नई दिल्ली: गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विधान सभाओं के लिए आम चुनाव का कार्यक्रम 4 जनवरी 2017 को चुनाव आयोग ने घोषित कर दिया है। चुनाव में मतदान सात चरणों में आयोजित करने का फैसला लिया गया है। जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के लिए तय समय से 48 घंटे पूर्व अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी प्रकार के उपकरण के साथ-साथ किसी अन्य माध्यम द्वारा चुनाव सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है।
कथित 126 धारा के संबंधित अंशों को नीचे उद्धृत किया गया है-
(126. मतदान होने के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पूर्व की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाओं या किसी भी तरह के जनमत सर्वेक्षण पर रोक”
1) कोई व्यक्ति–
(अ)……………………
(ब) किसी चुनाव में मतदान के लिए तय निर्धारित समय से 48 घंटे पूर्व की अवधि के दौरान सिनेमा, टेलीविजन या इसी तरह के प्रचार माध्यम द्वारा जनता में किसी तरह की प्रचार सामग्री का प्रदर्शन नहीं करेगा।
(स) किसी मतदान क्षेत्र में मतदान के लिए निर्धारित अवधि से 48 घंटे पूर्व की अवधि के दौरान ऐसी किसी सामग्री को प्रदर्शित नहीं करेगा:
2). कोई भी व्यक्ति अगर उप-धारा (1) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसे दो वर्ष का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों एक साथ होगा।
3). इस धारा में “चुनाव सामग्री” की अभिव्यक्ति का अर्थ है, किसी चुनाव के परिणाम को परिकलित या प्रभावित करने के आशय वाली सामग्री
- चुनाव के दौरान पैनल चर्चा/बहस और अन्य समाचारों एवं समसामयिक कार्यक्रमों के प्रसार में टीवी चैनलों द्वारा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की उपर्युक्त धारा 126 के प्रावधानों के उल्लंघन के कुछ आरोप लगते रहे हैं। आयोग ने विगत में यह स्पष्ट किया है कि कथित धारा 126 में टेलीविजन या इसी प्रकार के उपकरणों सहित अन्य माध्यमों द्वारा किसी चुनाव क्षेत्र में मतदान के लिए तय अवधि से 48 घंटे पूर्व की अवधि के दौरान किसी चुनाव सामग्री के प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। इस धारा में चुनाव सामग्री को किसी चुनाव के प्रभाव को परिकलित या प्रभावित करने के आशय वाली सामग्री के रुप में परिभाषित किया गया है। धारा 126 के उपरोक्त प्रावधानों का उल्लंघन होने पर अधिकतम दो वर्ष तक की अवधि की सजा या जुर्माना या दोनों दंड दिए जाने का प्रावधान है।
- आयोग एक बार फिर यह दोहराता है कि टीवी /रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क यह सुनिश्चित करें कि धारा 126 में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि के दौरान टेलीकास्ट/प्रसारित/प्रदर्शित कार्यक्रमों की विषयवस्तु में पैनल व्यक्तियों/प्रतिभागियों के विचारों / अपील सहित ऐसी कोई सामग्री नहीं होनी चाहिए, जो किसी पार्टी विशेष या उम्मीदवार (रों) की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने वाली / पक्षपातपूर्ण या चुनाव के परिणाम को प्रभावित करती हो।
- इस संबंध में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126-अ की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें उल्लिखित अवधि के दौरान पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित समय में और सभी राज्यों में आखिरी चरण में मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे बाद एक्जिट पोल आयोजित करने और उनके परिणाम प्रसारित करने पर प्रतिबंध है।
- धारा 126 या धारा 126-अ के अंतर्गत आने वाली अवधि के दौरान संबंधित टीवी/ रेडियो/केबल/एफएम चैनल प्रसारण संबंधित घटनाओं को आयोजित करने के लिए राज्य/जिला/स्थानीय पदाधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे घटनाएं शालीनता, साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल नेटवर्क (विनियम) अधिनियम के अधीन उल्लिखित आचरण एवं व्यवहार के मॉडल कोड के प्रावधानों की भी पुष्टि करें। उन्हें पेड़-न्यूज एवं संबंधित मामलों के संबंध में आयोग के दिनांक 27 अगस्त 2012 के दिशा निर्देशों के प्रावधानों के अंतर्गत बने रहना भी अपेक्षित है। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी / जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसी अनुमति देते समय कानून एवं व्यवस्था सहित सभी संबंधित पहलुओं को ध्यान में रखेंगे।
