वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम की गतिविधियों की समीक्षा के लिए गठित शीर्ष निगरानी प्राधिकरण की पहली बैठक की अध्यक्षता की। शीर्ष निगरानी प्राधिकरण में अध्यक्ष के रूप में वित्त मंत्री, प्रभारी मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्री, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, जहाजरानी मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इस बैठक में छह राज्यों अर्थात गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, 7 राज्यों अर्थात बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल और राजस्थान के मंत्री के अलावा सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
बैठक को संबोधित करते हुए श्रीमती सीतारमण ने इन सभी वर्षों में काम जारी रखने के लिए राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने जमीन अधिग्रहण के काम में तेजी लाने के लिए राज्यों से आग्रह करते हुए कहा कि “कुछ बुनियादी सुविधाओं (नोड) के साथ लगभग 3-4 राज्यों के साथ जो शुरू हुआ वह आज 18 राज्यों में फैल गया है और औद्योगिक विकास के लिए वातावरण ने एक अलग ही रंग और गति ले ली है। उन्होंने कहा कि यह तेजी से बढ़ रहा है और इसके परिणामस्वरूप अधिक संचयी लाभ होना चाहिए और हमें इसे हासिल करने के लिए तैयार होना चाहिए।
वित्त मंत्री ने संसाधनों के सर्वोत्कृष्ट उपयोग को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सभी निवेशों में अधिक सामंजस्य लाने की उम्मीद है। उन्होंने नीति आयोग से औद्योगिक कॉरिडोर, फ्रेट कॉरिडोर, डिफेंस कॉरिडोर, एनआईएमजेड (राष्ट्रीय औद्योगिक विनिर्माण ज़ोन) पीएलआई-आधारित उद्योग पार्क, पीएम-मित्र पार्क, मेडिकल और फार्मा पार्क और लॉजिस्टिक पार्क जैसी सभी विभिन्न परियोजनाओं का एक खाका तैयार करने को कहा ताकि उन्हें पीएम गतिशक्ति के तहत लाने की जरूरत के बारे में समझा जाए। वित्त मंत्री ने जहाजरानी मंत्रालय से विभिन्न औद्योगिक गलियारों से जुड़े सभी समुद्री बंदरगाहों का नक्शा तैयार करने को कहा ताकि यह देखा जा सके कि क्या यह जुड़ाव सार्थक हैं। उन्होंने निगरानी समिति की अगली बैठक नवंबर में बुलाने को कहा है।
वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि इन औद्योगिक गलियारों में निवेशकों को जल्द से जल्द से आकर्षित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है और एनआईसीडीआईटी के साथ-साथ राज्यों को व्यवसायों को आकर्षित करने के लिए रोड शो करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक पार्कों को तभी सफल माना जाएगा जब निवेश आता रहेगा। उन्होंने कहा कि “हमें जमीन का आवंटन तेजी से करना चाहिए। उद्योग के लिए जमीन का उचित मूल्य होना चाहिए और हमें अलग-अलग लीज अवधि, लीज प्रीमियम भुगतान में लचीलापन, रेंटल मॉडल, लीज सह किराया विकल्प जैसे नवीन तरीकों की अनुमति देनी चाहिए। बिजली की दर एक और अहम चीज है जिसे निवेशक बारीकी से देखते हैं। हमें सस्ती और सुसंगत दरें रखने की जरूरत है। बिजली की उच्च दरें उद्योग के लिए बाधा हैं।” श्री गोयल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मौजूदा पार्कों का सदुपयोग नहीं किया गया तो केंद्र किसी नए पार्क के लिए साथ नहीं देगा। केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से श्रमिकों के लिए किफायती आवास, कैंटीन सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया ताकि औद्योगिक पार्कों में मलिन बस्तियां न बन सकें।
रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल संपर्क किसी परियोजना की योजना का एक अभिन्न अंग होना चाहिए और रेलवे के लिए भूमि अधिग्रहण भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय रेलवे और हाइड्रोजन ट्रेन की योजना बनाई जा रही है और बुनियादी ढांचे के विकास को इस पहलू को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने एनआईसीडीआईटी को ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए डेटा सेंटर और नलिकाओं की योजना बनाने के लिए भी कहा।
श्री वैष्णव ने राज्य सरकारों से इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए समर्पित बुनियादी सुविधा बनाने का आग्रह किया, जिसे उन्होंने अत्यधिक रोजगार सृजन का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि “इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए एक बड़ा अवसर है। पूरी वैश्विक मूल्य श्रृंखला अविश्वसनीय भागीदारों से दूर जा रही है और भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा जा रहा है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण की सफलता को दुनिया ने देखा है। शून्य से हम 76 अरब डॉलर तक पहुंच गए हैं और अब यह दोहरे अंकों में बढ़ रहा है।“
डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने बताया कि देश की विनिर्माण क्षमता को साकार करने के सरकार के प्रयासों में साथ देते हुए एनआईसीडीसी ग्यारह (11) औद्योगिक गलियारों का विकास कर रहा है जिसमें पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत निर्धारित विजन को आगे बढ़ाने के लिए 04 चरणों में 32 नोड्स/परियोजनाएं शामिल हैं।
विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) और एनआईसीडीसी के सीईओ तथा एमडी श्री अमृत लाल मीणा ने बताया कि एनआईसीडीसी 4 अत्याधुनिक विकसित “स्मार्ट औद्योगिक शहरों” का निर्माण करने में सक्षम है, इनके नाम हैं गुजरात में धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर), महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शेन्द्रा बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एसबीआईए), उत्तर प्रदेश में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप, ग्रेटर नोएडा (आईआईटीजीएन); और मध्य प्रदेश के उज्जैन में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप, विक्रम उद्योगपुरी (आईआईटीवीयू)। उन्होंने आगे बताया कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सरकार के सहयोग से कृष्णापट्टनम और तुमकुरु में दो नए नोड पूरे होने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। एनआईसीडीसी हरियाणा के नंगल चौधरी और उत्तर प्रदेश के दादरी में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब (एमएमएलएच) भी विकसित कर रहा है। इसके अलावे, उत्तर प्रदेश के बोराकी में मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमटीएच) विकसित किया जा रहा है।
अब तक विभिन्न राष्ट्रीय/बहु-राष्ट्रीय औद्योगिक इकाइयों को 979 एकड़ भूमि में 201 भूखंड आवंटित किए गए हैं, जिनमें 17,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा और 23,000 से अधिक के रोजगार की संभावना है। 12 इकाइयों में व्यावसायिक उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है और लगभग 40 कंपनियां कारखाने स्थापित कर रही हैं। अभी औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय, संस्थागत आदि जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए 5400 एकड़ से अधिक विकसित भूमि तत्काल आवंटन के लिए उपलब्ध है। औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के तहत, प्लॉट आवंटियों को वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने तक पूरी मदद प्रदान की जा रही है।
एनआईसीडीसी लिमिटेड डीपीआईआईटी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है जो परियोजना विकास गतिविधियों को अंजाम देता है और ‘राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम’ के तहत विभिन्न औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सहयोग करता है। इस कार्यक्रम के तहत, एनआईसीडीसी के पास गुजरात में धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर), महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शेन्द्रा बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एसबीआईए), उत्तर प्रदेश में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप, ग्रेटर नोएडा (आईआईटीजीएन); और मध्य प्रदेश के उज्जैन में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप, विक्रम उद्योगपुरी (आईआईटीवीयू) नाम से 4 ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहर हैं। इन्हें उद्योगों के लिए प्लॉट स्तर तक पहले ही विकसित किया जा चुका है।