नई दिल्ली: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 10 अप्रैल, 2020 को जी-20 के ऊर्जा मंत्रियों की विशेष वर्चुअल बैठक में भाग लिया। यह बैठक जी-20 के अध्यक्ष की हैसियत से सऊदी अरब ने बुलाई थी और इसकी अध्यक्षता सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज ने की। बैठक में जी-20 देशों, अतिथि देशों के ऊर्जा मंत्रियों और ओपेक, आईईए और आईईएफ सहित कई संगठनों के प्रमुखों ने भागीदारी की।
जी-20 के ऊर्जा मंत्रियों ने ऊर्जा बाजारों में स्थायित्व सुनिश्चित करने के तरीकों और माध्यमों पर ध्यान केंद्रित किया, जिस पर कोविड-19 महामारी के चलते मांग में गिरावट के कारण खासा असर पड़ा है। बैठक में अतिरिक्त उत्पादन से संबंधित मसलों पर भी चर्चा हुई।
बैठक के दौरान श्री प्रधान ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जी-20 से ऐसे मुश्किल दौर में पैदा हुई चुनौतियों से उबरने के लिए मानव केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाने के आह्वान को दोहराया।
इस संदर्भ में केन्द्रीय मंत्री ने माननीय प्रधानमंत्री के 23 अरब डॉलर के राहत पैकेज से संबंधित फैसले का उल्लेख किया गया, जिसमें उज्ज्वला योजना के अंतर्गत देश के 80.3 मिलियन परिवारों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराए जाने हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ऊर्जा की वैश्विक मांग का केंद्र था और आगे भी बना रहेगा। उन्होंने देश के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों को भरने के भारत सरकार के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
ऊर्जा बाजार में मौजूदा उतार-चढ़ाव को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा ही तेल बाजार में स्थायित्व की वकालत की है, जो उत्पादकों के लिए उचित हो और उपभोक्ताओं के लिए किफायती हो। उन्होंने आपूर्ति को संतुलित बनाए रखने की दिशा में ओपेक और ओपेक-प्लस देशों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की, जो दीर्घकालिक स्थायित्व के लिहाज से उचित भी है। हालांकि उन्होंने अनुरोध किया कि तेल कीमतों को किफायती स्तरों पर बनाए रखने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए जिससे खपत आधारित मांग में सुधार को गति मिल सके।
जी-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा, जिसका उद्देश्य अगले कदम के रूप में जी-20 ऊर्जा मंत्रियों के परामर्श पर कार्यबल की स्थापना करना और आने वाले दिनों में परस्पर संवाद बनाए रखने पर सहमति कायम करना है।