नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नई दिल्ली में पोषण अभियान के लिए टेक-थॉन का आयोजन किया। इस सेमिनार में सरकार, बहुपक्षीय संगठनों, आईटी उद्योग, माईगव, यूआईडीएआई इत्यादि के विभिन्न हितधारक एकजुट हुए। इस सेमिनार में जन आंदोलन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने सेमिनार में कहा कि पोषण अभियान के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लोगों के व्यवहार एवं नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सेमिनार यह दर्शाता है कि पोषण अभियान को सफल बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, साझेदारी कर रहे मंत्रालय और विभाग सभी आपस में मिलकर एक मिशन के रूप में काम कर रहे हैं। राज्य मंत्री ने इस संबंध में आगे की राह का उल्लेख करते हुए कहा कि पोषण अभियान को जन आंदोलन में तब्दील करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के बारे में विभिन्न विचारों का मिलान करने की दृष्टि से यह सेमिनार सार्थक साबित हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि सामंजस्य पोषण अभियान का स्तंभ है और इसे जन आंदोलन में बदलने तथा अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है।
पोषण अभियान को जन आंदोलन में बदलने के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि इस अभियान को सही अर्थों में जन आंदोलन में बदलने तथा सभी को इसका हिस्सा बनाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, क्षेत्रीय प्रशासन और जमीनी स्तर पर कार्यरत कामगारों में सामंजस्य बैठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह सेमिनार सभी हितधारकों को एकजुट करने की दृष्टि से एक बड़ी पहल है। उन्होंने कहा कि किसी भी शिशु के प्रथम 1000 दिनों में उसकी समुचित देख-रेख सबसे अधिक मायने रखती है। उन्होंने यह बात भी साझा की कि आईसीडीएस सीएएस इतना ज्यादा प्रभावकारी है कि इससे यह पता चल जाता है कि आखिरकार कौन पीछे छूट रहा है। ऐसे में सभी को कवर करना या इसके दायरे में लाना संभव हो जाता है। सितंबर को ‘पोषण’ माह के रूप में मनाया जाएगा जिस दौरान सभी मंत्रालय, विभाग और समुदाय एकजुट हो जायेंगे।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की टेक-थॉन की अद्वितीय पहल के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि पोषण भारत की बड़ी चुनौती है और इससे साझेदारी के तहत निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पोषण अभियान की पीएमएमवीवाई, रोटा वायरस टीकाकरण की शुरूआत, एनीमिया मुक्त भारत रणनीति, गृह आधारित बच्चे की देखरेख जैसी कई पूरक योजनाएं हैं।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद के. पॉल ने बताया कि पोषण अभियान बच्चे के पहले 1000 दिन और युवतियों, महिलाओं एवं माताओं की देखरेख पर केन्द्रित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि गृह आधारित नवजात बच्चों की देखरेख (एचबीवाईसी) पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
महिला एवं बाल विकास सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि पोषण अभियान सिर्फ सरकार का कार्यक्रम नहीं हो सकता, बल्कि इसे जन-आंदोलन में बदलने के लिए इसमें बड़ी संख्या में लोगों और समुदायों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पोषण अभियान को जन-आंदोलन में बदलने के लिए महिला शक्ति केन्द्र के स्वयंसेवक मदद करेंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव और पोषण अभियान मिशन के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि एनीमिया और कुपोषण के शिकार लोगों का एक साथ ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पोषण में निवेश किया गया एक रुपया मुनाफे के रूप में 34 रुपया लौटाएगा। आईसीडीएस-सीएएस पोषण अभियान का डीएनए है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जमीनी स्तर पर जुटाए गए आंकड़े सीडीपीओ, जिला, राज्य और केन्द्रीय स्तर के अधिकारियों के पास निगरानी के लिए उपलब्ध हैं। आईसीडीएस डैश बोर्डों पर आंकड़ो का संपादन करने का अधिकार सिर्फ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास है। यह लाभार्थी केन्द्रित व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि अभी आईसीडीएस-सीएएस एक लाख से अधिक आंगनवाड़ियों तक है, जिसमें इस साल सितंबर तक पांच लाख आंगनवाड़ियों, दिसंबर तक 10 लाख और अगले साल मार्च तक 14 लाख आंगनवाड़ियों के जुड़ने की उम्मीद है।
पोषण अभियान की विस्तृत जानकारी के लिए http://www.icds-wcd.nic.in/ पर क्लिक करें।