक भेदभाव देर करने के लिए ‘‘हमारी कन्या हमारा अभिमान‘‘ योजना। मुख्यमंत्री महिला सतत आजीविका योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन। पुलिस, पीआरडी में महिलाओं की भर्ती को प्राथमिकता। मुख्यमंत्री कन्या शक्ति सम्मान योजना के अंतर्गत ‘स्पर्श सैनेटरी नैपकिन’’ इकाई प्रारम्भ कर दी गई है।
महिलाएं लिखेंगी विकास की नई इबारत
महिला उद्यमिता पार्क, महिला हाट शुरू किए गए। महिलाओं को प्रशिक्षित कर उद्यमी बनाने के लिए ‘‘मुख्यमंत्री महिला सत्त आजीविका योजना’’। मास्टर क्राफ्ट वूमेन तैयार की जा रही हैं। राज्य सरकार का प्रयास राज्य की प्रत्येक महिला किसी न किसी आर्थिक गतिविधि से जुड़ी हो। गंगा गाय योजना में महिलाओं को दुधारू गायें वितरित की गईं। सहकारी दुग्ध समितियों को प्रति लीटर दूध पर 4 रूपए बोनस दिए जाने की योजना। नन्दा देवी सेन्टर आॅफ एक्सिलंैन्स फाॅर हैण्डलूम की स्थापना । अगले तीन वर्ष में 20 हजार महिला उद्यमी तैयार किये जायेंगे। महिला स्वयं सहायता समूहों व महिला मंगल दलों की, विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए‘‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना’’ प्रारम्भ। इस वर्ष 12 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने जा रहे हैं। प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह का, बैंक में पांच हजार रूपये से खाता खोला जायेगा, तथा व्यवसाय हेतु प्रत्येक समूह को सीड केपिटल के रूप में 20 हजार रूपये तक, सहायता स्वरूप उपलब्ध करवाये जायेंगें। समूहों को उनके वार्षिक टर्न ओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस दिया जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इंदिरा अम्मा भोजनालय स्थापित किए गए।
हमारी संस्कृति, हमारी पहचान
विकास और संस्कृति का समन्वय। प्रदेश के सभी जनपदों में हरेला, झूमेलो व घी संग्रांद का पर्व आयोजित किया गया जिनमें लोगों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की। हिटो पहाड़ सरकार की नीति का आधार। ‘‘उत्तराखण्ड की देवभूमि जय‘‘ राज्य गीत व ढ़ोल राज्य वाद्य यंत्र घोषित। ऐंपण कला से विदेशी भी हुए परिचित, हजारों को मिला रोजगार। लोक गायक/कलाकार कल्याण कोष की स्थापना, 5.00 करोड़ के कारपस फण्ड का प्राविधान। उŸाराखण्डी व्यंजनों के स्वाद से प्रदेश के बाहर के लोग भी परिचित हुए हैं। परम्परागत स्थापत्य की धरोहर इमारतो के रखरखाव की योजना प्रारम्भ। पुरानी राम लीलाओं के मंचन को विकसित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार देने का भी निर्णय। ‘‘उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद‘‘ का गठन। पुरानी राम लीलाओं को प्रोत्साहन। वृद्ध व विपन्न कलाकारों के लिए पेेंशन की व्यवस्था।
सैलानियों को लुभाता उत्तराखण्ड
वाटर स्पोर्ट्स के लिए नया इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टीनेशन बनी टिहरी झील। एडवेंचर टूरिज्म बना उŸाराखण्ड का पर्याय। इको-टूरिज्म, ट्रैकिंग, माउन्ट बाईकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्ंिटग के नए गंतव्य विकसित किए गए। नेचर लवर पर्यटकों के लिए बर्ड फेस्टीवल का आयोजन। बटरफ्लाई पार्क बना। द्यारा बुग्याल के साथ कई अन्य बुग्याल आने वाले समय में होगें पर्यटकों के नए गन्तव्य। ऋषिकेश व जागेश्वर योग सर्किट के तौर पर विकसित किए गए। स्थानीय ग्रामीणों को पर्यटन में स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु ’’ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना’’ प्रारम्भ। ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने के लिये पुरानी काष्टकला एवं शिल्प कला से बने एक हजार भवन होमस्टे योजना के अन्तर्गत। इस वर्ष रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने चार धाम व हेमकुण्ट साहिब के दर्शन किए। अभी तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम व हेमकुण्ट साहिब आ चुके हैं।
