अल्मोड़ा: धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ विलुप्त हो रही संस्कृति के संरक्षण के लिए हमें मेलों के आयोजनों पर प्राथमिकता देनी होगी। यह बात आज जागेश्वर में श्रावणी मेले के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कही। उन्होंने कहा कि जागेश्वर मन्दिर समूह बाहरी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। इसके संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण पर हमें ध्यान देना होगा। प्रदेश सरकार पर्यटन को बढावा देने के लिये धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मेलांे के आयोजन हेतु वार्षिक कलेण्डर तैयार कर रहा है और इसी अनुसार पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा इनके आयोजनों हेतु बजट का प्राविधान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जागेश्वर क्षेत्र पर्यटन मानचित्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है अब इसे पांचवे धाम के रूप में विकसित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। इस क्षेत्र के सौन्दर्यीकरण हेतु केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा पूर्व में महत्वाकांक्षी योजना स्वीकृत की गई थी जिस पर कार्य निरन्तर गतिमान है और मंदिर समिति द्वारा निरन्तर केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जागेश्वर में सीवर लाइन का प्रस्ताव सर्वेक्षण करने के पश्चात तैयार किया जायेगा ताकि जटा गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिये कि सीवर का पानी जटा गंगा में न जाने पाये इसके लिये लोगों को 03 माह का समय दिया जाय। उसके बाद भी अगर इसमें सीवर का पानी जाता है तो उस पर कडी कार्रवाही की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा अगले शैक्षिणक सत्र में अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में कक्षायें प्रारम्भ कर दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिये हिम ज्योति फाउण्डेशन के सहयोग से एक उच्च स्तरीय आवासीय बालिका विद्यालय खोलने के प्रयास जारी है जिसके लिये भूमि का चयन कर लिया गया है। एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का विद्यालय भी खोलने की योजना है जिसमें निर्धन परिवारों के मेधावी बच्चों को प्रवेश दिया जायेगा इसके लिये आयुक्त कुमाऊॅ मण्डल व जिलाधिकारी को भूमि चयन करने के निर्देश दिये गये है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु व पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाये। इस अवसर पर उन्होंने हिन्दू नव वर्ष कलेण्डर का विमोचन किया एवं स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाये गये चैलाई के लडडू को प्रसाद के रूप में वितरित कयिे जायेंगे।