देहरादून: इस वर्ष चारधाम व हेमकुण्ड साहिब यात्रा में अभी तक लगभग 5 लाख श्रद्धालु आ चुके हैं। केदारनाथ में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या वर्ष 2013 से पहले की स्थिति के कमोबेश बराबर हो चुकी है। इससे जाहिर होता है कि हम देश विदेश के लोगों में सुरक्षित व सुगम उत्तराखण्ड के प्रति विश्वास जगा चुके है। बुधवार को बीजापुर में आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार पुनर्निर्माण द्वारा पहले से भी बेहतर उत्तराखण्ड बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। वर्तमान में राज्य के पर्यटक स्थलों में टूरिस्ट इनफ्लो वर्ष 2013 से पहले से भी बेहतर है। लगभग सारे पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वर्ष 2013 की भीषण दैवीय आपदा के बाद अनेक चरणों में काम किया गया। पहले चरण में तत्काल बचाव व राहत का काम किया गया। बड़े स्तर पर बचाव कार्य किए गए। फौरी राहत सभी आपदा प्रभावितों तक पहुंचाई गई। दूसरे चरण में सम्पर्क से कट गए क्षेत्रों में सड़क, पुल, संचार, पेयजल की सुविधाएं पुनः बहाल की गईं। एक रिकार्ड समय में सभी सुविधाएं दुबारा शुरू की गईं। तीसरे कदम के तौर पर लोगों की आजीविका की पुनस्र्थापना की गई। हमने प्रभावितों की बड़े उदार तरीके से सहायता उपलब्ध कराई। घोड़े-खच्चर, ढ़ाबा, दुकानों मालिकों के साथ ही वहां काम करने वाले मजदूरों को भी सहायता प्रदान कराई गई। ताकि यात्रा प्रारम्भ करने में सभी अपना योगदान कर सकें। चारधाम यात्रा के सफल आयोजन के पश्चात हम अपने बुग्यालों व तीर्थस्थलों में सांस्कृतिक व धार्मिक पर्यटन के लिए वर्षपर्यंत खुला रखने पर फोकस कर रहे हैं। इसके लिए मेनपावर ट्रेनिंग पर बल दिया जा रहा है ताकि वर्ष 2013 जैसी स्थिति से प्रोफेेशनल दक्षता के साथ निपटा जा सके। हम एसडीआरएफ को मजबूत कर रहे हैं। साथ ही डीडीएमए के तहत पीआरडी, होमगार्ड्स, एनएसएस, स्वयंसेवी संगठनों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। आज हम वर्ष 2013 जैसी आपदा का सामना करने में सक्षम हैं। एक ऐसा सेंटर विकसित किया जाएगा जहां सारी सूचनाओं का आदान प्रदान आॅटोमेटिक होगा और प्रत्येक व्यक्ति को मालूम होगा कि उसे क्या करना है। यही कन्सेप्ट जिलों में भी विस्तारित की जाएगी। हमने डाप्लर राडार के लिए अल्मोड़ा व सुरकंडा में जमीन दे दी है। राज्य में भिलंगना, गैरसेंण, मुन्स्यारी व त्यूनी में आॅटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए जा चुके हैं। जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में आपातकालीन संचार सुविधाओं के अंतर्गत डीएसपीटी फोन लगाए जा चुके हैं। निम के सहयोग से जीएमवीएन व केएमवीएन के लोगों को दुर्गम क्षेत्रों में पर्यटकों को सुविधाएं देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सभी आपदा प्रभावितों जिनके आवास क्षतिग्रस्त हो गए थे, को आवास उपलब्ध करवा दिए गए हैं। केवल 27 परिवार शेष हैं क्योंकि वे अपने लिए अधिक बेहतर स्थान की तलाश में हैं। करीब 2500 परिवारों का आश्रय उपलब्ध करवाया गया। हमने 2013 की आपदा में प्रभावितों को जितनी सहायता राशि व मुआवजा राशि प्रदान की है, ऐसी परिस्थितियों में पहले किसी भी राज्य द्वारा नहीं दी गई है। राज्य के विभिन्न स्थानों पर 50 हैलीपेड बनाए जा रहे हैं। केदारनाथ, लिन्चैली, भीमबली व गौरीकुण्ड में हैलीपेड तैयार किए जा चुके हैं। आज यात्रा मार्ग पर हमारी सड़कें पहले से भी बेहतर हैं। हम संकरी सड़कों के चैड़ीकरण व स्लाईडिंग जोन के उपचार पर फोकस कर रहे हैं। रोपवे निर्माण के लिए पृथक एजेंसी का गठन किया जा रहा है। पहली बार ट्रेकिंग रूट विकसित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हम बेहतर उत्तराखण्ड निर्माण के लिए ठीक दिशा में काम कर रहे हैं।
केदारनाथ में नरकंकाल मिलने की बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने शवों की तलाश के काम कभी भी रोका नहीं है। हमने कभी नहीं कहा है कि अब कोई कंकाल नहीं मिलेगा। केदारनाथ में 15-20 फीट तक का मलबा जमा है। वहां की अस्थिर स्थलाकृति इसे हटाने में आड़े आ रही है। परंतु आज जब स्थानीय लोगों में चेहरों पर सफल चारधाम यात्रा की खुशी लौटी है, ऐसी बातों को प्रचारित करना प्रदेश की आर्थिकी के लिए ठीक नहीं है। स्थानीय लोगों के साहस की बदौलत ही उत्तराखण्ड आपदा के झटके से उबरने में सफल हुआ है। आज भी 350 से अधिक गांवों का सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन किया जाना है परंतु उत्तराखण्ड अपने संसाधनों से इसे करने में सक्षम नहीं है। इसमें केंद्र सरकार को राज्य की सहायता करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा को लेकर आरटीआई से जो तथ्य आए हैं, उनमें किसी व्यक्ति विशेष को इंगित नहीं किया गया है। इसीलिए मुख्य सचिव को इसकी जांच करने के निर्देश दिए गए है। यदि किसी के विरूद्व कुछ पाया जाता है तो कठोर कार्यवाही की जाएगी। आरोप प्रत्योरोपों की राजनीति से हटकर हमें अपनी ऊर्जा उत्तराखण्ड के विकास में लगानी चाहिए। योग दिवस के बाबत पूछे जाने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम राज्य में योग के अभियान के लिए पूरा ठोस एक्शन प्लान बना रहे हैं। सितम्बर माह में हम इसके लिए रोड़मैप प्रस्तुत करेंगे।