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भूजल प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक हेली-जनित (बोर्न) सर्वेक्षण तकनीक का शुभारंभ

देश-विदेश

केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) हैदराबाद द्वारा विकसित भूजल प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक हेली-जनित (बोर्न) सर्वेक्षण तकनीक का शुभारंभ किया। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस नवीनतम हेली-जनित (बोर्न) सर्वेक्षण के लिए राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा राज्यों को सबसे पहले लिया जा रहा है और इसकी शुरुआत आज राजस्थान के जोधपुर से की गई।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जल प्रौद्योगिकियों से जल स्रोत की खोज से जल के उपचार तक देश भर में लाखों लोगों को लाभ होगा और यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के “हर घर नल से जल” के साथ-साथ “किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य” में सकारात्मक योगदान होगा। उन्होंने कहा, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा शुष्क क्षेत्रों में भूजल स्रोतों के मानचित्रण के लिए नवीनतम अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है और इससे पेय जल प्राप्ति के उद्देश्यों के लिए भूजल का उपयोग करने में मदद मिलती है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर की तकनीकी संपदा जल शक्ति मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए एक बड़ी परिसंपत्ति होगी और जल क्षेत्र में देश की बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए साथ मिलकर काम करने का यह सही समय है। वे जोधपुर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में शुष्क क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन के लिए हेली-बोर्न सर्वेक्षण का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, सीएसआईआर ने राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान एनजीआरआई के साथ मिलकर भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च कोटि का भूजल मानचित्रण और प्रबंधन किया है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-एनजीआरआई की हेली-जनित भू-भौतिकी मानचित्रण तकनीक से जमीन के नीचे 500 मीटर की गहराई तक उप-सतह के उच्च विभेदन त्रि-आयामी (3डी) चित्र प्राप्त होते हैं।

मंत्री महोदय ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि जल शक्ति मंत्रालय राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा राज्यों के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भूजल समाधान प्रदान करने के लिए इस तकनीक का उपयोग करने का प्रयास कर रहा है और उसने सीएसआईआर-एनजीआरआई के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना “उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च कोटि के जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन” को क्रियान्वित करने के लिए इसके लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य हमारे देश के पानी की कमी वाले शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए संभावित भूजल स्रोतों और उसके प्रबंधन का मानचित्रण करना है। यह 150 करोड़ रुपये की बहुत बड़ी परियोजना (मेगा प्रोजेक्ट) है और इसे राष्ट्रीय जलभृत (अक्वाफायर) मानचित्रण परियोजना के एक भाग के रूप में जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से दो चरणों में लागू किया जाएगा । इस परियोजना से भारत सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना जल जीवन मिशन को लागू करने में सीएसआईआर को बहुत प्रसिद्धि मिलने की भी आशा है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तर पश्चिमी भारत में ये शुष्क क्षेत्र राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं और यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 12% है जिसमे 8 करोड़ से अधिक लोग रहते है। उन्होंने कहा कि 100 से 400 मिमी की कम वार्षिक वर्षा वाला यह क्षेत्र पूरे वर्ष पानी की भारी कमी का सामना करता है और इसीलिए इस क्षेत्र में भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए उच्च- कोटि के जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन (हाई रिज़ॉल्यूशन एक्वीफर मैपिंग एंड मनेजमेंट) करना प्रस्तावित किया गया है।

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