उद्यमियों की पसंद बनता उत्तराखण्ड
लाॅ एंड आर्डर की बेहतर स्थिति, बिजली की निर्बाध व कम दरों पर उपलब्धता व इन्वेंस्टमेंट फ्रेंडली सिस्टम से राज्य उद्यमियों के लिए हाॅट स्पाॅट बन रहा है। सिंगल विंडो सिस्टम को व्यवस्थित व प्रभावी बनाया गया। ईज आॅफ डूईंग बिजनेस में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल। उत्तराखण्ड स्टार्ट अप पाॅलिसी को मंजूरी। नए उद्यमियों को एमएसएमई के लिए आर्थिक सहायता का प्राविधान। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के माध्यम से रोजगार सृजन के लिए शिल्पी, बुनकर विकास निधि का गठन। पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति लागू की गई। सिडकुल के सहयोग से राज्य के पर्वतीय अचंल में 6 लघु उद्यम संस्थान बनाये जा रहे हैं। जिनमें से दो लगभग तैयार हो चुके हैं। प्राकृतिक रेशों के सम्बर्द्धन, व कोमल काष्ठ के उत्पादन व उपयोग की, व्यापक योजना प्रारम्भ की जा चुकी है। उद्योग के क्षेत्र में प्रत्येक श्रेणी के उद्योगों, जिनमें इलैक्ट्रोनिक्स, टैक्सटाइल्स, फिल्म, खाद्य प्रसंस्करण भी सम्मलित हैं, नीतियां, नियम, उप नियम बनाये जा चुके है।
हर हाथ में हुनर, हर हाथ को काम
युवाओं में उद्यमिता के विकास व उद्योगों की मांग के अनुरूप स्किल डेवलपमेंट के लिए स्टार्ट अप व स्किल मैपिंग। निस्बड के सहयोग से साॅफ्ट स्किल कोर्सेज का आयोजन। अल्पसंख्यकों में स्किल डेवलपमेंट के लिए हुनर कार्यक्रम। जनजातीय युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार अथवा स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा, दस करोड़ रूपये का काॅरपस फंड गठित कर, युवाओं, महिलाओं, शिल्पियों व घुमंतू वर्गों के लिये मिनी स्टार्टअप प्रोग्राम्स। सरकार का लक्ष्य पचास हजार युवाओं को नौकरी मांगने के बजाय, लघु उद्यमी में बदलने का है। भवन व अन्य निर्माण कर्मियों के कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए दयानन्द भारती कौशल योजना प्रारम्भ। गांव-गांव में महिला उद्यमी तैयार करने के लिए मुख्यमंत्रंी महिला सत्त आजीविका योजना प्रारम्भ की गई है। राज्य में दो हजार मास्टर क्राफ्ट वूमेन तैयार की जाएंगी। महिला उद्यमियों व महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए, उद्यमिता-हाट बनाये जा रहे हैं। सिडकुल में दो सौ एकड़ भूमि में, महिला उद्यमिता पार्क स्थापित किये जायेंगे, ऐसा एक पार्क 10 एकड़ भूमि के साथ सितारगंज में स्थापित किया जा चुका है। नई दिशा के अंतर्गत हैण्डीक्राफ्ट व हैण्डलूम के, दस महिला क्लस्टर विकसित किये जा रहे हैं। इस वर्ष सरकारी क्षेत्र में 30 हजार नौकरियां।
अल्पसंख्यक कल्याण
मुस्लिम छात्राओं की उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री विशेष मुस्लिम छात्र-वृत्ति योजना। एक करोड़ रूपये के कारपस फण्ड की व्यवस्था। आई.ए.एस, पी.सी.एस, आई.आई.टी, आई.आई.एम, एन.आई.टी आदि की प्रतिष्ठित प्रतियोगी परिक्षाओं में अल्पसंख्यक वर्ग के अभ्यर्थियों को प्रोत्साहित किये जाने एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने हेतु ’’मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक प्रोत्साहन योजना’’ शुरू। अल्पसंख्यक स्व-रोजगार के लिए अल्पसंख्यक वित्त निगम द्वारा 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हुनुर के माध्यम से अल्पसंख्यक बच्चों को रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ने का निर्णय। नये मदरसे जो एस0पी0क्यू0एम0 और इडमी के तहत नहीं आते हैं, उनकी मद्द के लिए 5 करोड़ रूपये की राशि। अल्संख्यक समुदाय की मेधावी छात्राओं को हाईस्कूल में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर रुपये 15000/- तथा इन्टरमीडिएट की छात्राओं को रुपये 25000/- अनुदान की योजना प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है। पीरान कलियर को चारधाम की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। हुनर योजना, अल्पसंख्यकांे को रोजगार उपलब्ध करवाने व स्किल डेवलपमेंट की योजनाओं को बैंकों के साथ टाईअप किया जाएगा। एम.