नई दिल्लीः वर्ष 2017-18 के दौरान दक्षिण पश्चिम रेलवे ने ट्रेनों के संचालन से संबद्ध सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्रों में सभी मंडलीय रेलवे के बीच सर्वश्रेष्ठ आंकड़े और जबरदस्त सुधार दर्ज किया। बेहतर सुरक्षा के लिए दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रयासों को मान्यता देते हुए रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने वार्षिक पुरस्कार समारोह में दक्षिण पश्चिम रेलवे को 2017-18 के लिए रेल मंत्री की सुरक्षा शील्ड प्रदान की। दक्षिण पश्चिम रेलवे में दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। 2014 में इस मंडल में 11, 2015-16 में 8, 2016-17 में 3 और 2017-18 में 1 दुर्घटना हुई।
दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री ए के गुप्ता ने कहा, “सुरक्षा हमारी प्रथम और सर्वोच्च प्राथमिकता है। दक्षिण पश्चिम रेलवे के ट्रेन परिचालन से जुड़े सभी कर्मचारियों की सामूहिक इच्छा शक्ति, कठोर और निरंतर प्रयासों से सुरक्षा में सुधार हुआ है। “शून्य दुर्घटनाएं” के आदर्श वाक्य के साथ सुरक्षा कार्य योजना तैयार की गई, उसे कड़ाई से लागू किया गया और समय-समय पर उसकी समीक्षा की गई।”
सुरक्षा में सुधार की दिशा में दक्षिण पश्चिम रेलवे द्वारा हाथ में ली गई गतिविधियां और निरंतर प्रयास
- बजटीय व्यय कुछ वर्ष पहले 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर करीब 3000 करोड़ रुपये किया गया।
- सभी मानव रहित फाटकों पर 24 घंटे गेट मित्रों की तैनाती
- 2017-18 में 25 के लक्ष्य को सामने रखते हुए आरओबी/आरयूबी/सबवे के निर्माण द्वारा 27 मानव रहित फाटकों को हटाया गया
- राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष – मंत्रालय ने कोष की स्थापना 2017-18 के बजट में की। इसके अंतर्गत दक्षिण पश्चिम रेलवे ने 2017-18 में 687 करोड़ रुपये का कोष बनाया। सुरक्षा के लिए इस कोष की अधिकांश राशि पटरियों को नए सिरे से बनाने और उनके उन्नयन में खर्च की जा रही है।
- सुरक्षित एलएचबी कोचों की तरफ झुकाव
- रखरखाव सुविधाओं में ढांचात्मक वृद्धि
- दक्षिण पश्चिम रेलवे ने 2017-18 में 202 ट्रेक किलोमीटर पूरे किए, जो उसके इतिहास में सबसे अधिक है यानि 2016-17 के आंकड़ों की तुलना में करीब 115 प्रतिशत अधिक है।