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ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की तरह ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाने पर विशेष बल: सिद्धार्थ नाथ सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश में ईज आॅफ डूईंग बिजनेस की तरह ईज आॅफ लिविंग को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। प्रदेश में निवेश को बढ़ाने ईज आॅफ लिविंग के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार तथा अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए खासतौर फोकस किया जा रहा है।
श्री सिंह आज अपने आवास पर इंडो-अमेरिकन चैम्बर आॅफ कामर्स द्वारा आयोजित यू0पी0-यूएस सर्विस समिट में वर्चुअल माध्यम से उद्यमियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने और उद्यमियों की सुविधा के लिए तमाम प्रकार के रिफार्म लागू किये गये हैं। आॅनलाइन सुविधाओं पर विशेष प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश के प्रति अनुकूल माहौल तैयार कराया गया है। साथ ही प्रदेश की कानून मजबूत होने से उद्यमियों में विश्वास की भावना बढ़ी है।
लघु उद्योग मंत्री प्रदेश में उद्यमियों के लिए हितैषी भूमि सुधार नियमों की जानकारी देते हुए कहा कि सिंगल विन्डों पोर्टल निवेश मित्र के माध्यम से सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूमि का आॅनलाइन आवंटन तथा प्राधिकरणों के जियोग्राफिक इन्फार्मेशन सिस्टम (जी0आई0एस0) पोर्टल को भारत सरकार के औद्योगिक इन्फार्मेशन सिस्टम के साथ जोड़ा गया है। इसी प्रकार एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप के लिए मिश्रित भूमि उपयोग को अनुमति देने के लिए नियमावली में आवश्यक संशोधन भी किया गया है। इसके साथ ही औद्योगिक भूमि हेतु एफएआर को भी बढ़ाया गया है।
श्री सिंह ने यह भी कहा कि उद्योगों को अपनी अतिरिक्त भूमि को उपविभाजित करने की अनुमति देने के लिए नीति को अधिसूचित किया गया। भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए आवेदन को 45 दिन के अंदर निस्तारित करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि भूमि की ब्लाकिंग को हतोस्ताहित करने के उद्देश्य से उ0प्र0 औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 को संशोधित किया गया है, ताकि ऐसी आवंटित भूमि का निस्तारण किया जा सके, जिसे 05 वर्षों तक उपयोग में नहीं लाया गया है। इसके अतिरिक्त सीलिंग सीमा से अधिक भूमि खरीद को सरल बनाने के लिए राजस्व संहिता में संशोधन किया गया तथा अनुमोदन का अधिकार जिला स्तर पर दिया गया है। इसके साथ ही सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिए गये हैं कि वे मेगा तथा अन्य श्रेणी के उद्योगों को आवेदन की तिथि से 15 दिन के अन्दर भूमि उपलब्ध करायें।

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