विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने लीडरशिप सीरीज़ : विजडम फॉर स्टार्टअप्स फ्रॉम ग्रोनअप्स’ शीर्षक से बातचीत की श्रृंखला में जोर देकर कहा कि स्टार्टअप को ऊर्जा और अनुभव के बीच अच्छा संतुलन रखना चाहिए।
“परामर्शदाता एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, और स्टार्टअप्स और इन्क्यूबेटर्स को अनुभवी व्यक्तियों से ज्ञान प्राप्त करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। भारत में, विचारों की कमी नहीं है। मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं जिनके पास विचार हैं, लेकिन उनमें आत्मविश्वास की कमी है। प्रोफ़ेसर शर्मा ने इंडियन स्टेप्स एंड बिज़नेस इन्क्यूबेटर्स एसोसिएशन (आईएसबीए) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ऑनलाइन लीडरशिप सीरीज़ ‘विज्डम फ़ॉर स्टार्टअप्स फ़ॉर ग्रोनअप्स’ में कहा, ” हमें स्टार्टअप्स को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करने के लिए उन्हें पर्याप्त आत्मविश्वास प्रदान करने की आवश्यकता है।
प्रोफेसर शर्मा ने व्यापार करने में सुगमता, समावेशन, निष्पक्षता और विविधता की वकालत की। उन्होने कहा, “यह विविधता के साथ सीखने और काम करने के बारे में भी है। साथ मिलकर काम करने से ज्ञान की स्थिरता आती है। स्टार्टअप अभियान को गति प्राप्त करना और बाजार के अवसरों में बदलाव करना है।”
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स का समय आ गया है, और उन्हें भविष्य को देखते हुए देश के विकास और प्रगति में बड़ी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले पाँच वर्षों में बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स उपलब्ध होंगे क्योंकि देश ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने अधिक से अधिक महिलाओं को स्टार्टअप और इनक्यूबेटर आंदोलन का हिस्सा बनाने के तरीके खोजने पर जोर दिया।
प्रोफेसर शर्मा ने स्टार्टअप्स और इन्क्यूबेटरों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर प्रकाश डाला। “एमएसएमई के लिए डीएसटी द्वारा स्थापित साथी (एसएएटीएचआई) केंद्र उच्च तकनीक का वैज्ञानिक बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं, और इन तक पहुंच बहुत आसान और पारदर्शी बनाई गई है। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि स्टार्टअप के लिए उचित मूल्य पर इन मशीनों का अस्सी प्रतिशत समय सुरक्षित रखा जाता है। उन्होंने भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण और लोकतंत्रीकरण के लिए लाए गए नीतिगत बदलावों को भी रेखांकित किया और विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) के बारे में बात की, जिसे विभिन्न क्षेत्रों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद अस्तित्व में लाया गया है।
कई प्रख्यात वक्ताओं ने स्टार्टअप्स और इनक्यूबेटरों की यात्रा, विकास और समस्याओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की।
नीति आयोग के अटल इन्नोवेशन मिशन के मिशन निदेशक आर. रमणम ने कहा कि भारत दुनिया में स्टार्टअप्स की सबसे तेजी से बढ़ती संख्या वाले देशों में से एक बनने की कगार पर है, और हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि कैसे हम नौकरी की तलाश करने वाले राष्ट्र की अपेक्षा नौकरी प्रदाता राष्ट्र बन सकते हैं।
टाटा संस के पूर्व कार्यकारी निदेशक, लेखक और कॉर्पोरेट सलाहकार आर गोपालकृष्णन ने कहा, “सीखने की लगातार इच्छा बनाए रखनी चाहिए। सभी संगठनों की नेतृत्व की गुणवत्ता समान है, और इस बात का सार यह है कि उन लोगों का एक समूह बनाना है जो आपको अनुसरण करना चाहते हैं।”
दिव्य निवेशक और उपदेशक आर नरू नारायणन, ने कहा, “स्टार्टअप अभी भी गठन के स्तर पर हैं और लंबे समय तक चलने वाले संगठन बनाने चाहिए।”
कार्यक्रम में सलाहकार और एनएसटीईडीबी की प्रमुख डॉ अनीता गुप्ता ने कहा, “स्टार्टअप और इनक्यूबेटर्स समय के साथ आए हैं और यह प्रौद्योगिकी, नवाचार और सहयोग की शक्ति के कारण संभव हुआ है।” कार्यक्रम में स्टार्ट-अप और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।