देहरादून: आज उत्तराखण्ड में उत्साह बढ़ाने वाले लोगों की बड़ी आवश्यकता है तथा यह कार्य पत्रकार व लेखक समुदाय ही कर सकता है। आज का समय क्योंकि घोर प्रतिस्पर्धा का समय है विभिन्न राज्यों में भी एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी है। ऐसे समय में रचनात्मक व प्रगतिशील सोच वाले पत्रकार व लेखकों की जरूरत है। लेखकों तथा पत्रकारों को राजनीतिज्ञों को दिशा देने का कार्य भी करना है। कोई पत्रकार या लेखक किसी भी घटना या विषय का कैसे विश्लेषण कर रहा है इसके लिए उसे पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिये क्योंकि पत्रकारों, लेखकों व कवियों की सोच को कोई दिशा नही दे सकता। राज्य में राजनीतिक क्षेत्र में स्वस्थ व नैतिक परम्पराओं का पालन हो तथा राज्य का राजनीतिक वातावरण गंगा की भांति स्वच्छ, निर्मल व लोकतांत्रिक बना रहे इसका उत्तरदायित्व राज्य की प्रबुद्ध जनता, पत्रकारों व लेखकों पर भी है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के आचरण व राजनीतिक वातावरण कैसा हो तथा उत्तराखण्ड की राजनीति को भविष्य में कैसी दिशा देनी है जनता व समाज के प्रबुद्ध वर्ग को इस पर गहराई से विचार करना चाहिये। आज के समय में राजनीति जिस प्रकार से स्वरूप ले रही है उसमें राजनेताओं को राजनीतिक नेताओं को अपने द्वारा दिये गये नारों के अनुसार आचरण करना चाहिये। जनता राजनेताओं से अपेक्षा करती है कि उनके नेता अपने दिये गये नारो की अनुसरण करे। आज से बीस वर्ष पूर्व के राजनीतिक परिपे्रक्ष्य में दो पूर्व प्रधानमंत्रियों स्व0 राजीव गांधी तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दल-बदल के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बाते कही थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दल बदल के लिए एक तिहाई की संख्या को आवश्यक बताया था तथा माननीय पूर्व प्रधानमंत्री ने एक कदम आगे की सोच रखते हुए कहा था कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को अपनी सरकार व दल के साथ पांच वर्ष पूरे करने चाहिये तथा इसके बाद जनता ही कार्यो का विश्लेषण कर उनके भविष्य का निश्चय कर सकती है। राजनीति में मतभेद आवश्यक है क्योंकि मतभेद व विपक्षी विचारों को होना ही लोकतंत्र की पहचान है। मतभेद व विपक्षी मतों के कारण ही लोकतंत्र में विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ती है जो एक स्वस्थ व मजबूत लोकतंत्र की निशानी है । मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर हाउस में ‘‘उत्तराखण्ड बोल रहा है’’ साप्ताहिक समाचार पत्र के लोकापर्ण के अवसर पर वर्तमान में स्वस्थ राजनीतिक वातावरण के विकास व राज्य की प्रगति में पत्रकारो व लेखकों की भूमिका पर उपरोक्त विचार व्यक्त किये।