लखनऊ: उ0प्र0 राज्य सूचना आयोग के मुख्य राज्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी ने आयोग के कार्यों का प्रभावी एवं सुगम संचालन सुनिश्चित करने हेतु आयोग के विधि अधिकारी के कर्तव्यों एवं दायित्वों को निर्धारित किया है। मुख्य सूचना आयुक्त के निर्देशन और नियंत्रण में कार्य करते हुए, विधि अधिकारी आयोग के न्यायिक कार्यकरण के प्रबंधन के लिए प्रधान अधिकारी होगें।
विधि अधिकारी आयोग का पदेन रजिस्ट्रार होगें। बतौर रजिस्ट्रार वह समस्त शिकायतों, अपीलों, लिखित कथनों व आवेदन पत्रों और अन्य संबंधित दस्तावेजों को ग्रहण करेंगे। सभी शिकायतों और अपीलों को पंजीकृत किए जाने के पूर्व, उनका अधिनियम/नियम/न्यायालय आदेशों के प्राविधानों के आलोक में परीक्षण करंेगे। शिकायत और अपील पंजी के रख-रखाव को सुनिश्चित करेगें। पंजीकृत शिकायतों और अपीलों को निस्तारण के लिए संबंधित सूचना आयुक्त को अग्रेषित करेंगे। सुनवाई के लिए सूचीबद्ध समस्त मामलों के संबंध में वादसूची तैयार करके उसे अधिसूचित करेंगे।
मुख्य राज्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विहित शुल्क के भुगतान पर, किसी कार्यवाही से संबंधित पक्षकार को आयोग के किसी अधिकारी के पर्यवेक्षण और उसकी उपस्थिति में आयोग के अभिलेख का निरीक्षण करने के लिए रजिस्ट्रार अनुमति प्रदान करंेगे। किसी शिकायत या अपील में पारित, आयोग के आदेशों, निर्देशों, और विनिश्चयों के अनुपालन को सुनिश्चत करंेगे और इस संबंध में सभी आवश्यक उपाय करेंगे। आयोग के न्यायिक कार्यकरण से संबंधित समस्त दाखिल दफ्तर अभिलेखों की समुचित अभिरक्षा और उसके रख-रखाव का पर्यवेक्षण और विहित प्रक्रिया के अनुसार ऐसे अभिलेखों का आवधिक विनष्टीकरण सुनिश्चित किया जाएगा।
राज्य सूचना आयोग के मुख्य राज्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि रजिस्ट्रार, मुख्य सूचना आयुक्त के अनुमोदन से स्वयं को सौंपे गए किसी कृत्य को स्वयं से अधीनस्थ किसी अधिकारी को प्रत्यायोजित कर सकेंगे। रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति में मुख्य राज्य सूचना आयुक्त आयोग के किसी अधिकारी को रजिस्ट्रार की शक्तियों के प्रयोग और कृत्यों के निष्पादन के लिए निर्देशित कर सकेंगे।