- समस्त प्रिंट मीडिया का ध्यान चुनाव के दौरान भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी निम्नलिखित दिशा निर्देशों के अनुपालन की ओर आकर्षित किया जाता है-
- i) चुनाव और उम्मीदवारों के बारे में उद्देश्यपूर्ण रिपोर्ट देना प्रेस का कर्तव्य है। चुनाव के दौरान समाचार पत्रों से गलत चुनाव अभियान, किसी व्यक्ति/पार्टी या घटना के बारे में अतिश्योक्तिपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित करने की उम्मीद नहीं है। प्रचलन के अनुसार नजदीकी मुकाबले के दो या तीन उम्मीदवार मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। वास्तविक अभियान की रिपोर्ट करते समय समाचार पत्र को उम्मीदवार द्वारा उठाए गए मुख्य मुद्दे को नहीं छोड़ना चाहिए और उसके विरोधी पर हमला नहीं बोलना चाहिए।
- ii) चुनाव नियमों के अधीन साम्प्रदायिक या जाति के आधार पर चुनाव अभियान पर प्रतिबंध है। इसलिए प्रेस को ऐसी रिपोर्ट नहीं करनी चाहिए, जो धर्म, वंश, जाति, सम्प्रदाय या भाषा के आधार पर जनता के बीच नफरत या दुश्मनी की भावना को बढ़ावा देती हों।
iii) प्रेस को चुनाव में किसी उम्मीदवार की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए उम्मीदवार या उसके संबंधी के चरित्र और व्यक्तिगत आचरण या किसी उम्मीदवार की नाम वापसी या उसकी उम्मीदवारी के संबंध में कोई झूठा या आलोचनात्मक बयान प्रकाशित करने से बचना चाहिए।
- iv) प्रेस किसी उम्मीदवार या पार्टी को प्रोजेक्ट करने के लिए किसी प्रकार का वित्तीय या अन्य प्रलोभन स्वीकार नहीं करेगा। वह किसी उम्मीदवार या पार्टी की ओर से दिए गए आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को स्वीकार नहीं करेगा।
- v) प्रेस से किसी विशेष उम्मीदवार या पार्टी का प्रचार करने की उम्मीद नहीं है। अगर ऐसा किया जाता है तो उसे अन्य उम्मीदवार/पार्टी को इसका जवाब देना होगा।
- vi) प्रेस किसी व्यक्ति /शासन करने वाली सरकार की उपलब्धियों के संबंध में राष्ट्रीय कोषागार की लागत से प्राप्त होने वाले विज्ञापन को स्वीकार/प्रकाशित नहीं करेगा।
vii) प्रेस निर्वाचन आयोग/निर्वाचन अधिकारियों या मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी सभी निर्देशों/आदेशों/अनुदेशों का अनुपालन करेगा।
- एनबीएसए द्वारा दिनांक 3 मार्च, 2014 को जारी किए गए ‘चुनाव संबंधी प्रसारण के लिए दिशा-निर्देश‘ में इलैक्ट्रोनिक मीडिया पर भी ध्यान दिया गया-
(i) समाचार प्रसारकों को चुनाव संबंधी मामलों, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, चुनाव प्रचार के मुद्दों और मतदान प्रक्रियाओं के बारे में जनता को तटस्थ रूप से जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के नियमों और प्रावधानों में निर्दिष्ट है।
(ii) समाचार चैनलों को किसी राजनैतिक जुड़ाव, किसी दल या उम्मीदवार से ताल्लुक के बारे में खुलासा करना चाहिए। समाचार प्रसारकों का कर्तव्य है कि वे अपनी चुनावी रिपोर्टिंग बिना भेद-भाव और संतुलित रूप से करें।
(iii) समाचार प्रसारकों को हर प्रकार की अफवाहों, आधारहीन अनुमानों और गलत जानकारी प्रसारित करने से बचना चाहिए विशेष रूप से अगर यह किसी विशेष राजनीतिक दल या उम्मीदवार से संबंधित हो। कोई उम्मीदवार/राजनीतिक दल जिसके बारे में गलत बात कही गयी या गलत प्रदर्शन, गलत जानकारी अथवा इस तरह हानि पहुंचाने वाली अन्य जानकारी देने पर, प्रसारक को तुरंत सुधार करना चाहिए और जिसके बारे में यह जानकारी दी गई है उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित मौका दिया जाना चाहिए।
(iv) समाचार प्रसारकों को सभी प्रकार के राजनीतिक और वित्तीय दबावों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, जो चुनाव कवरेज और चुनाव संबंधी मामलों पर असर डाल सकते हैं।
(v) समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों में संपादकीय और विशेषज्ञों की राय के बीच अंतर स्पष्ट करना चाहिए।
