नई दिल्लीः सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना अधिसूचित की थी। चुनावी बांड प्रॉमिसरी नोट यानीवचनपत्र के रूप में एक धारक प्रपत्र है।
कोई भी क्रेता समस्त वर्तमान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) मानकों को पूरी तरह भरने और किसी बैंक खाते से भुगतान करने के बाद ही चुनावी बांडों को खरीद सकता है। चुनावी बांड पर किसी प्राप्तकर्ता का नाम अथवा कोई भी ऐसा विवरण नहीं लिखा होता है जिससे बांड खरीदने वाले की पहचान की जा सकती है। इसी तरह बांड जमा करने वाले राजनीतिक दल का कुछ भी विवरण चुनावी बांड पर लिखा नहीं होता है। अत: किसी भी खास बांड को देखकर किसी विशेष क्रेता अथवा इसे जमा करने वाले राजनीतिक दल की पहचान नहीं की जा सकती है।
चुनावी बांड में कुछ अंतर्निहित सुरक्षा विशेषताएं होती हैं जिससे इसके जरिए धोखाधड़ी करने अथवा फर्जी बांड पेश करने की कोई भी गुंजाइश नहीं रहती है। एक क्रम रहित (रैंडम) संख्या भी इन विशेषताओं में शामिल है जिसे बगैर किसी उपकरण के देख पाना असंभव है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा इस संख्या को किसी भी ऐसे रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता है जो चुनावी बांड खरीदने वाले अथवा किसी विशेष चुनावी बांड को जमा करने वाले राजनीतिक दल से संबंधित होता है। अत: जब बैंक किसी खरीदार को कोई चुनावी बांड जारी करता है तो संबंधित संख्या किसी भी राजनीतिक दल के लेन-देन से जुड़ी नहीं होती है। अत: बांड के खरीदार अथवा चंदे (डोनेशन) पर करीबी नजर रखने के लिए इस तरह की संख्या का न तो उपयोग किया जा रहा है और न ही इसका उपयोग किया जा सकता है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस क्रमिक संख्या को सरकार और इस्तेमालकर्ताओं सहित किसी के भी साथ साझा नहीं करता है।