लखनऊ: शासन के संज्ञान में आया है कि कतिपय महाविद्यालयेां द्वारा स्वीकृत सीट से अधिक प्रवेश लिया गया है तो उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 और विश्वविद्यालय के प्रथम परिनियमावली के प्राविधानों के विपरीत है। अतः राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी किये गये आदेशों के क्रम में महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया स्वच्छ एवं पारदर्शी बनाने हेतु निम्नलिखित दिशा-निर्देश दिये हैं-प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं विषयों में स्वीकृत सीटों के सापेक्ष ही प्रवेश लिये जाएं। विषयवार स्वीकृत सीटों से अधिक संख्या मे ंप्रवेश लिया जाना उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा-28(4) का उल्लंघन है, अतः और अधिक संख्या में प्रवेशित छात्र-छात्राओं के प्रवेश उक्त अधिनियम की धारा 28 (6) के अन्तर्गत निरस्त किये जाने योग्य होंगे। प्रत्येक वर्ष प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ होने के पूर्व विश्वविद्यालय से सम्बद्ध/सहयुक्त महाविद्यालयों को पाठ्यक्रमवार एवं विषयवार स्वीकृत सीटों की संख्या विश्वविद्यालय द्वारा संसूचित की जायेगी तथा प्रत्येक महाविद्यालयों में पाठ्यक्रमवार वे विषयवार स्वीकृत सीटों की संख्या संबंधित विश्वविद्यालय की आफिसियल वेबसाइट पर प्रदर्शित की जायेगी ताकि जनसामान्य को यह सूचना उपलब्ध रहे। महाविद्यालय में उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं यथा शिक्षण कक्ष, शिक्षकों की संख्या आदि को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्धता प्रदान करते समय प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिये विषयवार सीटों का निर्धारण किया जायेगा और संबंधित महाविद्यालय को यथाशीघ्र सूचित करते हुये जनसामान्य के अवलोकनार्थ विश्वविद्यालय की आफिसियल वेबसाइट पर सूचना प्रदर्शित की जोयगी।
यह जानकारी उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्री बी0बी0सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि समस्त विश्वविद्यालयों के कुल सचिव को शासनादेश भेजा जा चुका है। श्री सिंह ने बताया कि पाठ्यक्रम एवं विषयवार सीटों की संख्या निर्धारित करते समय सम्बन्धित विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षक-छात्र अनुपात के निर्धारित मानक का अनुपालन किया जायेगा, जो वर्तमान में 1:60 है, तथा जिसे 1ः80 तक कुलपति की अनुमति से शिक्षण सत्र हेतु नियमानुसार बढाया जा सकता है। प्रत्येक विश्वविद्यालय द्वारा अपने सम्बद्ध/सहयुक्त महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया की दिन-प्रतिदिन के आधार पर गहनता पूर्वक समीक्षा की जायेगी। प्रत्येक महाविद्यालय का यह दायित्व होगा कि वह भरी गयी एवं रिक्त सीटों की सूचना प्रतिदिन विश्वविद्यालय को प्रेषित करें। प्रवेश हेतु विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित अन्तिम तिथि कि उपरान्त प्रत्येक महाविद्यालय द्वारा कुल पाठ्यक्रमवार व विषयवार स्वीकृत सीटों की संख्या, उसके सापेक्ष लिये गये प्रवेश तथा रिक्त सीटों की विस्तृत सूचना विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायी जायेगी। यह सूचना विश्वविद्यालय द्वारा जनसामान्य के अवलोकनार्थ अपनी आॅफिसियल वेबसाइट पर प्रदर्शित की जायेगी। प्रवेश के अन्तिम दिन के पश्चात एक सप्ताह के अंदर सम्बन्धित महाविद्यालय द्वारा प्रत्येक पाठ्यक्रम में विषयवार प्रवेशित छात्रों की सूची उनकी मेरिट के अनुसार विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायी जायेगी। विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक महाविद्यालय में प्रवेशित छात्रों से सम्बन्धित अभिलेख अनुरक्षित किये जायेंगे और यह सुनिश्चित किया जायेगा कि नियमानुसार स्वीकृत छात्र संख्या के तहत भर्ती किये गये छात्रों को परीक्षा प्रपत्र स्वीकार किये जाएं और केवल उन्हीं छात्रों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जायेगी।
विशेष सचिव उच्च शिक्षा श्री सिंह ने कहा कि जो महाविद्यालय उपरोक्त निर्देशों का उल्लंघन करेंगे उनका सम्बद्धीकरण/मान्यता राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-37(8) निरस्त करने की कार्यवाही पर भी सम्बन्धित विश्वविद्यालय द्वारा विचार किया जायेगा। सभी विश्वविद्यालयों द्वारा पाठ्यक्रम व विषयवार शिक्षकों के अनुमोदन से सम्बन्धित प्रस्तावों का निस्तारण प्रस्ताव प्राप्त होने की तिथि से एक माह के अंदर अवश्य कर दिया जाय ताकि शिक्षण कार्यों में कोई बाधा उत्पन्न न हो सके।