(vi) समाचार प्रसारकों को राजनीतिक दलों से मिले वीडियो के उपयोग के बारे में बताना चाहिए और साथ ही उचित रूप से लेबल भी करना चहिए।
(vii) चुनाव तथा चुनाव संबंधी समाचारों/कार्यक्रमों के मामले में कार्यक्रम, दिनांक, स्थान और उद्धरणों से संबंधी सारे तथ्य सही हों यह सुनिश्चित करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर गलती या लापरवाही से गलत जानकारी प्रसारित हो जाती है और गलती के बारे में पता चलते ही प्रसारक को जल्द से जल्द इसमें सुधार करना चाहिए और वही प्राथमिकता देनी चाहिए जैसी पहले दी गई।
(viii) समाचार प्रसारकों, उनके पत्रकारों और उनके अधिकारियों को कोई धन या मंहगे उपहार या कोई फायदा नहीं लेना चाहिए जो किसी को प्रभावित या प्रभावित करने जैसा प्रतीत हो क्योंकि इससे प्रसारक या कर्मचारी की विश्वसनीयता कम होती है।
(ix) समाचार प्रसारक को किसी भी रूप में भड़काऊ भाषण या अन्य निंदनीय सामग्री प्रसारित नहीं करनी चाहिए जिससे हिंसा या लोगों में अशांति अथवा उपद्रव फैलता हो जैसा कि चुनाव प्रावधानों के तहत सम्प्रदाय या जाति आधारित चुनाव प्रचार प्रतिबंधित है। समाचार प्रसारकों को धर्म, जाति, समुदाय, क्षेत्र और भाषा पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं प्रसारित करनी चाहिए जिससे दुश्मनी की भावना या जनता के बीच घृणा बढ़ती हो।
(x) समाचार प्रसारकों को समाचार और पैसे देकर तैयार किए गए समाचार के बीच निष्ठापूर्वक अंतर बनाये रखने की आवश्यकता है। पैसे देकर प्रसारित की गई सामग्री पर स्पष्ट रूप से यह चिंहित किया जाना चाहिए कि यह ‘पेड विज्ञापन या पेड सामग्री’ है। पेड सामग्री को राष्ट्रीय प्रसारण संगठन (एनबीए) द्वारा दिनांक 24.11.2011 को जारी किए गए ‘पेड समाचारों पर नीतियों और दिशा-निर्देश’ के अनुरूप ही प्रसारित किया जाना चाहिए।
(xi) चुनाव पूर्व सर्वेक्षण रिपोर्ट को सही और निष्पक्ष रूप से प्रसारित करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके बारे में दर्शकों को यह बताना चाहिए कि किसने सर्वेक्षण के लिए पैसे दिए और किसने सर्वेक्षण करवाया। अगर कोई समाचार प्रसारक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के परिणाम या अन्य चुनाव आकलन को प्रसारित करता है तो उसे इसके संदर्भ, प्रयोजन और इस तरह के सर्वेक्षणों की सीमाओं के बारे में जानकारी देनी चाहिए। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के प्रसारण में सर्वेक्षण में उपयोग की गई विधि, जिनके बीच सर्वेक्षण किया गया, त्रुटि की संभावना, सर्वेक्षण की दिनांक और इसमें इस्तेमाल किए गए आंकड़ों सहित सभी जानकारी होनी चाहिए ताकि सर्वेक्षण के महत्व को समझने में दर्शकों को सहायता मिल सके। प्रसारकों को यह भी बताना चाहिए कि कैसे मतों को सीटों के रूप में बदलते हैं।
(xii) भारतीय चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा के समय से चुनाव परिणाम की घोषणा की समाप्ति तक समाचार प्रसारकों के प्रसारण पर निगरानी रखेगा, अगर निर्वाचन आयोग को पता चलता है कि समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) के किसी सदस्य द्वारा कोई उल्लंघन किया गया है तो उस पर एनबीएसए के नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
(xiv) प्रसारकों को मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया, मतदान का महत्व, कैसे, कब और कहां मतदान के लिए पंजीकरण कराना चाहिए तथा मतपत्र की गोपनियता बनाये रखने के लिए मतदाता को जागरूक करने संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करने चाहिए।
(xv) समाचार प्रसारकों को, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा औपचारिक रूप से घोषित परिणामों के पहले किसी भी अंतिम, औपचारिक या निश्चित परिणाम के बारे में प्रसारण नहीं करना चाहिए। ऐसे परिणामों के प्रसारण के दौरान यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह परिणाम आधिकारिक नहीं है या अपूर्ण अथवा आंशिक या संभावित है जिन्हें अंतिम परिणाम के तौर पर नहीं देखा जाए।
सभी संबंधित मीडिया द्वारा उपरोक्त दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।