एस.डी.पी. के तहत अल्पसंख्यक महिलाओं के कौशल विकास, शिक्षा उन्नयन के लिए 3 महिला आईटीआई व 2 महिला डिग्री कालेज निर्माणाधीन हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा ऐसे अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों की सूची तैयार की जा रही जहां पानी, बिजली आदि मूलभूत न्यूनतम सुविधाओं का अभाव है। जिस पर विभागीय बजट का एक निश्चित प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग बाहुल्य क्षेत्रों पर व्यय किया जाएगा।
विभिन्न वर्गों को मिली ताकत
गराबों को छत उपलब्ध करवाने के लिए उत्तराखण्ड जनआवास योजना शुरू की गई है जिसके तहत 35 हजार मकान बनाए जाएंगे। मलिन बस्तियों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने और वहां रहने वालों को मालिकाना हक देने के लिए मलिन बस्ती नियमितिकरण कानून बनाया गया है। मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ। राज्य में दलितों व अतिपिछड़ों के लिए चार आवासीय योजनायें, महर्षि बाल्मिकी, महर्षि रैदास, खुशीराम आर्य व जयानंद भारती के नाम से प्रारम्भ की जा रही हैं। इन चारों योजनाओं के तहत, तीन वर्षों में, बीस हजार आवास निर्मित होंगे। ग्राम्य विकास विभाग के तहत साधनहीनों के लिए हमने 45,276 आवास बनाए हैं। इसके अतिरिक्त पांच आपदाग्रस्त जनपदों में 2016 आवास भी बनाए गए हैं। हम धारचूला व मुन्स्यारी में 200-200 व उŸारकाशी के डुण्डा में 50 आवास बना रहे हैं। पंजीकृत श्रमिकों शौचालय निर्माण के लिए 20 हजार रूपए की सहायता। महिला श्रमिकों व उनके परिवारों की बालिकाओं को सेनेट्री नेपकिन व एनिमिया की रोकथाम के लिए व्यय वी.ओ.सी.डब्ल्यू. निधि से। पंजीकृत श्रमिकों की आकस्मिक मृत्यु पर 1 लाख रूपए, साधारण म्त्यु पर 50 हजार रूपए जबकि पुत्री के विवाह पर 51 हजार रूपए की सहायता। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए 5 करोड़ रूपए से कल्याण कोष। अंशदायी बीमा योजना प्रारम्भ की जाएगी। आंगनबाड़ी, आशा व भोजनमाताओं के लिए अलग-अलग रिवाल्विंग फंड। भोजन माताओं को 10 माह के स्थान पर 11 माह का मानदेय।
सड़कें बनीं विकास की धुरी
प्रदेश में सम्पर्क मार्गों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत 7,870 करोड़ रूपए की स्वीकृत लागत से 22,768 किमी सड़क/मार्ग, 1226 पुलों का निर्माण का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है। केंद्रीय योजनाओं के तहत 78 किमी सड़क व 4 सेतुओं का निर्माण स्वीकृत है। देहरादून में बल्लीवाला फ्लाईओवर शुरू किया जा चुका है जबकि आईएसबीटी, बल्लुपुर फ्लाईओवर का काम भी जल्द ही पूरा कर दिया जाएगा। इस 1 वर्ष में लोक निर्माण विभाग व पी.एम.जी.एस.वाई. के अंतर्गत 709 नई सड़कों व 105 नए सेतुओं पर काम प्रारम्भ कर दिया गया है। पी.एम.जी.एस.वाई. के तहत इसी एक वर्ष में 990 करोड़ रूपए लागत के 189 कार्यों की डी.पी.आर. स्वीकृत कराकर निविदा प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। साथ ही 750 करोड़ रूपए लागत के 150 नए कार्यों की डी.पी.आर. तैयार कर दी गई है। ‘मेरा गांव मेरी सड़क’ योजना के तहत पिछले वर्ष कुल 190 सड़कों के सापेक्ष 131 सड़कें पूरी कर ली गई हैं जबकि 61 सड़कें शीघ्र पूरी कर ली जाएंगी। इसी प्रकार वर्तमान वर्ष में 107 सड़कों पर काम प्रारम्भ कर दिया गया है।
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण को संस्कृति व आजीविका से जोड़ने का प्रयास किया गया। पिछले वर्ष हरेला से ‘मेरा पेड़-मेरा धन’ योजना को लिंकअप किया गया था। पिछले वर्ष वन विभाग द्वारा हरेला कार्यक्रम में 5 लाख 34 हजार पौध, रोपण के लिए वितरित की गई थी। जल संचय पर बोनस देने की योजना। वन विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 में 1259 चैक डैम बनाए गए जबकि 1057 जलाशयों व चाल-खाल का पुरूद्धार किया गया। ईको टास्क फोर्स की 6 कम्पनियां पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। जायका के अंतर्गत 750 वन पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से ‘ईको-रेस्टोरशन’ किया जा रहा है।
