देहरादून: मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने प्रेस वार्ता के माध्यम से कहा है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा आम बजट 2015-16 मंे संसद में जानकारी दी गई थी कि 8 योजनाओं को केन्द्रीय सहायता से मुक्त रखा जायेगा। यही नही 24 केन्द्रीय योजनाओं के फंडिंग पैटर्न में बदलाव किया गया है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा जो जानकारी सदन में आम बजट के समय दी गई हो, वह केन्द्रीय कृषि मंत्री को मालूम न हो, ऐसा नही हो सकता है। केन्द्रीय कृषि मंत्री को उनके बयान की जानकारी न हो, ऐसा संभव नही है। लगता ये है कि केन्द्रीय कृषि मंत्री दिल्ली से जो प्रेस रिलीज लेकर देहरादून आये थे, वह देहरादून भाजपा मुख्यालय में बदल गई। वैसे भी भाजपा मुख्यालय से कभी कुछ गायम होना कभी कोई रिकार्ड गायब होना पुरानी परंपरा है। उन्होंने कहा कि राज्य को विशेष राज्य दर्जा रहना चाहिए या नही। केन्द्रीय सहायता में 90ः10 का अनुपात चाहिए या नही, अर्द्ध कुम्भ 2016 के लिए केन्द्र से सहायता मिलनी चाहिए या नही। यह केन्द्रीय कृषि मंत्री उत्तराखण्ड के भाजपा नेताओं से पूछ कर तय कर सकते है। हम भी यह चाहते है कि प्रदेश भाजपा नेताओं को जनता के सामने अपने इस संबंध में अपना पक्ष को स्पष्ट करना चाहिए कि उत्तराखण्ड को विशेष राज्य का दर्जा रहना चाहिए या नही और केन्द्रीय योजनाओं में सहायता मिलनी चाहिए या नही। श्री कुमार ने कहा कि भाजपा के एक सांसद में लोक सभा में अपनी आवाज उठायी भी थी कि फंडिंग पैटर्न बदलने और केन्द्रीय योजनाएं की सहायता बंद होने से उत्तराखण्ड को लगभग 2500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, लेकिन भाजपा के प्रदेश नेताओं ने उनकी आवाज भी बंद करा दी है। अगर केन्द्रीय कृषि मंत्री को ये सब बात पता होता, तो वे राज्य के लिए कुछ न कुछ देकर जाते है। इससे लगता है कि प्रदेश भाजपा ने उनको गुमराह किया है। उन्होंने वित्त मंत्री का 28 फरवरी, 2015 को संसद में दिये गये भाषण की छायाप्रति भी प्रेस को जारी की। उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्र पोषित योजनाओं का फंडिंग पैटर्न बदलना, विशेष राज्य के दर्जा के तहत 90ः10 अनुपात तथा 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियां लागू करना तीनो-तीनो अलग-अलग विषय है। इनको मिस मैच नही किया जाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर श्री कुमार ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा 16 जून को जो सीएम आवास घेराव करने का कार्यक्रम रखा गया है, वह केवल प्रपंच और नाटक है। उन्होंने कहा कि ज्यों ज्यों चारधाम यात्रा अपने चरम पर पहुंच रही और यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, उससे भाजपा नेता बौखलाहट में है। चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्री साधना और अपने ईष्टदेव की पूजा अर्चना के लिए आ रहे है। ईष्टदेव की पूजा में विध्न डालने वालो को हमारे शास्त्रों में क्या कहा जाता है, वह सबको पता है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा प्रदेश की गरिमा से जुड़ी हुई है, उसे प्रभावित करना भाजपा को शोभा नही देता है। यह हमारी आर्थिकी से भी जुड़ी हुई है, ऐसे में चारधाम यात्रा में विध्न डालने से गलत संदेश जायेगा। भाजपा नेताओं को घेराव करना ही है, तो राज्यहित में केन्द्र सरकार द्वारा बंद की गई योजनाओं की धनराशि दिलाने के लिए दिल्ली का घेराव करे।