मुंबई: इस फ़िल्मी शुक्रवार रिलीज़ हुई है दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत की फ़िल्म ‘कबाली’ जिसका निर्देशन किया है पा.रंजीत ने। फ़िल्म में रजनीकांत के साथ नज़र आएंगी राधिका आप्टे और धंसिका। संक्षेप में फ़िल्म की कहानी पर नज़र डालें तो ‘कबाली’ यानी रजनीकांत एक गैंगस्टर बने हैं जो मलेशिया में रहता है और एक गैंगस्टर होने के साथ साथ वो मलेशिया में रह रहे भारतीयों का मसीहा भी है। ‘कबाली’ की पत्नी हैं रूपा देवी यानी राधिका आप्टे।
कबाली के उसूल दूसरे गैंग्स की राह में रोड़ा बनते हैं इसी वजह से होती है गैंगवॉर…गैंग्स में इसी ठकराव के कारण क्या क्या होता है ‘कबाली’ इसी की कहानी है। बात ख़ामियों की करें तो कहानी कमज़ोर है। ऐसी कहानी हम पहले भी कई बार देख चुके हैं और इसमें कोई नयापन नहीं है।
फ़िल्म के डायरेक्शन में भी मुझे कई ख़ामियां नज़र आईं। फ़िल्म देखते वक्त आपको लगेगा कि ये रजनीकांत की एक और एक्शन फ़िल्म है पर ऐसा सोचते सोचते ही कहानी का गियर बदलता है और फ़िल्म भावुक राह पर चल पड़ती है जिससे दर्शकों को झटका लग सकता है। फ़िल्म का प्रवाह सहज नहीं। कुछ अलग देखने के इंतज़ार में पूरी फ़िल्म निकल जाती है।
रजनीकांत के लिए ख़ासतौर पर कहानी बुनी जाती है ऐसे में आम दर्शक उनकी फ़िल्म देखते वक्त कुछ ख़ास या नयापन के इंतज़ार में रहते हैं पर इस फ़िल्म में ऐसा कुछ नहीं होता। फ़िल्म का विषय प्रभावशाली ढंग से निकलकर पर्दे पर नहीं आता और ‘कबाली’ सिर्फ़ दो गैंग्स की लड़ाई बन कर रह जाती है।
बात खूबियों की करें तो इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है ख़ुद रजनीकांत जिनसे आप नज़रें नहीं हटा पाएंगे। उनका उठना… बैठना…. चलना…. मुस्कुराने का स्टाइल…ये सब ‘लार्जर दैन लाइफ़’ लगता है जो कारण है उनके लिए उनके फ़ैंस की दीवानगी का। फ़िल्म के कई सीन्स की एडिटिंग अच्छी लगी। मसलन जब काबली अपनी पत्नी को याद करते हुए कहता है कि ‘रूपा उसकी रीढ़ की हड्डी थी’।
फ़िल्म को फ्लैशबैक में ले जाने के अलावा ऐसे और कई सीन्स हैं जिनका फ़िल्मांकन तक़नीकी तौर पर अच्छा लगा। तो कुल मिलाकर फ़िल्म रजनीकांत के फ़ैंस के लिए बनी है।