खेल
राज्य में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रचर विकसित किया जा रहा है। पहली बार राज्य की खेल नीति तैयार की गई है। अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विशिष्ट खिलाडियों के सेवा योजना के लिए विशेष प्रविधान किया गया है। वर्ष 2018 में 38वें राष्ट्रीय खेल का सफल आयोजन करने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में एथलेटिक्स ट्रेक व हाॅकी सिंथेटिक खेल मैदान का निर्माण कर लिया गया है। इस वर्ष अक्टूबर माह तक देहरादून एवं हल्द्वानी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के स्पोर्ट्स काॅम्पलैक्स का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। प्रत्येक विकासखण्ड में राजीव गांधी खेल स्टेडियम बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है। राज्य के प्रत्येक जनपद में स्पोर्ट्स हाॅस्टल एवं स्पोर्टस स्कूल स्थापित किया जायेगा। पिथौरागढ़ मे स्पोर्ट्स कालेज बनाया जाएगा।
स्वास्थ्य
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से, नकद रहित स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है। इस योजना का विस्तार करते हुए बीमाकृत राशि को बढ़ाकर, 1 लाख 75 हजार रूपए कर दिया गया है। ईलाज का व्यय इससे अधिक होने पर राज्य व्याधि योजना से सहायता। स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधारों के साथ, सर्जिकल कैम्प एवं डायग्नोस्टिक कैम्प लगाए जा रहे हैं। राज्य के प्रत्येक ब्लाॅक में हर 25 दिनों में सर्जिकल कैम्प आयोजित किए जाने की योजना। इसमें 5 विशेषज्ञ डाक्टर उपलब्ध रहेंगे और हर प्रकार की जांच की सुविधा भी होगी। दून मेडिकल कालेज शुरू किया जा चुका है। 5 अन्य मेडिकल कालेज व 8 नर्सिंग कालेज निर्माणाधीन व प्रस्तावित हैं। महिलाओं में ‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकेरिया’’ अभियान प्रारम्भ किया गया।
ऊर्जा
बिजली के क्षेत्र में लगातार सुधार कर रहे हैं। यू.पी.सी.एल. व पिटकुल राज्य के लिए कमाने वाले निगम बन गए हैं। 23 से 24 घंटे बिजली दी जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि अगले वर्ष तक बिजली 24 घंटे कानूनन मिल सके। बिजली की दरें अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। वर्ष 2015-16 में, लक्ष्य से अधिक 4942 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया। 660 मेगावाट की किसाऊ परियोजना पर प्रगति। हाल ही में 400 के.वी. विद्युत सब-स्टेशन प्रारम्भ किया गया है जिससे गढ़वाल के समस्त पर्वतीय क्षेत्रों में क्वालिटी बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। गैरसैण, पिरान कलियर, हर्रावाला, रायपुर, लोहाघाट, बागेश्वर, पीपलकोटी में प्राथमिकता से नए जी.आई.एस. बिजलीघरों का निर्माण किया जा रहा है।
सूक्ष्म व लघु जल विद्युत नीति के तहत 2 मेगावाट तक की परियोजनाएं, स्थानीय पंचायतीराज संस्थाओं की सहभागिता में कराए जाने के लिए 71 स्थलों का चिन्हिकरण करते हुए डी.पी.आर. तैयार की जा रही है। 4 परियोजनाओं को निर्माण के लिए आवंटित किया जा चुका है। प्रदेश के दूरस्थ गांवों में 15,200 सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की गई है। अंतर्राष्ट्रीय सीमावर्ती विकासखण्डों में 80,859 सोलर लालटेन व आपदा राहत में 24,900 सोलर लालटेन वितरित की गई हैं। ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम के तहत 13 जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। बायोमास से 39 मेगावाट के बायोमास पावर जेनरेशन प्लांट स्थापित किए गए हैं।