वॉशिंगटन: कम सैलेरी से निराश होकर 28 वर्षीय माइकल अडॉर्नो ने नौकरी छोड़ फिर से कॉलेज का रूख किया और वर्ष 2010 में द फॉर-प्रॉफिट इवरेस्ट कॉलेज में दाखिला लिया।और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन में एसोसिएट डिग्री ली। अब विवाद यह है कि नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन को कंप्यूटर साइंस काç हस्सा माना जाए या नहीं, हालांकि यह कंम्प्यूटर साइंस का एलिमेंट है। डिग्री हासिल करने के तीन साल बाद भी आज अडॉर्नो बेरोजगार है और बेस्ट बाय में उन्हें नौकरी से रिजेक्ट भी किया जा चुका है। अडॉर्नो 100 स्टूडेंट्स के कॉरिनथियन ग्रुप से हैं जिन्होंने अपना स्टूडेंट लोन यह कह कर चुकाने से मना कर दिया कि कॉरिनथियन कॉलेजिस इंक ने उनके साथ फर्जीवाड़ा किया है। अडॉर्नो का दावा है कि उन्हें वह शिक्षा दी गई है जिसके कारण वे कर्जे तले दब गए हैं और उन्हें नौकरी भी नहीं मिल रही है।
वर्ष 2014 से पहले तक कॉरिनथियन कॉलेजिस इंक के नेटवर्क में 100 से ज्यादा स्कूल थे, लेकिन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों ने कॉलेज की साख गिरा दी। जुलाई 2014 में कॉरिनथियन को 85 स्कूल बेचने पड़े और 12 बंद करने पड़े। एवरेस्ट इंस्टीट्यूट में अपने अनुभव के बारे में अडॉर्नो ने बताया, मैं बुहत खुश था कि मेरे परिवार में मैं पहला हूं जिसे कॉलेज जाने का अवसर मिला है, लेकिन एवरेस्ट में जाते ही मुझे निराश हुई। मुझे वादा किया गया था कि मुझे वहां लेटेस्ट टेक्नोलॉजी सीखने को मिलेगी, लेकिन ऎसा नहीं हुआ। ज्यादातर क्लास लिट्रेचर और ओरल कम्यूनिकेशंस की ही होती थी।
अडॉर्नो ने बताया, जब टेक्नोलॉजी के लिए क्लास लगी तो वहां 10 से 15 साल पुराने ऑपरेटिंग स्टिस्टम को इस्तेमाल करना सिखाया जा रहा था। अब 33 साल के हो चुके अडॉर्नो अपनी मां एलेक्सेंड्रा के साथ वर्जीनिया में रह रहे हैं और बेरोजगार हैं। अडॉर्नो ने बताया कि पिछले तीन सालों से उनके सिर पर 37000 डॉलर का स्टूडेंट लोन है। वे और उनके बैच के 100 साथी मिलकर एजुकेशन डिपार्टमेंट से यह लोन माफ करने की गुजारिश कर रहे हैं।