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प्रदेश में पर्यावरणीय शिक्षा, प्रशिक्षण व जन जागरूकता कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यक प्राविधान किए जाने हेतु वर्ष 1976 में संविधान में 42वें संशोधन के माध्यम से राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों में अनुच्छेद 48-क और नागरिकों के मूल कर्तव्यों में अनुच्छेद  51-क (छ) का समावेश किया गया।

अनुच्छेद 48-क द्वारा राज्य का यह कर्तव्य निर्धारित किया गया कि ‘‘राज्य देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा‘‘। इसके साथ ही अनुच्छेद 51-क (छ) में  प्रत्येक नागरिक को यह दायित्व सौंपा गया कि ‘वह प्राकृतिक पर्यावरण, जिसके अन्र्तगत वन, झील, नदी जीव हैं, की रक्षा करे और उसका संवर्धन करंे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे। अतः राज्य सरकार तथा नागरिकों को अपनी-अपनी  जिम्मेदारी  समझते हुए पर्यावरणीय गुणवत्ता को बनाए रखने तथा उसमें बढोत्तरी के प्रति निरन्तर प्रयास करना होगा। प्रदेश के अनेक भागों के विविध बहुआयामी व दूरगामी प्रभाव वाली पर्यावरणीय समस्याएं जैसे-वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, भूस्खलन, नदियों और झीलों में जल की कमी, भू-गर्भ जल भण्डारों का अति दोहन और वनस्पति आवरण में कमी विद्यमान हैं। जो जन स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव डाल रही है। प्रदेश के खुशहाल जन जीवन तथा सतत् विकास के लिए पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन अति आवश्यक है।
पर्यावरण का संरक्षण तथा तभी सम्भव है, जब जन सामान्य को इस बात की समुचित जानकारी हो कि पर्यावरण क्या है, इसका संरक्षण और संवर्धन क्यों आवश्यक है तथा जन-जन में इसकी सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के कार्यों में सहभागिता के प्रति अभिरूचि उत्पन्न हो। यह कार्य व्यापक जन सहयोग से ही सम्भव है, जिसके लिए जन-जन तक पर्यावरण्ीय चेतना का प्रयास आवश्यक है।
संविधान में पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इन दायित्वों, अन्तर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा अधिरापित कर्तव्यों तथा जन सामान्य के रूप में प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का बोध एवं इससे संबंधित उपाय किए जाने हेतु आवश्यक जन जागरूकता के प्रचार-प्रसार हेतु यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जन-जन तक पर्यावरणीय चेतना के प्रसार हेतु पर्यावरणीय शिक्षा, प्रशिक्षण व जन जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत योजनाएं चलाए जाने का सरकार का प्रयास है।
पर्यावरण से संबंधित विभिन्न दिवसों जैसे अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई), विश्व पर्यावरण  दिवस (05 जून)  एवं अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस  (16 सितम्बर) के अवसरों पर मुख्यालय एवं क्षेत्रिय कार्यालयों द्वारा तथा आउट-सोर्सिंग यथा शैक्षिक, इवेन्ट मैनेजमेंट एवं अन्य संस्थाओं, सांस्कृतिक दलों और मीडिया के माध्यम से विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन। छात्र/छात्राओं में पर्यावरणीय जागरूकता के प्रसार हेतु मान्यता प्राप्त  विद्यालयों के माध्यम से जन जागरूकता  कार्यक्रमों यथा संगोष्ठी, रैली, र्काशाला, प्रतियोगिता एवं शिविरों  का आयोजन। विभिन्न लक्षित समूहों जैसे उद्यमियों/उद्योग संघों, स्वयंसेवी संस्थाओं, विकास विभागांे, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं, चिकित्सकों/नर्सिंग होम संघों, स्थानीय निकायों इत्यादि हेतु पर्यावरण बहुविषयक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन। स्थानीय मेलों एवं महोत्सवों इत्यादि के अवसर पर पर्यावरण प्रदर्शनी का आयोजन तथा सचल पर्यावरण प्रदर्शनी के माध्यम से पर्यावरणीय का प्रचार। विभिन्न लक्षित समूहों हेतु पर्यावरण बहुविषयक प्रचार एवं सामग्री जैसे बुकलेट, पैम्पलेट, पोस्टर और स्टीकर इत्यादि का प्रकाशन एवं वितरण।
उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों पर पर्यावरण प्रचार पैनल तथा चयनित स्थलों पर होर्डिंग्स की स्थाना। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रेडियों एफ0एम0, सी0सी0टी0वी0 एवं मीडिया के अन्य साधनों के माध्यम से पर्यावरणीय संदेशों का प्रसारण। पर्यावरणीय चेतना के प्रसार हेतु प्रदेश के चयनित विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में सेन्टर आॅफ एक्सीनेंस की स्थापना। पर्यावरण निदेशालय लखनऊ में जलवायु परिवर्तन विषयक गैलरी की स्थापना। शैक्षिक और शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों, केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा समर्थित संस्थाओं/उपक्रमों एवं पंजीकृत उद्योग संघों इत्यादि के माध्यम/सहयोग से पर्यावरण बहुविषयक सेमिनार, कांफ्रेंस और वर्कशाप का आयोजन। ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर जन सहभागिता के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/स्वयं सेवी संस्थाओं/नगर निकायों/उद्योगों हेतु पर्यावरण पुरस्कार की स्थापना।

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