नई दिल्ली: वर्तमान में जारी चुनावों के मद्देनजर भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में समावेशी और और नीतिगत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थित रूप से कई स्वीप (एसवीईईपी) पहल की गई हैं। स्वीप पहलों के कारण पश्चिम बंगाल और असम में पहले चरण के मतदान के दौरान बड़ी संख्या में मतदान देखने को मिला।
आयोग द्वारा स्वीप के अंतर्गत राज्यवार उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं:
पश्चिम बंगाल और असम
-विकलांगता के शिकार विशेष लोगों, सीमांत क्षेत्र के लोगों, चिह्नित संवेदनशील समूहों और वरिष्ठ नागरिकों का चुनाव में भाग लेना आसान बनाने के लिए लक्षित पहल की गईं।
-पश्चिम बंगाल में अपंग पीएस वार मतदाताओं की पहचान करने के लिए विशेष कार्य किए गए। इस श्रेणी के मतदाताओं को विशेष सुविधाएं दी गईं।
-सभी पोलिंग स्टेशनों पर पेयजल, पर्याप्त प्रकाश, रैंप्स, हेल्प डेस्क आदि जैसी बीएमएफ यानी प्राथमिक न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित की गई थीं।
-विशेषकर महिलाओं की भागीदारी के संदेश के प्रसार के लिए महिला पोलिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए विशेष स्थानों की पहचान की गई। पूरे पश्चिम बंगाल में 1532 महिला पोलिंग स्टेशनों और 3452 मॉडल पोलिंग स्टेशनों की स्थापना की गई।
-मतदाता सूची में शामिल हर मतदाता को मतदाता पर्चियों का वितरण किया जा रहा है। चुनाव के दिन चुनाव मशीनरी द्वारा एसएमएस, टेलीविजन और केबल टीवी पर टिकर्स के माध्यम से और एफएम रेडियो के माध्यम से संदेश भेजे जा रहे हैं।
-चुनाव के दिन बूथ स्तर पर विभिन्न सूचनाओं और अन्य जानकारियों के प्रसार के लिए हर बूथ स्तर पर बूथ जागरूकता समूह सक्रिय हैं।
-आयोग के कई स्वीप निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए दोनों राज्यों में जागरूकता पर्यवेक्षक तैनात कर दिए गए थे।
-पश्चिम बंगाल चुनाव में भागीदारी बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर केंद्रित मस्कटों का इस्तेमाल कर रहा है, जैसे-दार्जीलिंग में लाल पांडा, कई जिलों में वोटू दा, मालदा में फाजली आम, एन परगना में इपिक पुरुष, एस परगना में बाघु द टाइगर, हुगली में गंगेटिक डॉल्फिन, पुरुलिया में मोतेश्वर, वीरभूम में आनंदो आदि।
-सभी विकासखंडों (ब्लॉक) में विभिन्न सूचनों और ईवीएम के साथ इलेक्शन ऑन व्हील और मोबाइल झांकियां चलाई जा रही हैं। इसके माध्यम से लोगों को मतदान की प्रक्रिया के बारे में बताया जा रहा है।
तमिलनाडु
-तमिलनाडु में 100 फीसदी नामांकन और 100 फीसदी मतदान के लिए सोशल मीडिया पर स्लोगन ‘#TN100percent’ नजर आता है।
– राज्य में ‘कम लागत, ज्यादा दृश्यता’ पहलों में राज्य के सभी सुपरमार्केट्स के शॉपिंग बैग्स और दूध के पैकेटों पर पर स्वीप संदेश शामिल हैं (एक साझेदारी के अंतर्गत इसकी लागत सुपरमार्केट उठा रहे हैं।)
– सभी बैंकों के एटीएम के स्क्रीन सेवर्स पर चुनाव से पहले मतदान करने के संदेश नजर आते हैं।
– नवविवाहिलत महिलाओं के नामांकन, गांव की नर्सों के पास मौजूद गर्भवती माताओं के नामांकन और उन्हें सुविधाएं देने जैसे विशेष कदम उठाए गए हैं।
– 670 थिएटरों, एफएम और कम्युनिटी रेडियो पर रेडियो स्पॉट्स, टीवी स्पॉट्स, पोस्टरों, होर्डिंगों और पंपलेट के अलावा लोकप्रिय हस्तियों के साथ संगीत वीडियो दिखाए जा रहे हैं।
– 14 गुणा 7 की रोटेटिंग स्क्रीन के साथ 32 मोबाइल वीडियो वैन से सूचनाओं का प्रसार किया जा रहा है।
– कॉलेजों में सभी विद्यार्थियों के चुनाव पंजीकरण की पुष्टि के लिए डीईओ के साथ नामांकन के अंतर्गत 1400 कॉलेजों को कवर किया गया है।
– राज्य के वृद्धाश्रमों को स्वीप के अंतर्गत कवर किया गया है।
– बीएसएनएल 15-16 मई को कॉलर ट्यून के रूप में स्वीप जिंगल चलाएगा।
– ट्विटर और फेसबुक के साथ साझेदारी की गई है; तमिलनाडु के फेसबुक यूजर्स को चुनाव के दिन रिमाइंडर मिलेगा। ट्विटर भी चुनाव के दिन अलर्ट भेजेगा।
– 15 अप्रैल को चुनावी अभियान शुरू किया जाएगा।
पुड्डुचेरी
– राज्य में हस्ताक्षर अभियान, जिसमें सही मतदान पर जोर दिया गया।
– जागरूकता फैलाने के लिए मोबाइल पोलिंग बूथ तैयार किए गए हैं, जिनका आयोग द्वारा शुभारंभ किया जाएगा।
– एनएफडीसी की 2 लघु फिल्में, जिन्हें सिनेमाघरों पर प्रदर्शित किया जाएगा साथ ही कॉलेजों में वितरित किया जाएगा और रेडियो जिंगल्स भी इस्तेमाल किए जाएंगे।
– जागरूकता फैलाने के लिए नेहरु युवा केंद्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
– दूध के पैकेटों पर चुनाव के संदेश नजर आ रहे हैं, यह एक ऐसी पहल है जिसे मीडिया में अच्छी जगह मिली है।
– कर्मचारियों के लिए विशेष शिविर
– एसी से पीएस स्तर में पीडब्ल्यूडी की पहचान सहित पीडब्ल्यूडी के लिए विशेष पहल, स्वंयसेवियों को तैनात कर दिया गया है।
– प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, पोस्टकार्ड और वीवीपीएटी जागरूकता के लिए मोबाइल वैन के माध्यम से प्रचार सहित अन्य पहल।
केरल
– 12वीं से ऊपर के सभी शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थी दूत नियुक्त किए गए हैं, जिससे 18-19 आयु वर्ग के युवाओं का नामांकन सुनिश्चित हो सके।
– राज्य की आदिवासी बस्तियों में विशेष लक्षित अभियान चलाए गए हैं, जिससे सुनिश्चित हो कि आदिवासी मतदान से वंचित न रह जाएं।
– ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य औसत 74.02 प्रतिशत से कम मतदान हुआ था, जिससे आने वाले महीनों में स्वीप पहलों के दायरे में लाया जा सके।
इन स्वीप पहलों के माध्यम से भारतीय निर्वाचन आयोग का प्रयास है कि सभी योग्य मतदाता जागरूक रहे और चुनाव में उनकी समावेशी भागीदारी सुनिश्चित हो।
भारतीय निर्वाचन आयोग