नई दिल्ली: ‘दक्षिण एशिया क्षेत्रीय युवा शांति सम्मेलन’ का गांधी दर्शन, नई दिल्ली में महात्मा गांधी के प्रपौत्र श्री श्रीकृष्ण जी कुलकर्णी ने उद्घाटन किया। सम्मेलन का आयोजन गांधी स्मृति और दर्शन समिति, यूनेस्को एमजीआईईपी और एसटीईपी (स्टैंडिंग टूगेदर टू एनेबल पीस) ने किया। दक्षिण एशियाई देशों और देश के विभिन्न भागों से आए करीब 100 युवा नेता शांति के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्र हुए।
इस अवसर पर श्रीकृष्ण जी कुलकर्णी ने बताया कि महात्मा किस प्रकार से काम करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने युवा नेताओँ का आह्वान किया कि वे दक्षिण एशिया में शांति और निरंतर विकास को बढावा देने के लिए अहिंसक कार्यों को हाथ में लें। उन्होंने कहा कि भारतीय जिज्ञासु हैं और केवल आस्तिक नहीं है और यही हमारी बहुलता का स्रोत है और यही धर्मनिरपेक्षता हमारे डीएनए में है। निर्भीकता, दयालुता और सहानुभूति के बारे में श्री कुलकर्णी ने महात्मा गांधी दूरदर्शिता और दर्शन की चर्चा की और आशा व्यक्त की कि दक्षिण एशियाई युवा सम्मेलन क्षेत्र के युवाओं को एकजुट करने में सक्षम होगा।
यूनेस्को एमजीआईईपी एक प्रतिनिधि श्री अबेल केनी ने दयालुता के जरिए 17 एसडीजी हासिल करने के लिए विश्व के युवाओँ को एकजुट करने के उद्देश्य से निरंतर विकास उद्देश्यों को हासिल करने के लिए यूनेस्को के दयालुता पर अंतर्राष्ट्रीय दयालुता अभियान की चर्चा की।
उन्होंने दयालुता की कहानियों की एकजुटता के लिए युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया। गांधी स्मृति और दर्शन समिति के निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान ने समाज के विभिन्न वर्गों में शांति और अहिंसा के लिए स्मृति के हस्तक्षेप की चर्चा की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन और संदेश शांति, अहिंसा और नैतिक जीवन व्यतीत करने के रास्ते पर ले जाता है। इस सम्मेलन में शामिल देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका शामिल है।
राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती समारोह के अंतर्गत युवा एकजुट हुए हैं ताकि निरंतर विकास उद्देश्य को मजबूत बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार कर सकें।